Updated May 9th, 2024 at 12:37 IST
65 साल में भारत में हिंदू आबादी 8% घटी, मुस्लिम आबादी में 43% से भी ज्यादा इजाफा; रिपोर्ट में खुलासा
EAC-PM के मुताबिक, 1950 और 2015 के बीच भारत में बहुसंख्यक हिंदू आबादी की हिस्सेदारी 84.68 फीसदी से 7.82 फीसदी घटकर 78.06 फीसदी हो गई।
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India Hindu Population: प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) की एक रिपोर्ट में धार्मिक आधार पर देश की आबादी को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के वर्किंग पेपर के अनुसार, भारत के भीतर हिंदू आबादी में लगातार गिरावट हुई है। 1950 और 2015 के बीच हिंदू आबादी की हिस्सेदारी में 7.82 प्रतिशत घटी है। इसके ठीक उलट देश में 1950 से 2015 के बीच मुस्लिम आबादी में जबरदस्त उछाल देखा गया है। रिपोर्ट में दावा है कि देश में पिछले तकरीबन 65 साल में मुसलमानों की आबादी में 43.15 फीसदी का इजाफा हुआ है।
आर्थिक सलाहकार परिषद ने कुल 167 देशों में धार्मिक आबादी की हिस्सेदारी में वृद्धि और कमी पर एक स्टडी की। उसके बाद आबादी के धार्मिक आंकड़ों की रिपोर्ट जारी की। जो आर्थिक सलाहकार परिषद के एक वर्किंग पेपर जारी किया गया है, उसे ईएसी-पीएम की सदस्य शमिका रवि, सलाहकार अपूर्व कुमार मिश्रा और यंग प्रोफेशनल अब्राहम जोस ने तैयार किया है।
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ईएसी-पीएम क्या है?
आंकड़ों को समझने से पहले आपको ईएसी-पीएम मतलब प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के बारे में बतलाते हैं। देश के प्रधानमंत्री को आर्थिक और संबंधित मुद्दों पर सलाह देने के लिए गठित एक स्वतंत्र निकाय है। किसी भी मुद्दे, आर्थिक या अन्य विश्लेषण, उस पर सलाह देना, व्यापक आर्थिक महत्व के मुद्दों को संबोधित करना और उन पर प्रधानमंत्री के सामने विचार रखने का काम ईएसी-पीएम का है। फिलहाल बिबेक देबरॉय इसके चेयरमैन हैं। बाकी सदस्यों में संजीव सान्याल, शमिका रवि, राकेश मोहन, साजिद चिनॉय, नीलकंठ मिश्रा, नीलेश शाह, टीटी राम मोहन और पूनम गुप्ता शामिल हैं।
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आबादी के धार्मिक आंकड़ों की रिपोर्ट
अब ईएसी-पीएम की आबादी के धार्मिक आंकड़ों की रिपोर्ट के बारे में बताते हैं। आर्थिक सलाहकार परिषद के वर्किंग पेपर के मुताबिक, 1950 और 2015 के बीच भारत में बहुसंख्यक हिंदू आबादी की हिस्सेदारी 84.68 फीसदी से 7.82 फीसदी घटकर 78.06 फीसदी हो गई। 1950 में मुस्लिम आबादी की हिस्सेदारी 9.84 प्रतिशत थी और 2015 में बढ़कर 14.09 प्रतिशत हो गई। इससे कुल मिलाकर उनकी हिस्सेदारी में 43.15 प्रतिशत का इजाफा हुआ।
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पारसियों और जैनियों को छोड़कर भारत में अन्य सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों की आबादी में इस अवधि में 6.58 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की जनसंख्या में जैनियों की हिस्सेदारी 1950 में 0.45 प्रतिशत से घटकर 2015 में 0.36 प्रतिशत हो गई। भारत में पारसी आबादी की हिस्सेदारी में 85 प्रतिशत की भारी गिरावट देखी गई, जो 1950 में 0.03 प्रतिशत से घटकर 2015 में 0.004 प्रतिशत हो गई। इस अवधि के दौरान ईसाई आबादी का हिस्सा 2.24 फीसदी से 5.38 फीसदी बढ़कर 2.36 फीसदी हो गया। सिख आबादी में पिछले 65 साल में 6.58 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। सिख आबादी का हिस्सा 1950 में 1.24 प्रतिशत से बढ़कर 2015 में 1.85 प्रतिशत हो गया।
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सार्क देशों में क्या हालात हैं?
भारत के अलावा उसके पड़ोसी मुल्कों या यूं कहें कि सार्क देशों में आबादी के आधार पर धार्मिक रिपोर्ट को देखा जाए तो बहुसंख्यक धार्मिक समुदाय की हिस्सेदारी 4 देशों में घटी है जबकि 5 देशों में इसकी हिस्सेदारी बढ़ी है। मालदीव को छोड़कर सभी मुस्लिम बहुसंख्यक देशों में बहुसंख्यक धार्मिक समुदाय की हिस्सेदारी में वृद्धि देखी गई, जहां बहुसंख्यक समूह (शफ़ीई सुन्नियों) की हिस्सेदारी में 1.47 प्रतिशत की गिरावट आई। पांच गैर-मुस्लिम बहुसंख्यक देशों में से म्यांमार, भारत और नेपाल में बहुसंख्यक धार्मिक संप्रदाय की हिस्सेदारी में गिरावट देखी गई, जबकि श्रीलंका और भूटान में उनकी हिस्सेदारी में वृद्धि देखी गई।
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पाकिस्तान में तेजी से घटी हिंदू आबादी
पाकिस्तान की बात करें तो यहां मुस्लिम बहुसंख्यक हैं, जिनकी हिस्सेदारी में 3.75 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इससे उनकी हिस्सेदारी 77 प्रतिशत से बढ़कर 80 प्रतिशत हो गई है। हालांकि, आरसीएस-डेम डेटासेट के अनुसार, 1971 में बांग्लादेश के गठन के बावजूद 1950 और 2015 के बीच पाकिस्तान में कुल मुस्लिम आबादी का हिस्सा 10 प्रतिशत बढ़ गया, जो 84 प्रतिशत से बढ़कर 93 प्रतिशत हो गया। शिया आबादी का हिस्सा (6 से 9 प्रतिशत तक) और अहमदिया आबादी का हिस्सा तीन गुना (1 से 3 प्रतिशत) बढ़ा है।
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पाकिस्तान में हिंदू आबादी दयनीय स्थिति में जा पहुंची है। रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में हिंदू आबादी उनकी हिस्सेदारी में गिरावट का प्रमाण है - 1950 में 13 प्रतिशत से घटकर 2015 में केवल 2 प्रतिशत रह गई। यह 65 साल की अवधि में 80 प्रतिशत की भारी कमी है, जहां वैश्विक स्तर पर अल्पसंख्यकों में औसतन 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। दिलचस्प बात यह है कि इसी अवधि में पाकिस्तान में ईसाइयों की हिस्सेदारी 1 से 2 प्रतिशत तक लगभग दोगुनी हो गई।
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Published May 9th, 2024 at 12:37 IST
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