अपडेटेड May 10th 2025, 23:31 IST
पहलगाम हमले का बदला लेने के भारत ने 6 मई की रात को जिस तरह से 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया और पाकिस्तानी के आतंकी कैंपों को तबाह कर पूरी दुनिया को संदेश दिया कि अब भारत किसी भी सूरत में आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा। लेकिन शनिवार की शाम को अचानक वो खबर आई कि पूरा माहौल ही बदल गया। इस खबर का अंदाजा शायद ही किसी को रहा हो। भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम का ऐलान कर दिया गया। 10 मई की शाम को एक नाटकीय अंदाज में इस बात का ऐलान हुआ। भारत और पाकिस्तान के बीच पिछले चार दिनों से जारी सीमा पार गोलीबारी और तनाव आखिरकार थम गया है। दोनों देशों ने शनिवार शाम 5 बजे से एक-दूसरे पर कोई हमला न करने पर सहमति जताई है।
भारत और पाकिस्तान के बीच यह निर्णय आपसी बातचीत के जरिए लिया गया, जिसकी जानकारी विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया कि पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशक (DGMO) ने भारतीय DGMO को शनिवार दोपहर 3:35 बजे फोन किया, और उसी बातचीत में संघर्ष विराम पर सहमति बनी। यह एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम माना जा रहा है। हालांकि, इस घटनाक्रम में एक नया मोड़ तब आया जब अमेरिक के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से दावा किया कि यह सीजफायर अमेरिका की मध्यस्थता से संभव हो पाया। अमेरिका ने इस सफलता का श्रेय खुद को दिया है। लेकिन भारत ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है और कहा है कि यह निर्णय पूरी तरह से द्विपक्षीय बातचीत का नतीजा है। अब पूरे घटनाक्रम में सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर पाकिस्तान ने अचानक सीजफायर पर सहमति क्यों जताई? आइए पूरे घटनाक्रम की टाइमलाइन क्रमवार समझते हैं।
भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव चौथे दिन चरम पर पहुंच चुका था। पाकिस्तान की उकसावे वाली कार्रवाईयों का भारत कड़ा जवाब दे चुका था और शनिवार की रात को लेकर तमाम अटकलें लगाई जा रही थीं क्या संघर्ष और बढ़ेगा या कोई नया मोड़ आएगा? तभी शाम 5 बजकर 33 मिनट पर अचानक अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रंप की ओर से एक चौंकाने वाला एक्स पोस्ट सामने आता है। महज आठ पंक्तियों के इस ट्वीट में ट्रंप ने ऐलान किया, ‘मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि संयुक्त राज्य अमेरिका की मध्यस्थता में लंबी बातचीत के बाद भारत और पाकिस्तान ने पूरी तरह से और तत्काल युद्धविराम पर सहमति जताई है। मैं दोनों देशों को कॉमन सेंस और समझदारी के लिए बधाई देता हूं। इस मामले पर ध्यान देने के लिए धन्यवाद।’
ट्रंप के दावे को भारत ने किया खारिज
इस घोषणा ने न सिर्फ मीडिया में हलचल मचा दी, बल्कि कूटनीतिक गलियारों में भी सरगर्मी ला दी। लेकिन ट्रंप के ट्वीट में जो ‘ट्विस्ट’ था, वह यह कि भारत ने अमेरिकी मध्यस्थता की बात को पूरी तरह खारिज कर दिया। भारत के विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि युद्धविराम पर सहमति पूरी तरह दोनों देशों के बीच सीधे संवाद और DGMO स्तर की बातचीत का नतीजा थी, न कि किसी तीसरे पक्ष की भूमिका का। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया कि पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत को शनिवार दोपहर फोन कर बातचीत शुरू की थी और इसी दौरान सीजफायर की सहमति बनी। अब बड़ा सवाल यह है कि ट्रंप ने यह दावा क्यों किया? और क्या यह केवल अंतरराष्ट्रीय छवि निर्माण की कोशिश थी या कोई और रणनीतिक कारण इसके पीछे था?
भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच बड़ी कूटनीतिक पहल देखने को मिली। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बीच सीजफायर पर सहमति बनने के महज 4 मिनट बाद ही अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो का बयान सामने आया। उन्होंने कहा, "पिछले 48 घंटों से मैं और उप-राष्ट्रपति जेडी वेन्स भारत और पाकिस्तान के शीर्ष नेताओं प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के लगातार संपर्क में थे। मुझे खुशी है कि दोनों देश अब संघर्षविराम (सीजफायर) पर सहमत हो गए हैं।" अमेरिका की यह मध्यस्थता क्षेत्रीय शांति की दिशा में अहम मानी जा रही है, खासकर उस समय जब सीमा पर हालात बेहद तनावपूर्ण थे।
भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम (सीजफायर) की सहमति के ऐलान के तुरंत एक मिनट बाद पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री इशाक डार का बयान सामने आया। उन्होंने सोशल मीडिया पर पुष्टि की कि दोनों देशों के बीच तत्काल प्रभाव से युद्ध विराम लागू हो गया है। अपने पोस्ट में डार ने लिखा, “पाकिस्तान ने हमेशा अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से समझौता किए बिना क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए प्रयास किए हैं। यह सीजफायर इसी जिम्मेदारी का हिस्सा है।” इस बयान को पाकिस्तान की ओर से शांति स्थापना की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है, खासकर तब जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका की कूटनीतिक पहल के बाद यह सहमति बनी है।
इसके बाद शाम 5:54 बजे विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने एक संक्षिप्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम की औपचारिक घोषणा की। उन्होंने बताया कि दोनों देशों के सैन्य अभियान महानिदेशकों (DGMO) के बीच शुक्रवार दोपहर 3:35 बजे फोन पर बातचीत हुई, जिसके बाद शाम 5 बजे से पूर्ण युद्धविराम लागू करने पर सहमति बनी। मिस्री ने कहा, “भारत हमेशा क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध रहा है। पाकिस्तान के डीजीएमओ से हुई सकारात्मक बातचीत के बाद यह निर्णय लिया गया।” इस सीजफायर को कूटनीतिक स्तर पर एक बड़ी सफलता माना जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब सीमा पर तनाव अपने चरम पर था।
शनिवार शाम 6 बजकर 7 मिनट पर भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने एक आधिकारिक ट्वीट जारी किया, जिसमें साफ कहा गया कि भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ युद्धविराम (सीजफायर) पूरी तरह से द्विपक्षीय निर्णय था। मंत्रालय ने विदेश सचिव विक्रम मिसरी की उस प्रेस कॉन्फ्रेंस की बात को दोहराया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया था कि दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच सीधी बातचीत के बाद यह सहमति बनी। भारत का यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे के तुरंत बाद आया, जिसमें उन्होंने कहा था कि यह सीजफायर अमेरिका की मध्यस्थता का नतीजा है। भारत ने इस दावे को सीधे तौर पर खारिज कर दिया है और साफ कर दिया है कि इस प्रक्रिया में कोई तीसरा पक्ष शामिल नहीं था। भारत के इस जवाब के बाद साफ हो गया है कि वह अपनी विदेश नीति और क्षेत्रीय मामलों में किसी बाहरी हस्तक्षेप को मान्यता नहीं देता, खासकर जब बात पाकिस्तान जैसे संवेदनशील पड़ोसी से हो रही हो।
पब्लिश्ड May 10th 2025, 21:22 IST