Published 21:18 IST, September 3rd 2024
सरकार ने 23वें विधि आयोग का गठन किया, UCC और गरीबों से संबंधित कानूनों को महत्व
23rd Law Commission: पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई वाली एक उच्च स्तरीय समिति ने मार्च में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर एक रिपोर्ट सौंपी थी।
New Delhi: सरकार ने तीन साल की अवधि के लिए 23वें विधि आयोग के गठन की अधिसूचना जारी कर दी है। उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के सेवारत न्यायाधीश इसके अध्यक्ष और सदस्य होंगे।
विधि आयोग इस बार समान नागरिक संहिता, गरीबों को प्रभावित करने वाले कानून और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए मौजूदा कानूनों की जांच करना जैसे मुद्दों को अधिक महत्व देगा।
विधि आयोग का कार्यकाल 31 अगस्त को समाप्त
विधि मंत्रालय द्वारा सोमवार देर रात जारी एक आदेश के अनुसार, विधि आयोग के कार्य की शर्तों में से एक है ''राज्य के नीति निर्देशक तत्वों के आलोक में मौजूदा कानूनों की जांच करना और सुधार के तरीके सुझाना''। इसके अलावा ऐसे कानूनों का सुझाव देना जो निर्देशक तत्वों को लागू करने तथा संविधान की प्रस्तावना में निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक हों।
राज्य के नीति निर्देशक तत्वों के अंतर्गत अनुच्छेद-44 में कहा गया है कि भारत के समस्त क्षेत्र में नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता (यूसीसी) सुनिश्चित करना राज्य का कर्तव्य है।
आयोग जटिल कानूनी मुद्दों पर सरकार को सलाह देता है। एक बार इसके गठन के बाद सरकार इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करती है।
विधि मंत्रालय द्वारा सोमवार देर रात जारी एक आदेश के अनुसार, बाइसवें विधि आयोग का कार्यकाल 31 अगस्त को समाप्त हो गया और नए आयोग को एक सितंबर से गठित किया गया है।
पिछले कुछ महीनों से बिना अध्यक्ष के काम कर रहे 22वें विधि आयोग का कार्यकाल 31 अगस्त को समाप्त हो गया और समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर उसकी अहम रिपोर्ट पर अब भी काम जारी है।
सितंबर 2015 और फरवरी 2020 में जारी क्रमश: 21वें और 22वें विधि आयोग के गठन से जुड़ी अधिसूचना में उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के सेवारत न्यायाधीशों को अध्यक्ष एवं सदस्य नियुक्त करने का प्रावधान था। शीर्ष न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों या उच्च न्यायालयों के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने आयोग का नेतृत्व किया है।
एक साथ चुनाव कराए जाने पर विधि आयोग की रिपोर्ट तैयार है और विधि मंत्रालय के पास लंबित है।
नियमों की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि रिपोर्ट को अध्यक्ष की अनुपस्थिति में जमा नहीं किया जा सकता है।
उच्च स्तरीय समिति ने रिपोर्ट सौंपी थी
बाइसवें विधि आयोग की अध्यक्षता करने वाले न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) ऋतु राज अवस्थी को कुछ महीने पहले भ्रष्टाचार निरोधक निगरानी संस्था लोकपाल का सदस्य नियुक्त किया गया।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई वाली एक उच्च स्तरीय समिति ने मार्च में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर एक रिपोर्ट सौंपी थी।
पिछले साल, 22वें विधि आयोग ने यूसीसी पर नए सिरे से विचार-विमर्श शुरू किया था। समाज से सुझाव लेने के बाद यह एक मसौदा रिपोर्ट तैयार करने की प्रक्रिया में था तभी न्यायाधीश अवस्थी को लोकपाल में नियुक्त कर दिया गया।
आदेश के अनुसार, आयोग में एक पूर्णकालिक अध्यक्ष और सदस्य सचिव समेत चार पूर्णकालिक सदस्य होंगे।
इसके अनुसार, विधि कार्य विभाग के सचिव और विधायी विभाग के सचिव इसके पदेन सदस्य होंगे। इसमें पांच से अधिक अंशकालिक सदस्य नहीं हो सकते।
एक सेवानिवृत्त सदस्य (सेवानिवृत्त न्यायाधीशों सहित) के मामले में, वेतन (पेंशन या सेवानिवृत्ति लाभों के बराबर पेंशन सहित) 2.50 लाख रुपये या 2.25 लाख रुपये प्रति माह से अधिक नहीं होगी।
Updated 21:18 IST, September 3rd 2024