अपडेटेड 1 January 2024 at 21:38 IST

SC की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए वकीलों के मुताबिक न हो मामले का आवंटन- CJI

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, "यह ऐसा आवंटन होना चाहिए जो हम उच्चतम न्यायालय में निर्धारित अपनी प्रणाली के अनुसार करते हैं।"

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सुप्रीम कोर्ट | Image: supreme court

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट की विश्वसनीयत को बनाए रखने के लिए सुर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीय डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वकीलों के मन मुताबिक मामलों का आवंटन नहीं करना चाहिए। उन्होंने सोमवार, एक जनवरी को कहा कि उच्चतम न्यायालय अपनी विश्वसनीयता बनाए रखने में सक्षम होगा यदि वह यह सुनिश्चित करे कि पीठों को मामलों का आवंटन "वकीलों की इच्छा के अनुरूप" न हो। दरअसल राजनीतिक रूप से अहम मामलों को उच्चतम न्यायालय के विशेष न्यायाधीशों को सौंपे जाने के आरोपों पर सीजेआई ने यह बात कही।

CJI ने क्या कहा

न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए विशेष साक्षात्कार में प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) ने कहा, "मेरे मन में यह बिलकुल स्पष्ट है कि अगर शीर्ष अदालत की संस्था की विश्वसनीयता बनाए रखनी है, तो हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि उच्चतम न्यायालय में मामलों का आवंटन वकीलों की इच्छा के अनुरूप न हो।" न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, "यह ऐसा आवंटन होना चाहिए जो हम उच्चतम न्यायालय में निर्धारित अपनी प्रणाली के अनुसार करते हैं।"

प्रशांत भूषण और दुष्यंत दवे जैसे वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने हाल में महत्वपूर्ण मामलों को न्यायाधीशों को दोबारा सौंपने के तरीके पर सवाल उठाया था। यह रेखांकित करते हुए कि मामलों के आवंटन के लिए "अच्छी तरह से परिभाषित संरचनाएं" हैं, सीजेआई ने कहा कि ये रोस्टर के माध्यम से सौंपे गए थे, जिसके अनुसार, विषयवस्तु प्रधान न्यायाधीश के अधिकार के तहत अग्रिम रूप से मुद्रित की जाती है।

सीजेआई ने कहा, "रोस्टर को सभी के देखने के लिए अधिसूचित किया जाता है। यह सार्वजनिक होता है। यह उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर प्रकाशित होता है।" उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के प्रत्येक न्यायाधीश को सीजेआई द्वारा सौंपे गए किसी भी मामले पर निर्णय लेने का अधिकार है।

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न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, "कोई भी वकील इस बात पर जोर नहीं दे सकता कि मेरे मामले का फैसला किसी विशेष न्यायाधीश द्वारा किया जाएगा। यह व्यक्तिगत न्यायाधीश की विश्वसनीयता या न्याय प्रशासन की शुचिता के साथ न्याय नहीं है।" उन्होंने कहा कि अगर कोई न्यायाधीश किसी मामले से खुद को अलग कर लेता है तो सीजेआई द्वारा इसे फिर से किसी वरिष्ठ या कनिष्ठ न्यायाधीश को सौंप दिया जाता है।

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Published By : Arpit Mishra

पब्लिश्ड 1 January 2024 at 21:38 IST