अपडेटेड 27 January 2025 at 12:24 IST

पुणे में GBS सिंड्रोम का कहर, अब तक एक की मौत और 16 लोग वेंटिलेटर पर; सरकार करवाएगी महंगी बीमारी का मुफ्त इलाज?

इस बीमारी की वजह से 16 लोग वेंटीलेटर पर हैं जबकि कुल आंकड़ा 100 के पार जा चुका है।

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GBS Syndrome
पुणे में GBS सिंड्रोम का कहर, अब तक एक की मौत और 16 लोग वेंटिलेटर पर | Image: representative

Know What is Guillain-Barré syndrome: महाराष्ट्र में गुलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) का कहर जारी है। इस बीमारी से पहली मौत की खबर भी महाराष्ट्र के पुणे से आई है। पुणे में अब तक 101 लोग इस बीमारी की जद में आ चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में पहली मौत की बात महाराष्ट्र के सोलापुर में कही गई लेकिन इस पर को विस्तृत जानकारी सामने नहीं आई। इस बीमारी की वजह से 16 लोग वेंटीलेटर पर हैं जबकि कुल आंकड़ा 100 के पार जा चुका है। पीड़ितों में से 19 मरीज 9 साल या उससे कम उम्र के बच्चे हैं और 23 मरीज 50 से 80 साल के बुजुर्ग हैं।


मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो 9 जनवरी को पुणे के एक अस्पताल में भर्ती मरीज के भीतर पहला GBS मामले के संदेह होने की खबर आई थी। जब कुछ मरीजों के सैंपल टेस्ट के लिए लिए गए तो कुछ में कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया का पता चला। यही वो बैक्टीरिया है जिसकी वजह से दुनिया भर के जीबीएस मामलों में लगभग एक तिहाई मामलों की वजह बना है। स्वास्थ्य अधिकारियों ने पुणे के पानी का नमूना लिया है। ये नमूने खासकर उन इलाकों से लिए जा रहे हैं जहां से इस बीमारी के ज्यादा मरीज सामने आए हैं। शनिवार 25 जनवरी को इन परीक्षणों के नतीजे जारी किए गए जिसमें पता चला कि उस इलाके के एक कुएं में बैक्टीरिया ई. कोली काफी मात्रा में पाया गया था। हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई थी कि स्थानीय लोग इस कुएं का पानी उपयोग करते थे या नहीं।  


बहुत महंगा है जीबीएस का इलाज

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि रविवार (26 जनवरी) तक कुल 25,578 घरों का सर्वेक्षण किया गया था। इस सर्वे का उद्देश्य यहां रहने वाले लोगों के बीच अधिक से अधिक उन रोगियों को ढूंढना था जो कि जीबीएस संक्रमण से पीड़ित थे। जीबीएस का इलाज काफी महंगा है। इससे निजात पाने वाले टीके की कीमत 20,000 रुपये है। जीबीएस तब शख्स को संक्रमित कर पाता है जब शरीर की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है। ये वायरस शरीर में वायरल संक्रमण पर प्रतिक्रिया करते समय मस्तिष्क के संकेतों को शरीर के कुछ हिस्सों तक ले जाने वाले संदेशों वाली नसों पर अटैक करता है जिसकी वजह से पीड़ित शख्स को कमजोरी, पक्षाघात या अन्य लक्षण दिखाई देते हैं।


सरकार ने कहा बीमारी का मुफ्त इलाज करवाएंगे

GBS संक्रमण को लेकर डॉक्टरों ने मीडिया को बताया कि 80 फीसदी प्रभावित रोगी भी हॉस्पिटल से छुट्टी लेने के बाद अगले 6 महीनों तक बिना किसी सहायता के चल नहीं पाता है। हालांकि कुछ मामलों में ऐसा नहीं होता है तो कुछ को एक साल भी लग सकता है। जीबीएस संक्रमण का इलाज भी काफी महंगा है। मरीजों को आमतौर पर इम्युनोग्लोबुलिन नामके एक इंजेक्शन की जरूरत होती है। इस बीमारी से पीड़ित एक परिवार के रिश्तेदार ने मीडिया को बताया कि उनके 68 साल के एक रिश्तेदार को 16 जनवरी को इस बीमारी की वजह से भर्ती करवाया गया था। उन्हें 13 इंजेक्शन के आईवीआईजी कोर्स की जरूरत थी। प्रत्येक इंजेक्शन की कीमत 20 हजार रुपये बताई गई थी। महाराष्ट्र सरकार ने इस बीमारी के लिए मुफ्त इलाज का ऐलान भी किया है।

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बीमारी को लेकर क्या बोले डिप्टी सीएम अजित पवार?

GBS बीमारी ने सबसे ज्यादा कहर महाराष्ट्र में ढाया है। अब सूबे के डिप्टी सीएम अजीत पवार ने इस बीमारी को लेकर ऐलान किया, " इस बीमारी का इलाज महंगा है। हमने इस बीमारी के इलाज को लेकर जिला प्रशासन और नगर निगम के अधिकारियों बातचीत की और हमने इस बातचीत के बाद ये तया किया है कि हम इस बीमारी का मुफ्त इलाज देंगे। पिंपरी-चिंचवाड़ के लोगों का इलाज वाईसीएम अस्पताल में किया जाएगा, जबकि पुणे नगर निगम क्षेत्रों के मरीजों का इलाज कमला नेहरू अस्पताल में किया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों के नागरिकों के लिए, पुणे के ससून अस्पताल में मुफ्त इलाज की सुविधा दी जाएगी।" 

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Published By : Ravindra Singh

पब्लिश्ड 27 January 2025 at 12:24 IST