अपडेटेड 23 April 2025 at 14:37 IST
Pahalgam Attack: पहलगाम पहुंच पीड़ितों से मिलने के बाद अमित शाह की दो टूक- मासूमों को मारने वाले आतंकियों को बख्शेंगे नहीं
गृहमंत्री अमित शाह ने पीड़ित परिवारों के परिजनों से मुलाकात की है। इस मुलाकात के शाह ने वादा किया, इस आतंकी हमले के पीछे जो भी हो उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।
- भारत
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Amit Shah on Pahalgam Terror Attack: पहलगाम में पर्यटकों पर आतंकी हमले में 28 हिन्दुस्तानियों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। इस हमले के बाद देश के गृहमंत्री अमित शाह ने पीड़ित परिवारों के परिजनों से मुलाकात की है। अमित शाह ने इस मुलाकात के बाद पीड़ित परिवारों और पूरे देश से इस बात का वादा किया है कि वो इस आतंकी हमले के पीछे जो भी हो उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। इसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस हमले को लेकर संकेत दिए हैं कि भारत इस हमले का बदला जरूर लेगा। समय भले लगे लेकिन भारत इस पर पलटवार जरूर करेगा। इसके पहले उरि हमले पर भी भारत ने जोरदार पलटवार किया था जिसे पूरी दुनिया ने देखा था।
पूरे देश में पहलगाम टेरर अटैक को लेकर बदले की मांग उठ रही है। हमले के बाद किसी बड़े एक्शन से पहले गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर जाकर हर हालात का जायजा लिया है और वहां के स्थानीय आला अधिकारियों से बातचीत की है। इस बीच अमित शाह ने उन पीड़ित परिवारों से भी मुलाकात की है जिन्होंने आतंकियों की इस कायराना हरकत में अपने परिजनों को खो दिया है। इस मुलाकात के दौरान अमित शाह ने इन परिवारों और पूरे देश से ये वादा किया है, 'पहलगाम के आतंकी हमले में अपनों को खोने का दर्द हर भारतीय को है। इस दुःख को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता।
मैं अपने इन सभी परिवारों और पूरे देश को विश्वास दिलाता हूँ कि बेगुनाह मासूम लोगों को मारने वाले इन आतंकियों को बिल्कुल बख्शा नहीं जाएगा।'
आतंकियों ने हमले से पहले उतरवाई पर्यटकों की पैंट
पहलगाम टेरर अटैक ने हमले से पहले ये चेक किया कि पर्यटक किस धर्म से हैं। उन्होंने गोली मारने से पहले पुरुषों की पैंट उतरवाई, उनका प्राइवेट पार्ट चेक किया ताकि वो इस बात की तसल्ली कर सकें कि वो जिसकी हत्या करने जा रहे हैं वो पक्का हिन्दू ही हैं। पहले आतंकियों ने पर्यटकों के नाम पूछे और फिर हाथ में कलावा देखा उसके बाद इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया। इन पर्यटकों को शुरुआत में इस बात का पता नहीं था कि वो आतंकी हैं क्योंकि वो सेना की वर्दी में आए थे। आतंकियों ने पर्यटकों की हत्या करने से पहले उनसे कलमा भी पढ़वाया था। इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है।
'द रेजिस्टेंस फ्रंट': लश्कर-ए-तैयबा का नया चेहरा
'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) को भले ही एक नया नाम और नई पहचान दी गई हो, लेकिन इसके पीछे छुपी सच्चाई पुरानी और घातक है। यह संगठन असल में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का ही एक मुखौटा है। इस संगठन की कमान पाकिस्तान में बैठे शेख सज्जाद गुल के हाथों में है, जो लगातार जम्मू-कश्मीर में हमलों के लिए स्थानीय मॉड्यूल्स को निर्देश देता है। TRF को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद एक ऑनलाइन यूनिट के तौर पर लॉन्च किया गया था, लेकिन अब यह सीधे-सीधे ज़मीन पर हिंसा फैलाने में जुटा है।
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TRF का मकसद भी वही, जो लश्कर-ए-तैयबा का
माना जाता है कि इस संगठन को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य लश्कर जैसे आतंकी संगठनों को एक वैकल्पिक और 'लोकल' चेहरा देना था, ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन संगठनों पर लगने वाले दबाव से बचा जा सके। TRF को पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी ISI का पूरा समर्थन प्राप्त है, जो इसे रणनीतिक, तकनीकी और हथियारों की मदद प्रदान करते हैं। TRF सिर्फ नाम बदलने की कोशिश है। इसका भी मकसद वही पुराना है: भारत में आतंक फैलाना, खासकर जम्मू-कश्मीर को अस्थिर करना।
पहलगाम और इजरायल: दो हमले, एक जैसी क्रूरता
हाल ही में पहलगाम में हुआ आतंकी हमला एक भयानक याद दिलाता है—7 अक्टूबर 2023 को इज़रायल में हुए उस खौफनाक हमले की, जब हमास के आतंकवादियों ने 1,200 से अधिक लोगों की जान ले ली थी। इन मृतकों में 250 वे लोग थे जो रेइम के पास आयोजित नोवा म्यूजिक फेस्टिवल में हिस्सा लेने आए थे। जश्न और संगीत के माहौल में लिप्त पर्यटक पूरी तरह से बेफिक्र और निहत्थे थे। इसी हमले के दौरान हमास ने करीब 250 इज़रायली नागरिकों को बंधक भी बना लिया था। यह पूरी घटना सिर्फ एक आतंकी हमले से कहीं ज़्यादा थी। यह घृणा की क्रूर अभिव्यक्ति थी, जिसमें खुशी, मासूमियत और शांति को निशाना बनाया गया।
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पहलगाम में दिखा हमास हमले का पैटर्न
पहलगाम की घटना भी कुछ इसी पैटर्न को दोहराती दिखी- जहां निर्दोष और निहत्थे नागरिक आतंकवादियों की नफरत का शिकार बने। ये हमले सिर्फ लोगों की जान नहीं लेते, बल्कि समाज की उस बुनियाद को भी हिला देते हैं जो शांति, भाईचारे और मानवता पर टिकी होती है। चाहे वो इज़रायल की धरती हो या कश्मीर की वादियां, इन हमलों ने एक बार फिर दुनिया को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आतंकवाद किसी धर्म, किसी सरहद, और किसी इंसानियत को नहीं पहचानता। TRF के आतंकियों ने सैलानियों से उनका धर्म पूछा, अजान सुनाने को कहा और गोली मार दी। 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल में हुए हमले में हमास के आतंकियों ने भी यहूदी नागरिकों को चुन-चुनकर मारा, खासकर उन समुदायों को जो गाजा सीमा के पास के थे। दोनों हमलों में आतंकियों की मजहब के आधार पर चुनने की नीति स्पष्ट दिखी।
Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 23 April 2025 at 14:16 IST