अपडेटेड 6 September 2023 at 13:33 IST
Janmashtami 2023: पहली बार रख रहे हैं जन्माष्टमी का व्रत, तो सूर्यास्त के बाद भूलकर भी न पिएं पानी, जानें नियम
देशभर में जन्माष्टमी का त्योहार बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन पूजा-पाठ के साथ व्रत रखने का भी विधान है, लेकिन व्रत रखने के कुछ नियम भी होते हैं जिनके बारे में यहां जानेंगे।
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Janmashtami Vrat Niyam: हिंदू धर्म में जन्माष्टमी के व्रत का बहुत ही खास महत्व माना जाता है। कहते हैं ये व्रत एक हजार एकादशियों के व्रत रखने के बराबर है। इस दिन कृष्ण भक्त पूजा-पाठ के साथ पूरे दिन व्रत रखते हैं और रात में 12 बजे भगवान के जन्म के बाद व्रत का पारण करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जन्माष्टमी व्रत को रखने के लिए कुछ नियमों का पालन करना बहुत जरूरी होता है। जिसमें सूर्यास्त के बाद पानी पीना भी वर्जित है। आइए जानते हैं जन्माष्टमी के दिन व्रत के क्या-क्या नियम है।
स्टोरी में आगे ये पढ़ें....
- जन्माष्टमी व्रत में सूर्यास्त के बाद क्यों नहीं पीते पानी?
- जन्माष्टमी व्रत के क्या हैं नियम?
जन्माष्टमी व्रत में सूर्यास्त के बाद क्यों नहीं पीते पानी?
धार्मिक मान्यता के मुताबिक जन्माष्टमी के दिन पूरा दिन तो पानी पीने की छूट होती है, लेकिन सूर्यास्त के बाद भगवान कृष्ण के जन्म के समय तक जल ग्रहण करना वर्जित होता है, लेकिन इसके पीछे की वजह क्या है ये बात बहुत ही कम लोग जानते हैं। दरअसल, भगवान कृष्ण का जन्म रात्रि के समय हुआ था और सूर्यास्त के बाद उनकी पूजा-पाठ की तैयारियां शुरू कर दी जाती है। इस दौरान उनके जन्म तक पानी ग्रहण नहीं किया जाता।
जन्माष्टमी व्रत के क्या हैं नियम?
- जन्माष्टमी के दिन व्रत की शुरुआत सुबह जल्दी उठकर नहा-धोकर करें फिर साफ कपड़े पहनें और व्रत का संकल्प लें।
- इस दिन आप फलाहार या जलाहार ले सकते हैं।
- ध्यान रहे कि व्रत के दौरान सात्विक रहें और शाम को पूजा करने से पहले एक बार फिर से स्नान कर लें।
- जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा की जाती है और उन्हें नहला धुलाकर नए कपड़े पहनाएं जाते हैं। साथ ही उनका श्रृंगार कर जन्म के बाद उन्हें झूला झूलाने की भी परंपरा है। इसलिए घर के सभी सदस्यों को लड्डू गोपाल को झूला झूलाना चाहिए।
- जन्माष्टमी के जरूरतमंद को दान दें। इस दिन दान-पुण्य करने से भगवान कृष्ण का आशीर्वाद मिलता है और जातकों पर हमेशा उनकी कृपा बनी रहती है।
- जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल को पंचामृत से स्नान कराया जाता है। कहा जाता है कि पूजा के बाद सबसे पहले पंचामृत का ही प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
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Published By : Sadhna Mishra
पब्लिश्ड 6 September 2023 at 13:31 IST