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Updated April 23rd, 2024 at 15:22 IST

दल बदल कानून को मजबूत किया जाए, चुनाव में मुफ्त के उपहार खत्म हों: नायडू

पूर्व उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को कहा कि नेताओं द्वारा ‘बार-बार’दल बदलना ‘परेशान करने वाला है।’

Reported by: Digital Desk
M Venkaiah Naidu
M Venkaiah Naidu | Image:PTI
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पूर्व उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को कहा कि नेताओं द्वारा ‘बार-बार’दल बदलना ‘परेशान करने वाला है।’ उन्होंने दल बदल कानून को और मजबूत करने का आह्वान किया। पद्म पुरस्कार मिलने के बाद अपने आवास पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा कि चुनाव के दौरान कोष के प्रबंधन के बिना ‘मुफ्त के उपहार’ देने की घोषणा हानिकारक परिपाटी है और इसे हतोत्साहित किया जाना चाहिए और लोगों को भी दलों एवं नेताओं के इन बड़े-बड़े वादों पर सवाल करना चाहिए।

नायडू को सोमवार शाम राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया। उन्होंने कहा, ‘‘दलबदल को हतोत्साहित किया जाना चाहिए। हमें दलबदल रोधी कानून को मजबूत करना चाहिए।’’ पूर्व उप राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘अब, चिंता की बात यह है कि सार्वजनिक जीवन में मानकों में गिरावट आ रही है। राजनीतिक दलों में, लोग अक्सर अपनी पार्टियां बदलते हैं। नवीनतम प्रवृत्ति यह है कि लोग सुबह एक पार्टी में होते हैं और शाम को दूसरी पार्टी में शामिल हो जाते हैं और फिर वे अपने नेता की आलोचना करते हैं और दाएं-बायें बातें कहते हैं, उनमें से कुछ को टिकट मिलने में भी वरीयता मिलती है।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत परेशान करने वाली प्रवृत्ति है और लोगों को इससे बचना चाहिए। लोगों को दलों में काम करना चाहिए और अपनी साख साबित करनी चाहिए। अगर कोई पार्टी बदलना चाहता है, तो उसे उस पार्टी द्वारा दिए गए पद से इस्तीफा दे देना चाहिए और उसके बाद ही दूसरी पार्टी में शामिल होना चाहिए। कोई भी समझ सकता है कि आरोप लगा रहे हैं, लेकिन जो हो रहा है वह आरोप नहीं बल्कि अनुचित व्यवहार है।’’

उन्होंने कहा कि एक और अस्वस्थ प्रवृत्ति यह है कि लोग दाएं-बाएं वादे कर रहे हैं, बिना यह सोचे कि पैसा कहां से आएगा, क्योंकि पैसा तो है नहीं। पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘राजनीतिक दलों को एक घोषणापत्र जारी करना चाहिए और दूसरा, राज्य की वित्तीय स्थिति के अनुकूल योजनाएं लानी चाहिए और तीसरा,उन्हें बताना चाहिए कि संसाधन कैसे जुटाए जाएंगे और फिर वे उसे कैसे खर्च करना चाहते हैं।’’

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उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि कैसे सबकुछ मुफ्त में देना संभव है क्योंकि ‘पैसे पेड़े पर नहीं उगते।’ नायडू ने कहा कि राज्यों पर लाखों करोड़ रुपये का बोझ है फिर भी नेता सबकुछ मुफ्त में देने के वादे कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं मुफ्त के उपहार के खिलाफ हूं। मैं इसके पक्ष में हूं कि दो चीजें शिक्षा और स्वास्थ्य मुफ्त दी जानी चाहिए। शिक्षा और स्वास्थ्य मुफ्त कीजिए और बाकी अन्य से बचें। वे यह नहीं कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह के वादों और मुफ्त सुविधाओं को हतोत्साहित किया जाना चाहिए और राजनीतिक दलों से सवाल करना चाहिए कि आप संसाधन कैसे जुटाने जा रहे हैं। घोषणापत्र और संसाधन जुटाने तथा राज्य के वित्तीय स्वास्थ्य को लोगों के सामने पेश किया जाना चाहिए।’’ नायडू ने मतदाताओं से उन उम्मीदवारों को खारिज करने की अपील की जो अश्लील भाषा का इस्तेमाल करते हैं और खुले तौर पर भ्रष्टाचार के लिए जाने जाते हैं।

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आंध्र प्रदेश से जाकर तमिलनाडु बस गए एक धार्मिक संत से मुलाकात का उल्लेख करते हुए नायडू ने कहा कि मुस्लिम मूल के होने के बावजूद वह हर सुबह राम भजन गाते हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृति जीने का तरीका है जबकि धर्म प्रार्थना का तरीका। पूर्व उप राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘राम देश की संस्कृति हैं और वह धार्मिक व्यक्ति नहीं है। राम एक इंसान के तौर पर, महान शासक के रूप में, महान पिता और पुत्र के रूप में आदर्श हैं, वह मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। ’’ उन्होंने कहा कि लोगों को उनका संदेश है कि उन्हें सार्वजनिक जीवन में रुचि लेनी चाहिए न केवल राजनीति में।

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Published April 23rd, 2024 at 15:22 IST

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