अपडेटेड 19 July 2025 at 16:46 IST

पाकिस्तान के लिए सिर दर्द बनने वाली ब्रह्मोस मिसाइल बनी कैसे? सुधीर मिश्रा ने बताई कहानी

पाकिस्तान को धुआं-धुआं करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल की चर्चा आज पूरी दुनिया में हो रही है। जाने माने रक्षा वैज्ञानिक डॉ. सुधीर कुमार मिश्रा ने विस्तार से बताया कि कैसे ब्रह्मोस मिसाइल बनी।

Follow : Google News Icon  
 Dr. Sudhir Kumar Mishra
Dr. Sudhir Kumar Mishra | Image: Republic

ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को धुआं-धुआं करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल की चर्चा आज पूरी दुनिया में हो रही है। जाने माने रक्षा वैज्ञानिक डॉ. सुधीर कुमार मिश्रा ने विस्तार से बताया कि कैसे ब्रह्मोस मिसाइल बनी। उन्होंने बताया कि 1983 में भारत सरकार ने एक प्रोजेक्ट शुरू किया था इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल प्रोग्राम, इसके अंदर पृथ्वी, अग्नि, आकाश, नाग और त्रिशूल हैं। जिसमें से आप चार को बहुत अच्छे से जानते हैं, पांचवें का अपना अलग इतिहास है, अलग स्टोरी है।

डॉ. मिश्रा ने बताया कि दुनिया में जब भी कोई हाईटेक प्रोजेक्ट करते हैं, सब कुछ अपने आप नहीं बनाते हैं। आप पूरी दुनिया से सोर्सिंग करते हैं, कंपोनेंट्स की, मैटेरियल्स की, सब सिस्टम की, नॉलेज की, लेकिन तभी बुद्ध स्माइलिंग इन इंडिया। पूरी दुनिया ने हमारे ऊपर प्रतिबंध लगा दिया है। जब प्रतिबंध लगा दिए तो जो एल्युमिनियम होता है वह भी हमको नहीं मिल पाता था। बाकी जो स्पेशल सामान वह बहुत दूर की बात थी।

ब्रह्मोस मिसाइल कहानी डॉ. सुधीर कुमार मिश्रा जुबानी

डॉ. सुधीर कुमार मिश्रा ने कहा कि हम भारतीयों का एक ऐसा नेचर होता है कि अगर कोई इन्हें किनारे करने की कोशिश करें, अगर हमें बता दो कि अब आपको कमजोर होना है और हम आपको खत्म कर देंगे, तब हम ताकत बनकर दुनिया के सामने आते हैं और कहते हैं कि हमको दुनिया की जरूरत नहीं हम अपने आप सब खुद कर लेंगे। अपने ही देश में हमने पूरी टेक्नोलॉजी डेवलप की।  1993 में हम आर्थिक रूप से बहुत कमजोर थे, हमारे पास 9 दिन के तेल खरीदने का पैसा था, सोवियत यूनियन का विघटन हो चुका था, उनके पास भी पैसा नहीं था, 1993 में डॉक्टर कलाम ने मॉस्को विजिट की।

Advertisement

कैसे बनी ब्रह्मोस मिसाइल?

डॉ. मिश्रा ने बताया कि मॉस्को में जब डॉक्टर कलाम को रूस के मिसाइल वैज्ञानिक मिले तो उन्होंने सुपरसोनिक इंजन की एक पिक्चर डॉक्टर कलाम को दिखाई। उन्होंने कहा यह इंजन हम बना रहे थे लेकिन बना नहीं पाए बहुत सारे रीजंस हैं। यह मेरे दिल की बहुत करीब है, एक बार इसे देखें। डॉक्टर कलाम ने कहा आईजीएमबीपी में हमने बहुत टेक्नोलॉजी डेवलप की है। बहुत सारी सिस्टम टेक्नोलॉजी डेवलप की है, आपने यह इंजन डेवलप किया है, आपके पास और भी टेक्नोलॉजी होगी, क्यों ना हम इन सारी तकनीक को एक साथ लाकर वर्ल्ड फास्टेस्ट क्रूज मिसाइल बनाएं।

Advertisement

दुनिया देख रही ब्रह्मोस मिसाइल का दम

वर्ल्ड फास्टेस्ट क्रूज मिसाइल जो अमेरिका ने भी नहीं बनाई है, ब्रिटेन ने भी नहीं बनाई है, फ्रांस ने नहीं बनाई है, चीन ने नहीं बनाई है, उसके बारे में बात कर रहे हैं। यह एक आईडिया था। कलाम साहब जब रूस से लौट कर आए उन्होंने एक टीम बनाई। उस टीम ने मिलकर एक फ्रेमवर्क तैयार किया कि हम मिसाइल बना सकते हैं और उसका नाम रखा गया ब्रह्मोस भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मॉस्को नदी को मिलाकर इसका नाम ब्रह्मोस रखा गया। हमने यह डिसाइड किया कि यह मिसाइल टेक्नोलॉजी ट्रांसफर नहीं होगी यह ज्वाइंट डेवलपमेंट होगी। आप आधा हिस्सा ले लीजिए, आप बनाइएस आधा हिस्सा हम ले लेते हैं हम बनाएंगे और दोनों को इंटीग्रेटेड करेंगे इंडिया के अंदर क्योंकि हमारे पास पर्याप्त तकनीक थी। इस तरह ब्रह्मोस का बनना शुरू हुआ जिसे आज पूरी दुनिया देख रही है। 

इसे भी पढ़ें: पाकिस्तान वार्ता के लायक नहीं... उसे सपोर्ट करने वाला हर इंसान आतंकवादी, नम आंखों से बोलीं शुभम द्विवेदी की पत्नी

Published By : Deepak Gupta

पब्लिश्ड 19 July 2025 at 16:46 IST