अपडेटेड 16 June 2024 at 10:39 IST
G-7 से भारत के लिए आई खुशखबरी, G20 के इस बड़े प्लान पर लगी मुहर; ऐसे मिलेगी दुनिया को रफ्तार
जी-7 देशों ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा परियोजना को समर्थन देने का वचन दिया है। नई दिल्ली घोषणापत्र में इस गलियारे का प्रस्ताव आया था।
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13 जून से 15 जून तक इटली में कई महाशक्तियों का मिलन हुआ। जी-7 देशों का सदस्य ना होने के बावजूद भारत इस शिखर सम्मेलन में 'आउटरीच देश' के रूप में शामिल हुआ। इटली में तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन के समापन के बाद जब G7 देशों का संयुक्त वक्तव्य जारी हुआ तो उसमें भारत के लिए भी खुशखबरी थी। पिछले साल नई दिल्ली घोषणापत्र में भारत मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारे का विशेष जिक्र था, जिसे जी20 शिखर सम्मेलन में जी20 नेताओं अपनी स्वीकृति दी थी। अब जी-7 देश भी G20 के इस बड़े प्लान पर अपनी मुहर लगाकर गए हैं।
संयुक्त बयान में जी-7 देशों ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) परियोजना को समर्थन देने का वचन दिया है। बयान में कहा गया कि G7 का उद्देश्य बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और निवेश के लिए आर्थिक गलियारों को बढ़ाना है। प्रमुख परियोजनाओं में लोबिटो, लूजोन, मध्य और भारत-मध्य पूर्व-यूरोप जैसे गलियारों के लिए कॉर्डिनेशन और फाइनेंसिंग की कोशिश शामिल हैं।
भारत को 'आउटरीच देश' के रूप में मिला था न्योता
G7 शिखर सम्मेलन में 7 सदस्य देशों अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी, इटली, जापान और फ्रांस के साथ-साथ यूरोपीय संघ ने भी हिस्सा लिया। इटली के प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने 13-15 जुलाई को इटली के अपुलिया क्षेत्र में आयोजित जी7 शिखर सम्मेलन में भारत को 'आउटरीच देश' के रूप में आमंत्रित किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने AI और ऊर्जा, अफ्रीका और भूमध्य सागर पर जी7 आउटरीच सत्र को संबोधित किया, जिसमें मानव प्रगति में प्रौद्योगिकी की परिवर्तनकारी भूमिका समेत कई विषयों पर चर्चा की गई।
जी7 शिखर सम्मेलन के इतर प्रधानमंत्री मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा, इटली के प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन, जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और पोप फ्रांसिस से भी बातचीत की।
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भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा क्या है?
भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे में भारत को खाड़ी क्षेत्र से जोड़ने वाला एक पूर्वी गलियारा और खाड़ी क्षेत्र को यूरोप से जोड़ने वाला एक उत्तरी गलियारा शामिल है। इसमें रेलवे, जलपोत-रेल पारगमन नेटवर्क और सड़क परिवहन मार्ग शामिल होंगे। भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे से संबंधित समझौता ज्ञापन पर भारत, अमरीका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, यूरोपीय संघ, इटली, फ्रांस और जर्मनी ने हस्ताक्षर किए थे। जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर की घोषणा की थी।
कैसे दुनिया को मिलेगी रफ्तार?
भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा कई मायनों में खास है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे में दो अलग-अलग गलियारे शामिल होंगे, पूर्वी गलियारा भारत को खाड़ी से जोड़ेगा और उत्तरी गलियारा खाड़ी को यूरोप से जोड़ेगा। मतलब साफ है कि जब कनेक्टिविटी बढ़ेगी तो दुनिया को रफ्तार मिलेगी। इससे लागत कम होगी और आर्थिक सहयोग बढ़ेगा समेत कई परिवर्तनकारी बदलाव होंगे।
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Published By : Amit Bajpayee
पब्लिश्ड 16 June 2024 at 10:08 IST