अपडेटेड 21 July 2021 at 00:25 IST
IIT Ropar ने बनाई खास डिवाइस, 'जीवन वायु' रोकेगी ऑक्‍सीजन की बर्बादी
इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी रोपड़ ने आक्सीजन की कमी से जूझ रहे इन मरीजों के लिए 'जीवन वायु' डिवाइस विकसित की है। इससे ऑक्सीजन की बर्बादी को रोका जा सकता है।
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कोरोना की दूसरी लहर ने देश पर काफी कहर डाला। जिस दौरान लोगों को ऑक्सीजन की कमी से भी जूझना पड़ा था। देश में ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए देश में कई सारी व्यवस्थाएं की गयी। इसी दौरान इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी रोपड़ ने मरीजों के लिए 'जीवन वायु' डिवाइस विकसित की है। यह देश में विकसित की जाने वाली पहली डिवाइस है जिसे मरीज को ऑक्सीजन की सप्लाई के कंटीन्यूअस पॉजिटिव एयरवे प्रेशर (सीपीएपी) मशीन के विकल्प के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
इस डिवाइस की खास बात यह है कि इसमें बिजली का इस्तेमाल नहीं होता है यह बिना बिजली के ही उपयोग में लायी जा सकती है। इसके साथ ही यह अस्पतालों में दोनों तरह के ऑक्सीजन जनरेशन यूनिट जैसे कि ऑक्सीजन सिलेंडर और पाइप लाइन में प्रयोग किया जा सकता है। आपको बता दें कि इससे पहले अस्पतालों में प्रयोग हो रही सीपीएपी मशीन में यह सुविधा नहीं थी।
अभी तक, सांस छोड़ने के दौरान ऑक्सीजन सिलेंडर/पाइप में रहा ऑक्सीजन भी उपयोगकर्ता द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड (CO2 ) छोड़े जाते समय बाहर निकल जाती है। इससे लम्बे समय तक बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन का खर्च होता है। इसके अलावा ,मास्क में जीवन रक्षक गैस के निरंतर प्रवाह के कारण रेस्टिंग पीरियड (सांस लेने और छोड़ने के बीच) में मास्क की ओपनिंग से बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन वातावरण में चली जाती है। जैसा कि हमने देखा है कि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान मेडिकल ऑक्सीजन की मांग में कई गुना बढ़ोत्तरी हुई है, यह डिवाइस ऑक्सीजन की व्यर्थ बर्बादी को रोकने में मददगार साबित होगी।
आईआईटी, रोपड़ के निदेशक प्रोफेसर राजीव आहुजा ने कहा“यह डिवाइस पोर्टेबल पावर सप्लाई (बैटरी) तथा लाइन सप्लाई (220 वाट-50 हर्ट्ज) दोनों पर ऑपरेट कर सकती है।”इसे संस्थान के बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग के पीएचडी छात्रों- मोहित कुमार, रविंदर कुमार और अमनप्रीत चंद्र ने बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर आशीष साहनी के दिशानिर्देश में विकसित किया है।
जानिए कैसे करेगा अस्पतालों में काम
डॉ. साहनी ने कहा“ विशेष रूप से ऑक्सीजन सिलेंडरों के लिए बनाए जा रहे एमलेक्स को ऑक्सीजन सप्लाई लाइन तथा रोगी द्वारा पहने गए मास्क के बीच आसानी से कनेक्ट किया जा सकता है। यह एक सेंसर का उपयोग करता है जो किसी भी पर्यावरण गत स्थिति में उपयोगकर्ता द्वारा सांस लेने और छोड़ने को महसूस करता है और सफलतापूर्वक उसका पता लगाता है।”उपयोग के लिए तैयार यह डिवाइस किसी भी वाणिज्यिक रूप से उपलब्ध ऑक्सीजन थेरेपी मास्क के साथ काम करती है जिसमें वायु प्रवाह के लिए मल्टीपल ओपनिंग्स हों।
इस इनोवेशन की सराहना करते हुए लुधियाना के दयानन्द चिकित्सा महाविद्यालय के अनुसंधान एवं विकास, के निदेशक डॉ. जी.एस. वांडर ने कहा कि महामारी के वर्तमान समय में हम सभी ने जीवन रक्षक ऑक्सीजन के प्रभावी और व्यावहारिक उपयोग का महत्व सीख लिया है, इस प्रकार का एक डिवाइस वास्तव में छोटे ग्रामीण तथा अर्द्ध शहरी स्वास्थ्य केन्द्रों में ऑक्सीजन के उपयोग को सीमित करने में सहायता कर सकती है।
प्रो. राजीव अरोड़ा ने कहा कि, कोविड-19 से मुकाबला करने के लिए देश को अब त्वरित लेकिन सुरक्षित समाधानों की आवश्यकता है। चूंकि यह वायरस फेफड़ों और बाद में मरीज की श्वसन प्रणाली को प्रभावित कर रहा है, संस्थान की मंशा इस डिवाइस को पेटेंट कराने की नहीं है। उन्होंने कहा कि इसके बजाय आईआईटी, रोपड़ को राष्ट्र के हित में, वैसे लोगों के लिए जो डिवाइस का व्यापक उत्पादन करने के इच्छुक हैं, इस प्रौद्योगिकी को निशुल्क हस्तांतरित करने में खुशी होगी।
Published By : Digital Desk
पब्लिश्ड 21 July 2021 at 00:27 IST