Published 23:47 IST, September 19th 2024
एफएटीएफ ने भारत की धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण रोधी प्रणाली को सराहा
वैश्विक धन शोधन एवं आतंकवाद के वित्तपोषण रोधी निकाय एफएटीएफ ने बृहस्पतिवार को भारत पर अपनी बहुप्रतीक्षित पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट जारी की।
वैश्विक धन शोधन एवं आतंकवाद के वित्तपोषण रोधी निकाय एफएटीएफ ने बृहस्पतिवार को भारत पर अपनी बहुप्रतीक्षित पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट जारी की।
एफएटीएफ ने कहा कि देश की प्रणालियां “प्रभावी” हैं, लेकिन इन मामलों में अभियोजन को मजबूत करने के लिए “बड़े सुधारों” की आवश्यकता है।
तिरंगे की रोशनी में लिपटी भारत की नयी संसद की आवरण तस्वीर के साथ 368 पृष्ठों की रिपोर्ट जून में आयोजित अपनी पूर्ण बैठक के दौरान पेरिस मुख्यालय वाले निकाय द्वारा मूल्यांकन को अपनाए जाने के बाद जारी की गई।
भारत की धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने की व्यवस्था की पिछली समीक्षा 2010 में प्रकाशित हुई थी। भारत तीन वर्ष बाद पूर्ण अधिवेशन को “रिपोर्ट” करेगा।
यह रिपोर्ट पिछले वर्ष नवंबर में एफएटीएफ विशेषज्ञों के भारत दौरे के बाद आई है। इसने देश को “नियमित अनुवर्ती” श्रेणी में रखा है, यह वह स्थान है जो केवल चार अन्य जी20 देशों को प्राप्त है।
भारत का अगला मूल्यांकन 2031 में होगा।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने अपने ‘एक्स’ खाते पर कई पोस्ट में कहा कि भारत ने “एफएटीएफ से नियमित अनुवर्ती रेटिंग प्राप्त करके एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है” और यह एक “गर्व का क्षण” है।
उसने कहा, “यह धन शोधन और आतंकवादी वित्तपोषण से निपटने के लिए हमारे देश की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।”
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने एफएटीएफ की सिफारिशों के अनुरूप उच्च स्तर का तकनीकी अनुपालन हासिल किया है तथा अवैध वित्त से निपटने के उपायों को लागू करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
इसके कार्यकारी सारांश में कहा गया, “फिर भी, यह महत्वपूर्ण है कि देश अपनी प्रणाली में सुधार करना जारी रखे, क्योंकि इसकी अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणाली निरंतर विकसित हो रही है, विशेष रूप से यह सुनिश्चित करना कि धन शोधन और आतंकवादी वित्तपोषण के मुकदमे पूरे हो जाएं और अपराधियों पर उचित प्रतिबंध लगाए जाएं; तथा गैर-लाभकारी संगठनों के साथ जोखिम-आधारित और शिक्षाप्रद दृष्टिकोण अपनाया जाए।”
सारांश में कहा गया है कि यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि भारत ने धन शोधन निरोधक और आतंकवाद वित्तपोषण निरोधक (एएमएल/सीएफटी) ढांचा कार्यान्वित किया है, जिससे “अच्छे” परिणाम प्राप्त हो रहे हैं, जिसमें जोखिम को समझना, लाभकारी स्वामित्व संबंधी जानकारी तक पहुंच और अपराधियों को उनकी संपत्ति से वंचित करना शामिल है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने धन शोधन निरोधक (एएमएल) और आतंकवाद के वित्तपोषण निरोधक (सीएफटी) प्रणाली लागू की है जो कई मायनों में प्रभावी है
उसने हालांकि कहा कि धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण के मामलों में अभियोजन को मजबूत करने के लिए “बड़े सुधार” की आवश्यकता है। इसमें कहा गया है कि गैर लाभकारी क्षेत्र का आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों में उपयोग न हो इसके लिए सुधार किये जाने की आवश्यकता है।
रिपोर्ट में कहा गया, “भारत में धन शोधन का मुख्य स्रोत देश के भीतर की अवैध गतिविधियों से उत्पन्न होता है।” उसने कहा कि देश को विभिन्न प्रकार के आतंकवादी खतरों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें सबसे प्रमुख खतरा आईएसआईएल (इस्लामिक स्टेट या आईएसआईएस) या अलकायदा से जुड़े समूहों से है, जो जम्मू-कश्मीर तथा उसके आसपास सक्रिय हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत में धन शोधन का सबसे बड़ा जोखिम धोखाधड़ी से संबंधित है, जिसमें साइबर-सक्षम धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार और मादक पदार्थों की तस्करी शामिल है।”
भारत 2010 में इस विश्व निकाय का सदस्य बना है।
रिपोर्ट में कहा गया, “औसतन, सभी धनशोधन जांचों में से 20 प्रतिशत में मुकदमा चलाया गया, जिनमें से तीन प्रतिशत में मुकदमा न चलाने का निष्कर्ष निकाला गया। समीक्षा अवधि के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के केवल एक मामले में आरोपी को रिहा किया गया है, हालांकि धन शोधन के मामलों में दोषसिद्धि की संख्या अपेक्षाकृत कम है, मूल्यांकन अवधि के दौरान धन शोधन के केवल 28 मामलों में दोषसिद्धि हुई है।”
Updated 23:47 IST, September 19th 2024