अपडेटेड 27 February 2024 at 19:00 IST

कौन हैं ग्रुप कैप्टन प्रशांत नायर? सुखोई से लॉन्च की थी सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल अब बनें एस्ट्रोनॉट

ISRO Mission Gaganyan : ISRO का लक्ष्य 2025 तक स्पेस में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने का है। PM मोदी ने खुद अंतरिक्ष यात्रियों को एस्ट्रोनॉट विंग्स पहनाए।

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ISRO Mission Gaganyan Astronauts
ग्रुप कैप्टन प्रशांत नायर | Image: X/Republic/IAF

ISRO Mission Gaganyan Astronauts : भारत के मिशन गगनयान (ISRO Mission Gaganyan) पर ISRO तेजी से काम कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को उन चार अंतरिक्ष यात्रियों के नामों की घोषणा की, जो देश के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन- गगनयान के लिए प्रशिक्षण ले रहे हैं। इसरो का लक्ष्य साल 2025 तक स्पेस में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने का है। PM मोदी ने खुद ही अंतरिक्ष यात्रियों को एस्ट्रोनॉट विंग्स पहनाए।

पीएम मोदी ने केरल के तिरुवनंतपुरम के पास थुंबा में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) का मंगलवार को दौरा किया। उन्होंने इस दौरान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की तीन प्रमुख अंतरिक्ष बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन किया। पीएम ने VSSC में बताया कि ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, अंगद प्रताप, अजीत कृष्णन और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला गगनयान मिशन के लिए नामित अंतरिक्ष यात्री हैं।

अंतरिक्ष यात्रियों से मिलते हुए पीएम मोदी

कौन हैं एस्ट्रोनॉट प्रशांत नायर?

अंतरिक्ष यात्रियों में केरल के रहने वाले ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर भी शामिल हैं। प्रशांत नायर भारत के गगनयान मिशन का नेतृत्व करेंगे। ग्रुप कैप्टन नायर के बारे में एक दिलचस्प तथ्य यह है कि उन्होंने 2016 में पहली बार Su-30 MKI से सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल लॉन्च की थी।

केरल से गगनयान का सफर

ग्रुप कैप्टन प्रशांत नायर, एक सुखोई फाइटर पायलट हैं। उनका जन्म 26 अगस्त, 1976 को केरल में हुआ था। उनकी यात्रा एनएसएस इंजीनियरिंग कॉलेज, पलक्कड़ से शुरू हुई, जहां से वो एनडीए में शामिल हुए। उन्होंने वायु सेना अकादमी में स्वोर्ड ऑफ ऑनर अर्जित किया, प्रशिक्षण पूरा किया और जून 1999 में वायु सेना में नियुक्त हुए।

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ग्रुप कैप्टन नायर करीब 3000 घंटे की उड़ान के अनुभव के साथ एक फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर और टेस्ट पायलट रहे हैं। उनके पास Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, हॉक, डोर्नियर और An-32 सहित अलग-अलग विमान उड़ाने का अनुभव है। उन्हें यूएस एयर कमांड और स्टाफ कॉलेज से प्रथम श्रेणी सम्मान प्राप्त हुआ है। 1998 में हैदराबाद वायु सेना अकादमी से 'स्वोर्ड ऑफ ऑनर' भी मिला है।

ग्रुप कैप्टन प्रशांत नायर और अंगद प्रताप: ब्रह्मोस से गगनयान तक

उन्होंने Su-30 स्क्वाड्रन की कमान संभाली और न केवल भारत के पहले हवाई-प्रक्षेपित ब्रह्मोस को फायर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि भारत को इस विशेष क्षमता वाले कुछ देशों के समूह में खड़ा कर दिया। दिलचस्प बात यह है कि 2017 के एक परीक्षण के दौरान, तत्कालीन स्क्वायर लीडर (अब ग्रुप कैप्टन) अंगद प्रताप भी गगनयान चालक दल का हिस्सा हैं।

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इसके अलावा, ग्रुप कैप्टन नायर ने रूस में अपने 18 महीने के लंबे प्रशिक्षण के दौरान गगनयान मिशन के लिए चुने गए पायलटों की टीम का नेतृत्व किया। ऐतिहासिक मिशन की तैयारी के लिए बेंगलुरु के मानव अंतरिक्ष केंद्र में अतिरिक्त प्रशिक्षण हुआ।

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 27 February 2024 at 19:00 IST