Updated October 31st, 2020 at 21:00 IST
पालघर मॉब लिंचिंग: मृतक संत की मां ने की CBI जांच की मांग, कहा- पुलिसवाले चाहते तो बच जाता मेरा बेटा
पालघर मामले में मृतक संत सुशील गिरि महाराज की मां ने एक बार फिर मामले में सीबीआई जांच की मांग की है।
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सुप्रीम कोर्ट ने पालघर मॉब लिचिंग मामले की सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की है। वहीं मृतक संत सुशील गिरि महाराज की मां ने एक बार फिर मामले में सीबीआई जांच की मांग की है।
संत की मां ने कहा, 'पालघर में पुलिस वालों के सामने मेरे बेटे की पिटाई की गई। जब मेरे बेटे को मारा जा रहा था तो वहां पर पुलिस वाले खड़े होकर वीडियो बना रहे थे। वो चाहते तो उसे बचा सकते थे। मैंने जांच के लिए सीबीआई मदद मांगी थी। यदि सीबीआई मामले की जांच करती है तो अच्छा रहता।'
महाराष्ट्र सरकार ने CBI जांच का किया विरोध
इस मामले में अदालत की निगरानी या सीबीआई जांच की मांग करने वाली SC की याचिका पर महाराष्ट्र सरकार ने विरोध किया है। महाराष्ट्र सरकार द्वारा 6 अक्टूबर को दायर एक हलफनामे में कहा गया, 'प्रशासन ने इस मामले में दो अपराधों को दर्ज किया है। पहला भीड़ द्वारा व्यक्तियों की हत्या के संदर्भ में 126 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। दूसरा उन 18 पुलिस अधिकारियों के खिलाफ दर्ज किया गया जो घटना स्थल पर मौजूद थे। इन पुलिस अधिकारियों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्ति कर दिया गया है या फिर अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत दंडित किया गया है।'
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राज्य ने कोर्ट में कहा, 'इस मामले में सहायक पुलिस निरीक्षक आनंदराव काले को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है, सहायक पुलिस उपनिरीक्षक रविन्द्र सालुंके और हेड कांस्टेबल नरेश डोंडी को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त किया गया है। शेष 15 कर्मियों को एक विशेष अवधि के लिए उनके वेतन को कम करके दंडित किया गया है। महाराष्ट्र पुलिस ने इसके साथ ही इस याचिका को खारिज करने का आग्रह किया।
क्या है पालघर मॉब लिंचिंग केस?
महाराष्ट्र के पालघर जिले के गढ़चिंचले गांव में 16 अप्रैल की रात को दो संत और उनके ड्राइवर की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी। खबरों के मुताबिक, 200 लोगों की भीड़ ने उन्हें चोर समझते हुए घेर लिया था और पुलिस की मौजूदगी में उनकी बेरहमी से हत्या कर दी थी।
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मृतक की पहचान सुशील गिरि महाराज, महंत महाराज कल्पवृक्ष गिरि और नीलेश तालवाडे के रूप में हुई। भीड़ ने द्वारा इन्हें कथित तौर पर लाठी और डंडों से पीटा गया था। कासा पुलिस ने आईपीसी की कई धाराओं के तहत 156 लोगों को गिरफ्तार किया था, जबकि तीन पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है और 35 पुलिस कर्मियों को स्थानांतरित किया गया है।
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Published October 31st, 2020 at 21:00 IST