अपडेटेड 29 February 2024 at 11:39 IST
हिमाचल में कांग्रेस और BJP के बीच शह मात का खेल जारी, 6 बागियों पर स्पीकर के पाले में गेंद,आगे क्या?
हिमाचल प्रदेश में सियासत का अगला दांव क्या होगा, कौन जीतेगा और किसके हाथ खाली रहेंगे? इसका पूरा दारोमदार स्पीकर पर है।

Himachal Pradesh Update: ये सब नंबरों का खेला है। स्पीकर के पाले में गेंद है। वो डिसाइड करेंगे कि दल बदलू कानून के दायरे में बागी कांग्रेसी आते हैं या नहीं। क्या हिमाचल में कांग्रेस सरकार बचेगी, क्या बहुमत के खेल में पास हो जाएगी!
अपने कैंडिडेट अभिषेक मनु सिंघवी को जिताने के लिए सुक्खू 40 कांग्रेसी और दो निर्दलियों समेत तीन अन्य विधायकों के समर्थन के साथ गई थी लेकिन नतीजों ने सुक्खू सरकार की ही फजीहत करा दी। नतीजे आए तो संख्या बल का खेला शुरू हो गया। वोटों का गणित ऐसा बैठा कि सुक्खू सरकार का भविष्य ही अधर में लटक गया।
दरअसल, हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया 6 दलबदलू कांग्रेस विधायकों के भविष्य पर आदेश सुना सकते हैं। कांग्रेस विधायक और संसदीय कार्य मंत्री हर्ष वर्धन चौहान ने दलबदल विरोधी कानून के तहत 6 को अयोग्य ठहराने के लिए याचिका दायर की थी।
स्पीकर के हाथ में बाजी!
विधानसभा का नंबरगेम उलझ चुका है। व्हिप के खिलाफ जाकर क्रॉस वोटिंग करने वालों पर क्या दल बदलू कानून लागू होगा या फिर क्लिन चिट मिल जाएगी। ये भी थोड़ा उलझा हुआ मामला है। दिक्कत ये है कि भाजपा भी हार मानने को तैयार नहीं है, एक्टिव मोड में हर जोड़ का तोड़ तलाश रही है। हिमाचल विधानसभा में विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर 28 फरवरी की सुबह-सुबह ही राजभवन पहुंच गए। उन्होंने फाइनेंस बिल से पहले डिवीजन वोटिंग की मांग की। उन्होंने स्पीकर पर भी पक्षपात का आरोप लगाया। विपक्ष सरकार को बहुमत साबित करने की चुनौती देने की जगह डिवीजन वोटिंग की डिमांड कर रहा है तो उसके पीछे क्या है?
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डिवीजन वोटिंग क्यों?
जयराम ठाकुर डिवीजन वोटिंग की डिमांड कर रहे हैं तो यह फूंक-फूंक कर कदम रखने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। कांग्रेस के पास अब भी स्पीकर समेत 34 विधायकों का समर्थन हैं। अब अगर डिवीजन वोटिंग होती है तो सरकार के पास 33 वोट बचेंगे और विपक्ष को यह उम्मीद है कि 34 वोट के साथ प्रस्ताव धड़ाम से गिर जाएगा। संदेश चला जाएगा कि सुक्खू सरकार अल्पमत में है।
हिमाचल विधानसभा का नंबरगेम
हिमाचल विधानसभा की संख्या 68 विधायकों की है। कांग्रेस के 40 हैं जिनमें से छह विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की। कांग्रेस के अपने विधायकों की संख्या बागियों को हटा दें तो 34 पर आ गई है। दो निर्दलीय समेत तीन अन्य विधायकों ने भी राज्यसभा चुनाव में बीजेपी को वोट किया था। बीजेपी के 25 विधायक हैं और कांग्रेस के छह बागियों के साथ ही तीन अन्य को भी जोड़ लें तो सरकार के खिलाफ यानि जो विधायक फिलहाल विपक्ष में नजर आ रहे हैं, उनकी तादाद भी सत्तापक्ष के बराबर 34 ही है। दोनों दल अपना स्पीकर नहीं चाहते क्योंकि उस दशा में स्पीकर का वोट काउंट नहीं होगा और पासा पलट जाएगा। ऐसी स्थिति में दल बदलू कानून के तहत एक्शन डूबती लुटिया को बचा सकता है। अयोग्यता की कार्यवाही से बचने के लिए दो तिहाई यानी कांग्रेस के कुल 27 विधायकों के पालाबदल की जरूरत होगी जो मुश्किल है और इससे भाजपा को फायदा कम और कांग्रेस का लाभ ज्यादा है।
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Published By : Kiran Rai
पब्लिश्ड 29 February 2024 at 11:14 IST