अपडेटेड 7 August 2024 at 18:18 IST

सड़क बनाने की इस तकनीकि से होगी 10 हजार करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत, संसद में गडकरी का दावा

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पूरक प्रश्नों का जवाब देते हुए कहा कि किसान अब न केवल खाद्यान्न पैदा कर रहे हैं बल्कि वे ऊर्जा उत्पादक भी बन गए हैं।

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Nitin Gadkari
संसद में गडकरी का दावा | Image: PTI

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को कहा कि सरकार पेट्रोलियम आधारित डामर में 35 प्रतिशत तक लिग्निन मिलाने की अनुमति देगी। डामर एक पदार्थ है जो कच्चे तेल के रिसाव के माध्यम से प्राप्त होता है और इसका व्यापक रूप से सड़कों और छतों को बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। इसका एक बड़ा हिस्सा दूसरे देशों से आयात किया जाता है। गडकरी ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान बताया 'हमारे पास दुनिया का सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क है। 90 प्रतिशत सड़कें डामर की परतों से बनी हैं। 2023-24 में डामर की खपत 88 लाख टन थी जिसके 2024-25 में 100 लाख टन हो जाने की उम्मीद है। 50 प्रतिशत डामरका आयात किया जाता है और वार्षिक आयात लागत 25,000-30,000 करोड़ रुपये है।'

मंत्री ने पूरक प्रश्नों का जवाब देते हुए कहा कि किसान अब न केवल खाद्यान्न पैदा कर रहे हैं बल्कि वे ऊर्जा उत्पादक भी बन गए हैं। उन्होंने कहा कि केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) और भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून ने धान की पराली से जैविक डामर विकसित किया है। मंत्री ने कहा कि पराली जलाने के कारण दिल्ली में हर साल वायु प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है। उन्होंने कहा, 'एक टन पराली (धान की भूसी) से 30 प्रतिशत जैविक डामर, 350 किलोग्राम बायो-गैस और 350 किलोग्राम बायोचार मिल रहा है।'


35 प्रतिशत जैविक डामर का उपयोग सफल रहा

गडकरी ने कहा कि 35 प्रतिशत जैविक डामर का डामर की जगह उपयोग सफल रहा है। उन्होंने कहा कि इससे 10,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत होने की उम्मीद है और पेटेंट के लिए आवेदन पहले ही जमा किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि पेट्रोलियम आधारित डामर की कीमत 50 रुपये प्रति किलोग्राम है, जबकि बायोमास (चावल की भूसी) से जैविक डामर की कीमत 40 रुपये प्रति किलोग्राम है। गडकरी ने कहा कि इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के पास पानीपत में चावल की भूसी से प्रतिदिन एक लाख लीटर इथेनॉल बनाने की परियोजना है। इसके अलावा प्रतिदिन 150 टन जैविक डामर और प्रति वर्ष 88,000 टन बायो-एविएशन ईंधन बनाया जा रहा है।


चावल की भूसी के लिए किसानों को 2,500 रुपये प्रति टन की कीमत!

केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा, '...अब हमारे पास 450 परियोजनाएँ हैं जहाँ हम पराली (चावल की भूसी) को बायो-सीएनजी में बदल रहे हैं, और हमें लिग्निन मिल रहा है। अब मेरा विभाग एक अधिसूचना आदेश जारी करने जा रहा है जिसके जरिये हम इस लिग्निन का उपयोग पेट्रोलियम डामर में 35 प्रतिशत तक कर सकते हैं।' गडकरी ने कहा कि ये 450 परियोजनाएँ हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हैं जहाँ बायोमास (पराली) को बायो-सीएनजी में बदला जा रहा है, और अब लिग्निन मिल रहा है। उन्होंने कहा ,'अब हम इसे खरीदने के लिए तैयार हैं। हम आदेश जारी कर रहे हैं। यह न केवल हमारे आयात को बचाएगा, बल्कि यह वायु प्रदूषण की समस्या को हल करने जा रहा है। साथ ही, यह किसानों के लिए उपयोगी है। किसानों को चावल की भूसी के लिए 2,500 रुपये प्रति टन की कीमत मिल सकती है।'

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मंत्रालय ने दी शोध परियोजनाओं को मंजूरी

गडकरी ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने पारिस्थितिकी और पर्यावरण की रक्षा के लिए कई पर्यावरण-अनुकूल निर्णय लिए हैं। उन्होंने कहा, 'हम फ्लाई ऐश का इस्तेमाल कर रहे हैं। हम 86 किलोमीटर लंबे बांस के क्रैश बैरियर का इस्तेमाल कर रहे हैं। हम प्लास्टिक, रबर के कचरे को डामर में बदल रहे हैं। हम स्टील स्लैग का इस्तेमाल कर रहे हैं।' बिटुमिन से संबंधित एक प्रश्न के लिखित उत्तर में उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने प्रयोगशाला में जैविक डामर का मूल्यांकन करने और इससे निर्मित फुटपाथ के दीर्घकालिक इस्तेमाल को लेकर आकलन करने के लिए दो शोध परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इनमें से एक परियोजना आईआईटी रुड़की को और दूसरी देहरादून स्थित भारतीय पेट्रोलियम संस्थान के समन्वय से नयी दिल्ली स्थित केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान को दी गई है।


जानिए जैविक डामर के फायदे

गडकरी ने बताया कि सड़क निर्माण में जैविक डामर की उपयोगिता का आकलन करने के वास्ते तीन साल के लिए नवंबर 2022 में एनएच-709एडी के शामली-मुजफ्फरनगर खंड पर एक परीक्षण खंड की निगरानी की जा रही है। एनएचएआई ने एनएच-40 के जोराबाट-शिलांग खंड पर बायो-बिटुमिन के साथ परीक्षण करने पर भी विचार किया है। उन्होंने कहा कि जैविक डामर के इस्तेमाल से डामर के आयात में कमी, ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन में कमी और किसानों/एमएसएमई के लिए राजस्व उत्पन्न करने और रोजगार के अवसर मिलने का अनुमान है।

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Published By : Ravindra Singh

पब्लिश्ड 7 August 2024 at 18:18 IST