अपडेटेड 23 February 2024 at 11:16 IST

Manohar Joshi: कौन थे मनोहर जोशी? बाल ठाकरे के करीबी और शिवसेना के पहले CM के बारे में जानें सबकुछ

मनोहर जोशी नहीं रहे। महाराष्ट्र के पहले गैर कांग्रेसी CM का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। मराठी मानुष के इस दिग्गज ने भारतीय राजनीति के पटल पर खास जगह बनाई

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manohar joshi death
मनोहर जोशी का निधन | Image: manohar joshi death/x

Manohar Joshi Death:  3 साल 323 दिन के सीएम रहे मनोहर जोशी ने राज्य से लेकर केन्द्र तक अपनी छाप छोड़ी। शिवसेना संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के बेहद करीबी थे। कानून की पढ़ाई की  फिर सियासी पिच पर जोरदार बैटिंग की। उनका जाना उस युग के अंत सा है जिन्होंने देश को एक नई राह दिखाई।

करीब 5 दशक तक राजनीति में सक्रिय रहने वाले मनोहर जोशी का राजनीतिक जीवन मुंबई नगर निगम के पार्षद के रूप में शुरू हुआ। इसके बाद वो मेयर, विधान परिषद सदस्य, विधायक,लोकसभा-राज्यसभा सांसद और केंद्रीय मंत्री तक बने।  एनडीए सरकार के दौरान 2 साल के लिए लोकसभा अध्यक्ष भी बने।

मनोहर जोशी कौन ?

बाला साहेब ठाकरे के करीबियों में शुमार मनोहर जोशी मार्च 1995 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने वाले शिवसेना के पहले नेता थे। वह 1966 में शिवसेना के गठन के वक्त से इस पार्टी से जुड़े रहे।  महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले स्थित नंदवी गांव में 2 दिसंबर, 1937 को मनोहर जोशी का जन्म मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ। पिता का नाम गजानन कृष्ण जोशी और मां का नाम सरस्वती गजानन था।

पूर्व CM ने मुंबई में शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने कानून की पढ़ाई की। इसके बाद बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) में अधिकारी के रूप में शामिल हुए। बाद में युवाओं के लिए उन्होंने कोहिनूर टेक्निकल इंस्टिट्यूट (KTI) स्थापित किया। जिसका लक्ष्य युवाओं को सशक्त बनाना है।

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राजनीतिक करियर शानदार

मनोहर जोशी को मराठी, हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत भाषा में महारत हासिल थी। मनोहर जोशी ने 1967 में राजनीतिक जीवन में एंट्री मारी और तब से शिवसेना के वफादार लोगों में शामिल रहे। हालांकि, कई मौकों पर बगावत से जुड़ी अफवाहें उड़ीं, पर उन्होंने शिवसेना का साथ नहीं छोड़ा।

शिवसेना में शामिल होने के बाद साल 1968-70 के दौरान मनोहर जोशी मुंबई के निगम पार्षद रहे और 1970 में स्थाई समिति (नगर निगम) के सभापति रहे। 1972 में मनोहर जोशी विधान परिषद के निर्वाचित हुए और शिवसेना के कोटे से उन्होंने लगातार तीन कार्यकाल पूरा किया। इसके बाद 1990 में शिवसेना के टिकट पर उन्होंने चुनाव जीता।  

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सीएम के तौर पर कार्यकाल

मार्च 1995 में शिवसेना और भाजपा गठबंधन के सत्ता में आने पर मनोहर जोशी को सीएम बनाया गया। उन्हें शिवसेना के पहले नेता के तौर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ। वो महाराष्ट्र के पहले गैर-कांग्रेस मुख्यमंत्री थे। उन्होंने 1995 से लेकर 1999 तक मुख्यमंत्री के तौर पर महाराष्ट्र की सेवा की। इस दौरान उन्होंने महिलाओं के लिए कामधेनु नीति, बुजुर्गों के लिए मातोश्री वृद्धाश्रम योजना और युवाओं के लिए सैनिक स्कूल की शुरुआत की थी।

एक विवाद से भी जुड़ा नाम

मामला जमीन से जुड़ा था। बात 1999 की है। विपक्ष ने आरोप लगाया कि अपने दामाद गिरीश व्यास के दोस्त को फायदा पहुंचाने के लिए कानून को ताक पर रखा। विपक्ष का कहना था कि पुणे में एक स्कूल के लिए आरक्षित जमीन का एक हिस्सा जारी कर दिया था। इसकी  वजह से बाद में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था।

कब लड़ा था लोकसभा चुनाव?

मुख्यमंत्री के तौर पर कार्यकाल पूरा करने के बाद मनोहर जोशी ने दिल्ली का रुख किया। उन्होंने 1999 के लोकसभा चुनाव में मुंबई की उत्तर-मध्य सीट से शिवसेना की टिकट पर अपनी किस्मत आजमाई थी और तेरहवीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। बाद में उन्हें अटल बिहारी कैबिनेट में शामिल किया गया था।

लोकसभा अध्यक्ष भी लेकिन...

जोशी साल 2002 से 2004 तक लोकसभा स्पीकर भी रहे। पद पर जब बैठे जब एक हेलीकॉप्टर हादसे में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष जीएमसी बालयोगी का निधन हो गया था। इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने मनोहर जोशी के नाम का प्रस्ताव रखा था और यह प्रस्ताव सर्वसम्मति के पारित हो गया था। 

Published By : Kiran Rai

पब्लिश्ड 23 February 2024 at 08:30 IST