अपडेटेड 11 July 2024 at 18:28 IST
Pune: महाराष्ट्र में एक प्रोबेशनरी IAS अफसर कथित तौर पर जूनियर कर्मचारियों को नहीं मिलने वाले भत्ते हासिल करने के लिए विजुअल और मानसिक विकलांगता और अपने OBC बैकग्राउंड के बारे में झूठ बोलने के लिए जांच के दायरे में हैं। सत्ता के कथित दुरुपयोग के कारण ट्रांसफर पाने वाली खेडकर ने पुणे में सहायक कलेक्टर के रूप में अपनी पोस्टिंग से पहले एक अलग ऑफिस, एक कार और एक घर की मांग की।
पुणे कलेक्टर ऑफिस के साथ व्हाट्सएप मैसेज के जरिए की गई बातचीत से पता चला कि वह 3 जून को अपने ज्वाइनिंग डेट से पहले अपने बैठने की व्यवस्था और गाड़ी की मांग कर रही थी।
कलेक्टर ऑफिस की एक रिपोर्ट में, जिसमें खेडकर और एक अज्ञात व्यक्ति के बीच किए गए मैसेज के तीन स्क्रीनशॉट शामिल हैं, उनकी मांगों और आक्रामक जवाब को दिखाया गया है।
पहले कुछ मैसेज में से एक में ऐसा लग रहा है कि खेडकर अपना परिचय अधिकारी को दे रही हैं। मैसेज में लिखा था, "नमस्कार, मैं पूजा खेडकर IAS हूं। मुझे सहायक कलेक्टर पुणे के रूप में तैनात किया गया है। डॉ दिवासे सर ने मुझे आपका कॉन्टैक्ट नंबर दिया। मैं 3 जून को ज्वाइन करूंगी। हालांकि, मेरे कुछ डॉक्यूमेंट्स बुलढाणा कलेक्टर कार्यालय से भेजे गए हैं। कृपया मुझे बताएं कि क्या किया जा सकता है।"
जवाब था- "ठीक है। कोई बात नहीं। इसके बारे में हम सोमवार को पता लगा सकते हैं।" तब खेडकर ने उनके ऑफिस और एक सरकारी कार के बारे में जानकारी मांगी और लिखा- "ताकि मैं उसके अनुसार अपनी व्यवस्था कर सकूं।'' इस पर भी, उन्हें बताया गया कि सोमवार को कलेक्टर सर के साथ चर्चा की जाएगी।
23 मई को खेडकर ने फिर मैसेज भेजा- "आवास, ट्रैवलिंग, केबिन, आदि के बारे में कोई अपडेट?" कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर उसने अगले दिन कहा- "कृपया जवाब दें। यह जरूरी है।"
इसपर उनको जवाब दिया गया- 'गुड मॉर्निंग। आपके पहुंचने पर हम इसके बारे में देखेंगे।'
इस पॉइंट पर खेडकर नाराज हो गईं और जवाब दिया, “मुझे लगता है कि यह मेरे ज्वाइनिंग से पहले किया जाना चाहिए, बाद में नहीं। मेरे पास उस अनुसार प्लान बनाने के लिए कई चीजें हैं और मैं इसे बाद तक नहीं छोड़ सकती।
उनके फोन कॉल का जवाब नहीं मिलने पर खेडकर ने कहा, "क्या वापस कॉल करने में कोई समस्या है?"
