अपडेटेड 14 December 2024 at 20:06 IST
Farmer Protest: किसानों का 'दिल्ली चलो' मार्च 15 दिसंबर तक स्थगित, 16 को निकालेंगे ट्रैक्टर मार्च
पंजाब से लगती हरियाणा की सीमा पर दिल्ली की ओर बढ़ रहे किसानों के समूह को तितर-बितर करने के दौरान सुरक्षाकर्मियों द्वारा छोड़े गए आंसूगैस के गोले और पानी की बौछारों से कुछ प्रदर्शनकारियों के घायल होने के बाद कृषक संगठनों ने अपने 'दिल्ली चलो' मार्च को एक दिन के लिए स्थगित कर दिया।
- भारत
- 7 min read

Farmer Protest: पंजाब से लगती हरियाणा की सीमा (शंभू बॉर्डर) पर शनिवार को दिल्ली की ओर बढ़ रहे किसानों के समूह को तितर-बितर करने के दौरान सुरक्षाकर्मियों द्वारा छोड़े गए आंसूगैस के गोले और पानी की बौछारों से कुछ प्रदर्शनकारियों के घायल होने के बाद कृषक संगठनों ने अपने 'दिल्ली चलो' मार्च को एक दिन के लिए स्थगित कर दिया। प्रदर्शनकारी किसान संगठनों ने 16 मार्च को पंजाब के अलावा अन्य राज्यों में ट्रैक्टर मार्च निकालने और 18 मार्च को पंजाब में 'रेल रोको' आंदोलन का ऐलान किया।
पंजाब के किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने संवाददाताओं को बताया कि आंदोलन की अगुवाई कर रहे (किसान संगठनों के) दोनों मंचों ने ‘‘जत्थे का मार्च रोकने’’ का फैसला किया है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों की कार्रवाई में 17 किसान घायल हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘दोनों मंचों ने आज के लिए जत्थे को वापस बुलाने का निर्णय लिया है और बैठक के बाद अगली कार्रवाई की जाएगी।’’
पंधेर ने सवाल किया, '' देश की शांति व कानून-व्यवस्था के लिए 101 किसान कैसे खतरा हो सकते हैं? आप संविधान पर (संसद में) चर्चा कर रहे हैं। कौन सा संविधान किसानों के खिलाफ बल प्रयोग की इजाजत देता है। ‘’ पंधेर ने कहा कि संसद में किसानों के मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं की जा रही। अगले कदम के बारे में पंधेर ने कहा कि 16 दिसंबर को पंजाब को छोड़कर अन्य राज्यों में ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा। उन्होंने कहा कि 18 दिसंबर को दोपहर 12 बजे से तीन बजे तक पंजाब में ‘रेल रोको’ विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के बैनर तले किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों को लेकर दबाव बना रहे हैं। वे केंद्र पर अपने मुद्दों के समाधान के लिए उनके साथ बातचीत शुरू करने की मांग कर रहे हैं। किसानों द्वारा राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च करने का यह तीसरा प्रयास था। इससे पहले उन्होंने छह दिसंबर और आठ दिसंबर को भी इसी तरह के दो प्रयास किए थे, लेकिन हरियाणा में सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी थी।
Advertisement
किसानों द्वारा मार्च को फिर से शुरू करने से पहले हरियाणा सरकार ने शनिवार को ''शांति और सार्वजनिक व्यवस्था में किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोकने के लिए'' अंबाला के 12 गांवों में मोबाइल इंटरनेट और एक साथ एसएमएस प्रेषित करने की सेवाओं को 17 दिसंबर तक निलंबित कर दिया था। अंबाला जिला प्रशासन ने पहले ही भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है। इसके तहत पांच या अधिक लोगों के गैरकानूनी रूप से एकत्र होने पर रोक होती है।
किसान नेता मंजीत सिंह राय ने आरोप लगाया कि सुरक्षाकर्मियों ने रबर की गोलियां भी चलाईं जिसमें एक किसान गंभीर रूप से घायल हो गया। उन्होंने कहा, ‘‘दोनों मंचों ने आज के लिए जत्थे को वापस बुलाने का निर्णय लिया है और बैठक के बाद अगली कार्रवाई की जाएगी।’’ पंधेर ने आरोप लगाया, ‘‘किसानों को तितर-बितर करने के लिए रसायन मिश्रित पानी का इस्तेमाल किया गया और इस बार अधिक आंसूगैस के गोले दागे गए।’’ हालांकि, अंबाला कैंट के पुलिस उपाधीक्षक रजत गुलिया ने आरोपों का खंडन किया।
Advertisement
हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसूगैस के गोले दागे और पानी की बौछारें भी छोड़ी। यह कार्रवाई तब की गई जब किसानों के समूह द्वारा पंजाब-हरियाणा सीमा पर शंभू विरोध स्थल से शनिवार को दोपहर 12 बजे के बाद दिल्ली के लिए अपना पैदल मार्च फिर से शुरू किया। अधिकारियों ने बताया कि कार्रवाई के दौरान कुछ किसान घायल हो गए, जिन्हें प्रदर्शन स्थल पर खड़ी एंबुलेंस की मदद से नजदीकी अस्पताल ले जाया गया।
