अपडेटेड 20 August 2025 at 19:32 IST

'याद दिलाना चाहता हूं कि मैंने अरेस्ट होने से पहले इस्तीफा दे दिया था...', लोकसभा में हंगामे के बाद अमित शाह का कांग्रेस पर पलटवार

Amit Shah: केंद्रीय मंत्री ने आगे लिखा, "भारतीय जनता पार्टी और NDA हमेशा नैतिक मूल्यों के पक्षधर रहे हैं।" उन्होंने कहा, "श्री लाल कृष्ण आडवाणी जी ने भी सिर्फ आरोप लगने पर ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। दूसरी ओर श्रीमती इंदिरा गांधी जी द्वारा शुरू की गई अनैतिक परंपरा को कांग्रेस पार्टी आज भी आगे बढ़ा रही है।"

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Amit Shah
Amit Shah | Image: लोकसभा

Amit Shah: आज बुधवार को संसद में विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया। यह हंगामा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के द्वारा पेश किए गए संविधान संशोधन (130वां संशोधन) विधेयक - 2025 समेत तीन विधेयकों को लेकर हुआ। इस दौरान विपक्ष की ओर से विरोध इतना जोरदार तरीके से किया गया कि उन्होंने बिल की कॉपी को सदन में फाड़कर गृह मंत्री अमित शाह की ओर फेंक दी।

वहीं, कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल और गृह मंत्री अमित शाह के बीच विधेयकों को लेकर "नैतिकता" को लेकर जुबानी जंग हुई। वेणुगोपाल ने कहा, "यह विधेयक संविधान के मूल सिद्धांतों को तहस-नहस करने के लिए है। भाजपा सदस्य कह रहे हैं कि यह विधेयक राजनीति में नैतिकता लाने के लिए है। क्या मैं गृह मंत्री से एक सवाल पूछ सकता हूं? जब वह गुजरात के गृह मंत्री थे, तब उन्हें गिरफ्तार किया गया था क्या उन्होंने उस समय नैतिकता कायम रखी थी?"

वेणुगोपाल को जवाब देते हुए शाह ने याद दिलाया कि उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए थे। उन्होंने कहा, "गिरफ्तार होने से पहले मैंने नैतिक आधार पर इस्तीफा दे दिया था और जब तक अदालत ने मुझे निर्दोष घोषित नहीं कर दिया, तब तक मैंने कोई संवैधानिक पद स्वीकार नहीं किया।" अमित शाह ने अब अपने आधिकारिक एक्स हैंडल से पोस्ट कर कांग्रेस पर पलटवार किया है।

मैं कांग्रेस को याद दिलाना चाहता हूं कि मैंने अरेस्ट होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था - अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट करके लिखा, "आज सदन में कांग्रेस के एक नेता ने मेरे बारे में व्यक्तिगत टिप्पणी भी की, कि जब कांग्रेस ने मुझे पूरी तरह से फर्जी केस में फंसाया और गिरफ्तार कराया, तब मैंने इस्तीफा नहीं दिया।  मैं कांग्रेस को याद दिलाना चाहता हूं कि मैंने अरेस्ट होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था और बेल पर बाहर आने के बाद भी, जब तक मैं अदालत से पूरी तरह निर्दोष साबित नहीं हुआ, तब तक मैंने कोई संवैधानिक पद नहीं लिया था। मेरे ऊपर लगाए गए फर्जी केस को अदालत ने यह कहते हुए खारिज किया कि केस political vendetta से प्रेरित है।"

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इंदिरा गांधी जी द्वारा शुरू की गई अनैतिक परंपरा को कांग्रेस पार्टी आज भी आगे बढ़ा रही है  - अमित शाह 

केंद्रीय मंत्री ने आगे लिखा, "भारतीय जनता पार्टी और NDA हमेशा नैतिक मूल्यों के पक्षधर रहे हैं।" उन्होंने कहा, "श्री लाल कृष्ण आडवाणी जी ने भी सिर्फ आरोप लगने पर ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। दूसरी ओर श्रीमती इंदिरा गांधी जी द्वारा शुरू की गई अनैतिक परंपरा को कांग्रेस पार्टी आज भी आगे बढ़ा रही है।" अमित शाह ने अपनी एक्स पोस्ट में लिखा, "जिस श्री लालू प्रसाद यादव जी को बचाने के लिए कांग्रेस पार्टी अध्यादेश लाई थी, जिसका श्री राहुल गांधी ने विरोध किया था, आज वही राहुल गांधी पटना के गांधी मैदान में लालू जी को गले लगा रहे हैं। विपक्ष का यह दोहरा चरित्र जनता भली-भांति समझ चुकी है।"