चार दिन बाद उसने एक अल्टीमेटम भेजा: "कृपया 3 तारीख को मेरे शामिल होने से पहले केबिन और गाड़ी की व्यवस्था कर लें। बाद में कोई समय नहीं होगा। अगर यह संभव नहीं है तो मुझे बताएं, मैं उस अनुसार कलेक्टर साहब से बात करूंगी।"
जिला कलेक्टर ने खेडकर की इन असामान्य मांगों को मुख्य सचिव के समक्ष रखा। अपनी रिपोर्ट में उन्होंने सुझाव दिया कि पुणे में खेडकर की ट्रेनिंग जारी रखना अनुचित होगा और इससे प्रशासनिक जटिलताएं पैदा हो सकती हैं।
कलेक्टर की रिपोर्ट के अनुसार, खेडकर को चैंबर की पेशकश की गई थी, लेकिन उसके साथ बाथरूम अटैच न होने के कारण उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया। ज्वाइनिंग से पहले खेडकर ने अपने पिता दिलीप खेडकर के साथ ऑफिस का दौरा किया और उन्होंने खनन विभाग के बगल में एक VIP हॉल को अपने केबिन के रूप में उपयोग करने का प्रस्ताव रखा।
2023 बैच की IAS अधिकारी खेडकर को कई आरोपों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें उनके OBC बैकग्राउंड को गलत तरीके से पेश करना और उनकी गाड़ी, एक लक्जरी ऑडी सेडान, पर लाल बत्ती, सायरन (आमतौर पर VIP सरकारी वाहनों के लिए आरक्षित) और 'महाराष्ट्र सरकार' का प्रतीक का उपयोग करना शामिल है।
जिला कलेक्टर की रिपोर्ट के बाद खेडकर को अपनी ट्रेनिंग पूरा करने के लिए वाशिम जिले में ट्रांसफर कर दिया गया। उन्हें वाशिम में सहायक कलेक्टर के रूप में नियुक्त किया गया और वह 30 जुलाई, 2025 तक 'अतिरिक्त सहायक कलेक्टर' के रूप में वहां काम करेंगी। उन्होंने UPSC परीक्षा में 821 रैंक हासिल की और अपने ट्रांसफर से पहले वो पुणे में सहायक कलेक्टर के रूप में कार्यरत थीं।
वह अतिरिक्त कलेक्टर अजय मोरे की अनुपस्थिति में उनके ऑफिस का उपयोग करते हुए भी पाई गईं। कथित तौर पर उन्होंने ऑफिस का फर्नीचर हटा दिया और यहां तक कि लेटरहेड की भी रिक्वेस्ट की।
इस विवाद से सिविल सेवा परीक्षा के लिए उनके आवेदन को लेकर भी खुलासे हुए हैं। उनके द्वारा जमा किए गए विकलांगता और OBC क्रीमी लेयर सर्टिफिकेट की भी जांच की जा रही है। उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग को सौंपे हलफनामे में कथित तौर पर आंखों से देख पाने में कठिनाई और मानसिक बीमारी होने का दावा किया था।
केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) को सौंपे गए दस्तावेजों के अनुसार, खेडकर ने OBC और दृष्टिबाधित श्रेणियों के तहत UPSC परीक्षा दी थी। उन्होंने अपनी IAS पोस्टिंग पाने के लिए UPSC को मानसिक बीमारी का सर्टिफिकेट भी जमा किया था।
यह आरोप लगाया गया था कि उनके चयन के बाद खेडकर को उनके विकलांगता सर्टिफिकेट के सत्यापन के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), दिल्ली द्वारा बुलाया गया था। हालांकि, उन्होंने अप्रैल 2022 में COVID-19 संक्रमण का हवाला देते हुए मेडिकल परीक्षा से किनारा कर लिया।
बाद के पांच मौकों पर टेस्ट के लिए बुलाए जाने के बावजूद वो विभिन्न कारणों का हवाला देते हुए इनकार करती रहीं। बाद में यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने एक स्थानीय निजी अस्पताल से फर्जी विकलांगता सत्यापन रिपोर्ट जमा की और बाद में पुणे में एक प्रोबेशनरी अधिकारी के रूप में कार्यभार संभाला। UPSC ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) में उनके प्रस्तुत सर्टिफिकेट पर आपत्ति जताई। फिर भी उन्हें कथित तौर पर रहस्यमय परिस्थितियों में ज्वाइन करने के आदेश प्राप्त हुए। इसमें राजनीतिक प्रभाव की आशंका जताई जा रही है।
पब्लिश्ड 11 July 2024 at 18:28 IST