अपडेटेड 21 February 2024 at 11:09 IST
40-50 लाख की पोकलेन, JCB... शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी लाए भारी भरकम मशीनें, कहां से आया पैसा?
अंबाला के शंभू बॉर्डर पर इस वक्त प्रदर्शनकारियों का झुंड बहुत महंगी पोकलेन, जेसीबी जैसी मशीनों के साथ मौजूद हैं। ड्राइवर का केबिन लोहे की चादरों से बनाया है।
- भारत
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Farmers Protest : पंजाब से प्रदर्शनकारी किसान 13 मार्च को एमएसपी समेत कुछ मांगों को लेकर दिल्ली के लिए निकले। खाने पीने का खास बंदोबस्त, महीनों का राशन और ट्रॉलियों में रहने सोने की व्यवस्था, ऐसे तमाम इंतजामों के साथ प्रदर्शनकारी घरों से रवाना हुए। अभी प्रदर्शनकारियों के बीच ऐसी भारी भरकम मशीनें भी पहुंच गई हैं, जिन्हें कोई आम किसान खरीद ही नहीं सकता है। ठीक-ठाक घर का किसान भी इन मशीनों को खेती के लिए नहीं खरीदेगा, क्योंकि इन मशीनों का काम खेती से एकदम अलग है।
नया आंदोलन छेड़ने वालों में लगभग सभी प्रदर्शनकारी किसान पंजाब से हैं। पिछली बार 2020 में जो किसान आंदोलन चला था, उसमें देशभर के किसान शामिल थे, उनकी मांगें तीन कानूनों को वापस लेने की थीं और सरकार ने मांगें मान भी लीं। हालांकि अभी के प्रदर्शनकारी किसान सिर्फ पंजाब से आए हैं, जो एक जिद के साथ दिल्ली को घेरने निकले हैं। कई दिनों से सुरक्षाबलों ने उन्हें शंभू बॉर्डर पर रोककर रखा है।
शंभू बॉर्डर पर आंदोलनकारी लाए मशीनें
अंबाला के शंभू बॉर्डर पर इस वक्त प्रदर्शनकारियों का झुंड बहुत महंगी पोकलेन, जेसीबी जैसी मशीनों के साथ मौजूद हैं। पोकलेन मशीन जिसकी कीमत ही करीब 45-50 लाख के आसपास बताई जाती है, शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी लेकर आए हैं। पोकलेन मशीन को प्रदर्शनकारियों ने मॉडिफाई भी किया है, जिसमें अक्सर शीशे से घिरा हुआ दिखने वाला ड्राइवर का केबिन अब लोहे की चादरों से बना दिया है। ये वैसा ही है, जैसे एक बुलेट प्रूफ केबिन होता है।
ऐसी आशंकाएं हैं कि पोकलेन मशीन के जरिए प्रदर्शनकारी शंभू बॉर्डर पर बने पुलिस के कवच को तोड़ सकते हैं। इस मशीन के जरिए बैरिकेड, सीमेंट ब्लॉक्स, कंक्रीट की दीवारें और किसी भी तरह के बैरिकेड्स को आसानी और बहुत कम समय में ही हटाया जा सकता है। इतना ही नहीं, जेसीबी मशीन भी प्रदर्शनकारियों के साथ में हैं, जिनकी कीमत 30-40 लाख रुपये के आसपास बताई जाती है। पिछले दिनों शंभू बॉर्डर पर तमाम किसान इन मशीनों के ऊपर चढ़कर आगे बढ़ते हुए नजर पड़े।
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प्रदर्शनकारियों के लिए फंडिंग की आशंका
यही नहीं, शंभू बॉर्डर पर कुछ ऐसी तस्वीरें भी देखी गईं, जहां हजारों की संख्या में आए प्रदर्शनकारियों के लिए अलग-अलग लंगर, चाय के स्टॉल लग रहे हैं। प्रदर्शनकारियों पर इतना जो खर्चा हो रहा है, उसका पैसा आ कहां से रहा है, ये अपने आपस में सवाल है। अभी सबसे बड़ा सवाल ये भी है कि किसानों के पास इतनी भारी भरकम और महंगी मशीनें कहां से आई हैं। क्योंकि अक्सर इन मशीनों का काम खेती के लिए होता ही नहीं है। ऐसे में आशंकाएं जताया जाना लाजमी है कि कहीं ना कहीं प्रदर्शनकारियों को फंडिंग की जा रही है। हालांकि फंडिंग की कोई पुष्टि हम नहीं करते हैं।
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क्या किसानों का आड़ में उपद्रवी छिपे हैं?
सवाल ये भी ये प्रदर्शन क्या सिर्फ मांगें मनमाने तक ही सीमित है और इसका इरादा कुछ और भी है। क्योंकि केंद्रीय गृह मंत्रालय का भी कहना है कि किसानों की आड़ में कई उपद्रवी पंजाब की हरियाणा से लगी शंभू सीमा के पास भारी मशीनरी जुटा रहे हैं और पथराव कर रहे हैं। हरियाणा पुलिस ने भी आशंकाएं जताई है कि पोकलेन और जेसीबी के मशीनों के इस्तेमाल से बॉर्डर पर कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हो सकती है और ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मियों की जान को भी खतरा हो सकता है।
एक अनुमान के मुताबिक, पंजाब-हरियाणा सीमा पर 1200 ट्रैक्टर-ट्रॉली, 300 कार और 10 मिनी बस के अलावा कई अन्य छोटे वाहनों के साथ लगभग 14000 लोग जुटे हुए हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय भी अपने बयान में इसकी पुष्टि करता है।
किसानों की मांग पर सरकार का रुख क्या?
किसानों की मांगों को लेकर केंद्र सरकार भी समाधान का रास्ता ढूंढने में लगी है। अभी तक सरकार का रुख सकारात्मक दिखा है। वो इसलिए भी कि किसानों के साथ वार्ता का दौर चल रहा है। रविवार को तीन-तीन केंद्रीय मंत्रियों ने किसानों के साथ चौथे दौर की बातचीत की थी। तीन केंद्रीय मंत्रियों में पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय थे। सरकार की तरफ से केंद्रीय मंत्रियों की समिति ने किसानों के सामने एक प्रस्ताव दिया कि समझौता करने के बाद सरकारी एजेंसियां पांच साल तक दालें, मक्का और कपास एमएसपी पर खरीदेंगी। हालांकि पंजाब से आए किसान नेताओं ने सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
Published By : Amit Bajpayee
पब्लिश्ड 21 February 2024 at 10:35 IST