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अपडेटेड May 8th 2025, 00:57 IST

1947 से लेकर 2025 तक, भारत-पाकिस्तान के बीच लंबा है सशस्त्र संघर्षों का इतिहास

Operation Sindoor : भारत से अलग हुए पाकिस्तान ने खून बहाने की शुरू 1947 से की थी। विभाजन के बाद से दोनों देशों में खूनी खेल चला आ रहा है।

Reported by: Sagar Singh
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India and Pakistan have a long history of armed conflicts
6 सितम्बर, 1965 को दूसरे युद्ध के दौरान कश्मीर में भारतीय सेना आगे बढ़ते हुए | Image: AP (File Photo)

India Pakistan War History : कश्मीर में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के दो सप्ताह बाद भारत ने पाकिस्तान में 100 किलोमीटर अंदर तक घुसकर आतंकी ठिकानों को नष्ट किया है। पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेते हुए भारतीय सेना ने पाकिस्तान और PoK में आतंकी अड्डों को मिट्टी में मिलाया, तो मोस्ट वॉन्टेड आतंकी मसूद अजहर के परिवार के 14 लोग खाक हो गए।

भारत और पाकिस्तान, इन दोनों देशों के बीच सैन्य कार्रवाई कोई नई बात नहीं है। भारत से अलग हुए पाकिस्तान ने खून बहाने की शुरू 1947 से की थी। विभाजन के बाद से दोनों देशों में खूनी खेल चला आ रहा है। भारत हर बार पाकिस्तान को घूटने टेकने पर मजबूर कर देता है। पाक की 'सरेंडर सेना' को देख हर बार रहम खाकर भारत उन्हें छोड़ देता है। लेकिन आदत से मजबूर पाकिस्तान बार-बार आतंकियों को पनाह देता है।

भारत-पाकिस्तान संघर्ष का इतिहास

1947 में ब्रिटिश भारत से चले तो गए, लेकिन देश के दो हिस्से कर गए। मुख्य रूप से भारत और मुस्लिम बहुल पाकिस्तान विभाजन के कुछ महीनों बाद मुस्लिम बहुल कश्मीर पर नियंत्रण के लिए पाकिस्तान ने पहले युद्ध का न्योता दिया। उस वक्त कश्मीर हिंदू राजा शासित राज्य था। 1948 खत्म होने से पहले युद्ध में हजारों लोग मारे गए। 1949 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा मध्यस्थता की गई। युद्ध विराम ने कश्मीर को भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजित कर दिया।

1965 में कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच दूसरा युद्ध हुआ। सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा युद्ध विराम की मध्यस्थता से पहले इसमें हजारों लोग मारे गए। ताशकंद में वार्ता जनवरी 1966 तक चली और भारत ने युद्ध के दौरान जब्त किए गए क्षेत्रों को वापस दे दिया और अपनी सेना वापस बुला लीं।

1971 के युद्ध में पाकिस्तान को बड़ी हार झेलनी पड़ी थी। भारत की सेना ने पूर्वी पाकिस्तान को आजाद कर बांग्लादेश के रूप में एक नया देश बना था। ये युद्ध आधिकारिक रूप से 3 दिसंबर, 1971 को शुरू हुआ और भारतीय सेना के आगे पाकिस्तान सेना ने 16 दिसंबर को सरेंडर कर दिया था। 1972 में भारत और पाकिस्तान ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए, कश्मीर में युद्ध विराम रेखा का नाम बदलकर नियंत्रण रेखा कर दिया। दोनों पक्षों ने सीमा पर और अधिक सैनिकों को तैनात किया, जिससे यह सैन्य चौकियों के एक भारी किलेबंद क्षेत्र में बदल गया।

1999 में पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकियों ने भारतीय सीमा पार कर कई कारगिल की चोटियों पर कब्जा कर लिया था। कारगिल युद्ध मई से जुलाई के बीच कश्मीर के कारगिल जिले में लड़ा गया। यह युद्ध तब शुरू हुआ जब पाकिस्तानी सेना और उनके समर्थित आतंकियों ने नियंत्रण रेखा (LoC) पार कर भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की और कारगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया। उनका मकसद श्रीनगर-लेह राजमार्ग को काटना और कश्मीर में अस्थिरता पैदा करना था।

भारत ने ऑपरेशन विजय शुरू किया, जिसमें भारतीय सेना और वायुसेना ने कठिन परिस्थितियों में घुसपैठियों को खदेड़ा। जुलाई 1999 तक भारत ने अधिकांश क्षेत्रों पर नियंत्रण हासिल कर लिया और 26 जुलाई को युद्ध आधिकारिक रूप से खत्म हुआ, जिसे अब कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।

इस सबसे अलग भी पाकिस्तान कश्मीर में रह-रहकर आतंकियों से हमले कराता रहा है। 2016 में उग्रवादियों ने कश्मीर में एक सैन्य अड्डे में घुसपैठ की, जिसमें कम से कम 18 सैनिक मारे गए। 14 फरवरी, 2019 को पुलवामा में भारतीय सैनिकों को ले जा रही बस पर एक आत्मघाती हमलावर ने हमला किया, जिसमें CRPF के 40 जवान शहीद हो गए। इसके बाद 22 अप्रैल, 2025 को पर्यटकों पर हुआ पहलगाम आतंकी हमला पाकिस्तान के आतंक प्रेम का ताजा उदहारण है।

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पब्लिश्ड May 8th 2025, 00:57 IST