आज विपक्ष जनता के बीच पूरी तरह से expose हुआ - अमित शाह

अमित शाह ने अपनी इस पोस्ट में लिखा है कि आज विपक्ष जनता के बीच पूरी तरह से expose हुआ। उन्होंने कहा, “पहले से स्पष्ट था कि यह बिल पार्लियामेंट की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के समक्ष रखा जाएगा, जहां इस पर गहन चर्चा होगी, फिर भी सभी प्रकार की शर्म और हया छोड़कर, भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए, कांग्रेस के नेतृत्व में पूरा INDI गठबंधन एकत्रित होकर इसका भद्दे व्यवहार से विरोध कर रहा था। आज विपक्ष जनता के बीच पूरी तरह से expose हुआ है।”

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संसद की संयुक्त समिति को भेजे गए तीनों विधेयक

न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के द्वारा लोकसभा में तीन बिल पेश किए गए। ये संविधान (एक सौ तीसवां संशोधन) विधेयक, 2025; केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 थे। विपक्ष के विरोध के बाद इन तीनों बिल को संसद की संयुक्त समिति (JPC) को भेज दिया गया। विधेयकों को सदन की एक संयुक्त समिति को भेजा गया, जिसमें इस सदन के 21 सदस्य शामिल होंगे जिन्हें लोकसभा अध्यक्ष द्वारा नामित किया जाएगा तथा राज्य सभा के 10 सदस्य शामिल होंगे जिन्हें उपसभापति द्वारा नामित किया जाएगा।

क्या किसी मंत्री, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री का जेल से सरकार चलाना सही है? - अमित शाह


अमित शाह ने अपने एक अन्य एक्स पोस्ट में लिखा, "राजनीति में नैतिक मानदंडों को बहाल करने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता और इस बुराई के प्रति जनता के आक्रोश को देखते हुए, आज लोकसभा अध्यक्ष की अनुमति से, मैंने संविधान संशोधन विधेयक पेश किया है जो जेल में रहते हुए लोगों को प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, या केंद्रीय या राज्य मंत्री जैसे महत्वपूर्ण संवैधानिक पदों पर आसीन होने से रोकेगा।" उन्होंने आगे कहा कि इसका उद्देश्य गिरते नैतिक मानदंडों को ऊपर उठाना और राजनीति में ईमानदारी बनाए रखना है। ये तीनों विधेयक निम्नलिखित नियमों को लागू करेंगे: 
1. गिरफ्तार और जेल में बंद कोई भी व्यक्ति केंद्र या राज्य सरकार में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री के रूप में कार्य नहीं कर सकता। 
2. जब संविधान का निर्माण हुआ था, तब इसके निर्माताओं ने यह कल्पना भी नहीं की होगी कि भविष्य में, राजनीतिक नेता गिरफ्तार होने के बाद भी नैतिक आधार पर इस्तीफा देने से इनकार कर देंगे। हाल के वर्षों में, देश ने ऐसे चौंकाने वाले उदाहरण देखे हैं जहां मुख्यमंत्री या मंत्री बिना इस्तीफा दिए जेल से सरकार चलाते रहे। 
3. इन विधेयकों में यह भी प्रावधान है कि आरोपी राजनेता को गिरफ्तारी के 30 दिनों के भीतर जमानत मिलनी चाहिए। अगर वे 30 दिनों के भीतर जमानत हासिल करने में विफल रहते हैं, तो 31वें दिन प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री को उन्हें हटाना होगा; अन्यथा, कानूनन वे पदभार ग्रहण करने के योग्य नहीं रहेंगे। उचित कानूनी प्रक्रिया के तहत जमानत मिलने के बाद, ऐसे नेताओं को उनके पदों पर बहाल किया जा सकता है। अब देश की जनता को यह तय करना है: क्या किसी मंत्री, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री का जेल से सरकार चलाना सही है?

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Published By : Amit Dubey

पब्लिश्ड 20 August 2025 at 18:44 IST