अपडेटेड 8 February 2024 at 14:46 IST

इतिहासकार इरफान हबीब का बड़ा दावा- काशी और मथुरा में तोड़े गए थे मंदिर, अभी बदलाव कानून से ही संभव

प्रख्यात इतिहासकार प्रोफेसर Irfan Habib का कहना है कि वाराणसी-मथुरा में मंदिर थे, इन्हें तोड़ा गया ये बिल्कुल सही है।

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Historian Irfan Habib
प्रख्यात इतिहासकार इरफान हबीब | Image: Republic

Historian Irfan Habib Big Statement: अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर और मथुरा की कृष्ण जन्मभूमि के लिए लड़ाई कानूनी तौर पर लड़ी जा रही है। देश में भी जन आवाज उठ रही है कि काशी और मथुरा का समाधान करके विवादित जमीन वापस की जाए। हालांकि इस बीच काशी और मथुरा विवाद पर प्रख्यात इतिहासकार इरफान हबीब ने बड़ा बयान दिया है। इतिहासकार इरफान हबीब ने दावा किया है कि काशी और मथुरा के मंदिरों को इतिहास में तोड़ा गया था।

प्रख्यात इतिहासकार प्रोफेसर इरफान हबीब का कहना है कि वाराणसी-मथुरा में मंदिर थे, इन्हें तोड़ा गया ये बिल्कुल सही है। इरफान हबीब ने यहां तक बताया कि इनका जिक्र इतिहास की कई किताबों में किया गया है और ये साबित करने के लिए किसी सर्वे या कोर्ट-कचहरी की कोई जरूरत नहीं है।

औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाईं: इतिहासकार इरफान

इरफान हबीब ने अपने बयान में कहा, ‘वीर सिंह बुंदेला बुंदेलखंड के राजा हुआ करते थे, उन्होंने मंदिर बनाया था। बाद में औरंगजेब के जमाने में मंदिर को तुड़वा दिया गया और शाही ईदगाह मस्जिद बनाई गई। यही काशी विश्वनाथ के साथ वाराणसी में हुआ था। इसमें तो दोराय नहीं, ये सब तारीखों में लिखा हुआ है।’

प्रख्यात इतिहासकार इरफान हबीब (Image: Republic)

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इरफान हबीब ने की कानून में बदलाव की बात

प्रख्यात इतिहासकार इरफान हबीब यहां तक कह रहे हैं कि 1947 की स्थिति बरकरार रखनी होगी। अगर कोई तब्दीली करनी है तो कानून बदलना होगा। प्रोफेसर कहते हैं कि 300 साल बाद हमें इन्हें दुरुस्त करने का औचित्य नहीं है।

इतिहासकार इरफान हबीब का कहना है, 'काशी-मथुरा में बदलाव कानून से ही संभव है। 1991 के उपासना स्थल कानून के तहत इनका मौजूदा स्वरूप संरक्षित है। इसके मुताबिक, 1947 की स्थिति बरकरार रखनी होगी। अगर कोई तब्दीली करनी है तो कानून बदलना होगा।'

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Published By : Amit Bajpayee

पब्लिश्ड 8 February 2024 at 14:34 IST