अपडेटेड 4 August 2024 at 17:34 IST
अमेरिकी के बराबर कमाने में भारतीय को कितना समय लगेगा? वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट ने किया परेशान
भारत को प्रति व्यक्ति अमेरिकी आय के एक-चौथाई तक पहुंचने में भी लगभग 75 साल लग सकते हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत 75 बाद भी अमेरिका से पीछे रहेगा।
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World Bank New Report: भारत की अर्थव्यवस्था पिछले कुछ सालों में दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने का टारगेट रखा है। आर्थिक तरक्की के रास्ते पर भारत भले ही तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन प्रति व्यक्ति आय बढ़ाना अभी भी हमारे देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। हाल ही में आई वर्ल्ड बैंक (World Bank) की एक रिपोर्ट में प्रति व्यक्ति आए बढ़ाने के लिए आने वाली चुनौतियों के बारे में जिक्र किया गया है।
भारत समेत 100 से अधिक देशों को अगले कुछ दशकों में अधिक प्रति व्यक्ति आय वाला देश बनने में गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। भारत को प्रति व्यक्ति अमेरिकी आय के एक-चौथाई तक पहुंचने में भी लगभग 75 साल लग सकते हैं। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई। विश्व बैंक की 'विश्व विकास रिपोर्ट 2024 के मुताबिक, चीन को प्रति व्यक्ति अमेरिकी आय के एक-चौथाई तक पहुंचने में 10 साल से अधिक और इंडोनेशिया को लगभग 70 साल लगेंगे।
108 देशों के सामने ये मुश्किल
इस रिपोर्ट में पिछले 50 सालों के अनुभव के आधार पर पाया गया है कि जैसे-जैसे देश अमीर होते जाते हैं, वे आम तौर पर प्रति व्यक्ति वार्षिक अमेरिकी जीडीपी के लगभग 10 प्रतिशत के जाल में फंस जाते हैं। यह 10 प्रतिशत राशि आज 8,000 अमेरिकी डॉलर के बराबर है। साल 2023 के अंत में विश्व बैंक ने 108 देशों को मध्यम आय वर्ग के रूप में वर्गीकृत किया था। इनकी प्रति व्यक्ति वार्षिक जीडीपी 1,136 अमेरिकी डॉलर से लेकर 13,845 अमेरिकी डॉलर के बीच थी।
इन देशों में छह अरब लोग रहते हैं, जो वैश्विक आबादी का 75 प्रतिशत है। दुनिया में हर तीन में से दो लोग अत्यधिक गरीबी में जीवन बिता रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इन देशों के लिए आगे की राह में कई चुनौतियां हैं। इनमें तेजी से उम्रदराज हो रही जनसंख्या और बढ़ता कर्ज, तेज भू-राजनीतिक और व्यापार गतिरोध और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना आर्थिक प्रगति में मुश्किलें शामिल हैं।
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पिछली सदी की रणनीति पर काम
इन चुनौतियों के बावजूद मध्यम आय वाले कई देश अभी भी पिछली सदी की रणनीति पर चल रहे हैं और मुख्य रूप से निवेश बढ़ाने के लिए बनाई गई नीतियों पर निर्भर हैं। यह कार को पहले गियर में रखकर उसे तेज चलाने की कोशिश जैसा है। विश्व बैंक समूह के मुख्य अर्थशास्त्री और विकास अर्थशास्त्र के वरिष्ठ उपाध्यक्ष इंदरमीत गिल ने कहा कि अगर ये देश पुरानी रणनीति पर ही टिके रहते हैं, तो इनमें से ज्यादातर विकासशील देश इस सदी के मध्य तक समृद्ध समाज बनाने की दौड़ में पीछे रह जाएंगे।
(भाषा इनपुट के साथ रिपब्लिक भारत डेस्क)
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Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 4 August 2024 at 17:34 IST