अपडेटेड 14 March 2024 at 15:36 IST
CAA के बाद NRC और NPR को लेकर तेज हुई चर्चा, जानें इन दोनों के बीच क्या है फर्क
देश में CAA लागू होने के बाद NRC और NPR को लेकर चर्चा तेज हो गई है। जानें इनके बीच का अंतर क्या है।
- भारत
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मोदी सरकार ने अपने किए वादे के अनुसार देश में CAA लागू कर दिया है। CAA के लागू होने के बाद से इसे लेकर जमकर सियासत हो रही है। केरल और बंगाल की सरकार ने तो इसे लागू करने से सीधा मना कर दिया। हालांकि, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने साफ तौर पर कह दिया है कि ये कानून किसी भी कीमत पर वापस नहीं लिया जाएगा। कुछ लोग सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) में काफी कन्फ्यूज हो रहे हैं। CAA के आने के बाद से NRC और NPR को लेकर चर्चा तेज हो गई है। तो आइए जानते हैं कि आखिर CAA और NRC में क्या अंतर है।
नागरिकता संशोधन कानून यानि CAA को मोदी सरकार ने साल 2016 में सबसे पहले लोकसभा में पेश किया था। बाद में फिर इसे 2019 में पेश किया गया और लोकसभा और राज्यसभा में पास कर दिया गया। इसके अनुसार बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी, जो 2014 से पहले भारत में आकर बस गए, उन्हें नागरिकता दिया जाएगा।
6 साल भारत में रहने के बाद मिलेगी नागरिकता
CAA के अनुसार तीनों देशों से आए हुए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को 6 साल का वक्त भारत में गुजारना होगा, तब जाकर नागरिकता मिलेगी। हालांकि, अन्य देशों के शरणार्थियों को 11 साल का वक्त भारत में गुजारना होगा। बता दें, 1955 के नागरिकता कानून के तहत भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम 11 साल देश में रहने की जरूरत पड़ती थी।
सीएए 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान देशों से भारत आए प्रवासी हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसियों के लिए भारतीय नागरिकता देने के लिए जो संशोधन किए गए, उसे ही CAA कहा जाता है। इन तीन देशों से भारत आए लोगों को ही नागरिकता दी जाएगी। भारतीय जनता पार्टी ने अपने मेनिफेस्टो में लिखा था कि देश में CAA लागू किया जाएगा। भारत सरकार ने 2019 में ही इसे लोकसभा और राज्यसभा में पास कर दिया था।
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जारी किया जाएगा CAA का सर्टिफिकेट
कंपीटेंट अथॉरिटी की ओर से अप्लाई करने वाले नागरिक को एक लेटर जारी करेगी। इस लेटर को जरूरी के साथ ही जो जरूरी डॉक्यूमेंट्स होंगे उसकी कॉपी डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर के ऑफिस में जमा किया जाएगा। सरकार जब भारत की नागरिकता देने का फैसला करेगी तो उसके बाद राज्य सरकार या फिर डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर के जरिए CAA का सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा।
क्या है NRC?
सीएए के बाद नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर को लेकर काफी चर्चा हो रही है। एनआरसी का मतलब है, देश में अवैध तरीके से रह रहे लोगों का पता लगाना। एनआरसी में लीगल तरीके से भारत में रह रहे लोगों का रिकॉर्ड रखा जाएगा। 2013 में असम में एनआरसी की शुरुआत सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में हुई थी। इस समय केवल असम ही ऐसा राज्य है, जहां एनआरसी लागू है। हालांकि, केंद्र सरकार पहले ही कह चुकी है कि इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा।
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एनआरसी का मुख्य उद्देश्य देश से घुसपैठियों को बाहर निकालना है, वो घुसपैठिये जो अवैध तरीके से देश में आकर रह रहे हैं। जिन नागरिकों का रिकॉर्ड एनआरसी में नहीं होगा, उन्हें फिर से भारत की नागरिकता सिद्ध करने का मौका मिलेगा।
एनआरसी के लिए इन डॉक्यूमेंट की होगी जरूरत
एनआरसी में अपना रिकॉर्ड दर्ज कराने के लिए किसी भी व्यक्ति के पास इस बात का सबूत होना चाहिए कि उनके पूर्वज 24 मार्च 1971 से पहले भारत आए थे। इसके अलावा आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, सिटिजनशिप सर्टिफिकेट, रिफ्यूजी रजिस्ट्रेशन, स्थाई पता का सबूत और सरकार की ओर से जारी कोई वैध पहचान होना चाहिए। भारत में अवैध रुप से रह रहे नागरिकों की पहचान करने के लिए इसकी जरूरत पड़ी।
सबसे पहले ये जान लेना जरूरी है कि एनपीआर का सिटीजनशिप से कोई लेना-देना नहीं है। एनपीआर का मतलब प्रत्येक समान व्यक्ति के पहचान का डेटा तैयार करना। जो शख्स 6 या फिर उससे ज्यादा महीने से भारत में रह रहा है, उसे एनपीआर में दर्ज कराना होगा।
Published By : Kanak Kumari Jha
पब्लिश्ड 14 March 2024 at 14:37 IST