पंजाब-हरियाणा सीमा पर शंभू विरोध स्थल से 101 किसानों का जत्था न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों को लेकर केंद्र पर दबाव बनाने के इरादे से दिल्ली की ओर बढ़ा। लेकिन कुछ मीटर आगे जाने के बाद प्रदर्शनकारी किसानों को हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों ने वहां लगाए गए बहुस्तरीय अवरोधकों के जरिये रोक दिया। उन्होंने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछार कीं।
इससे पहले अंबाला के उपायुक्त पार्थ गुप्ता और अंबाला के पुलिस अधीक्षक एस.एस. भोरिया ने कुछ प्रदर्शनकारी किसानों से आधे घंटे से अधिक समय तक बातचीत की और उन्हें दिल्ली से राष्ट्रीय राजधानी की ओर जाने की अनुमति प्राप्त करने के लिए मनाने की कोशिश की। हालांकि, किसान दिल्ली जाने पर अड़े रहे और सुरक्षाकर्मियों से उन्हें आगे बढ़ने देने का आग्रह किया।
अवरोधक के दूसरी ओर खड़े हरियाणा के अधिकारियों से बहस करते हुए एक किसान नेता ने कहा, ‘‘हम शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ना चाहते हैं। हमारी आवाज को इस तरह नहीं दबाया जाना चाहिए। देश की आधी से ज्यादा आबादी कृषि से जुड़ी है, उनकी आवाज को दबाया नहीं जा सकता।’’
किसान नेता ने कहा, ‘‘हम शांतिपूर्ण तरीके से पैदल मार्च कर रहे हैं, इसलिए हमें आगे बढ़ने की अनुमति दी जानी चाहिए। हम चाहते हैं कि सरकार किसानों और मजदूरों की समस्याओं को सुने। हम शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली जाना चाहते हैं।’’
अंबाला के पुलिस अधीक्षक एसएस भोरिया ने किसानों से कहा कि अगर वे दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करना चाहते हैं तो उन्हें संबंधित अधिकारियों से अनुमति लेनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हम स्वयं आपको वहां तक पहुंचने में मदद करेंगे।’’ भोरिया ने उनसे कहा कि जिस स्थान पर यानी शंभू बॉर्डर पर आप विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, वहां उच्चतम न्यायालय ने 24 जुलाई के आदेश के यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए हैं ताकि कोई अप्रिय घटना न घटे।
भोरिया ने प्रदर्शनकारी किसानों से वापस चले जाने की अपील करते हुए शीर्ष न्यायालय का हवाला देते हुए कहा कि उसके द्वारा गठित एक उच्चस्तरीय समिति प्रदर्शनकारी किसानों से बात करेगी और न्यायालय को सिफारिशें देगी।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने शुक्रवार को कहा था, ‘‘किसानों को हिंसक नहीं होना चाहिए और शांतिपूर्ण आंदोलन करना चाहिए। उन्हें विरोध प्रदर्शन का गांधीवादी तरीका अपनाना चाहिए क्योंकि उनकी शिकायतों पर विचार किया जा रहा है।’’ पीठ ने केंद्र और पंजाब सरकार के प्रतिनिधियों को आमरण अनशन कर रहे जगजीत सिंह डल्लेवाल से तुरंत मिलने का निर्देश दिया था। अंबाला के जिला उपायुक्त पार्थ गुप्ता ने प्रदर्शनकारियों को बताया कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है और सुनवाई की अगली तारीख 18 दिसंबर तय की गई है।
इस बीच, खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन शनिवार को 19वें दिन में प्रवेश कर गया। चिकित्सकों ने पहले ही उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की सलाह दी है, क्योंकि लंबे समय तक अनशन के कारण वह कमजोर हो गए हैं। लेकिन प्रदर्शनकारी किसानों ने डल्लेवाल के चारों ओर सुरक्षा घेरा बना दिया है ताकि राज्य के अधिकारी उन्हें प्रदर्शन स्थल से हटा न सकें।
एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और केएमएम के बैनर तले किसान 13 फरवरी को सुरक्षा बलों द्वारा दिल्ली जाने पर रोके जाने के बाद से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर डेरा डाले हुए हैं।
फसलों के लिए एमएसपी पर कानूनी गारंटी के अलावा, किसान कर्ज माफी, किसानों और खेतीहर मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं करने, पुलिस द्वारा आंदोलन के दौरान दर्ज मामलों को वापस लेने और 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘न्याय’ की मांग कर रहे हैं। भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करना और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देना भी उनकी मांगों का हिस्सा है।
(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
Published By : Sadhna Mishra
पब्लिश्ड 14 December 2024 at 20:06 IST