अपडेटेड 22 May 2024 at 17:47 IST

25 मई को खुलेंगे श्री हेमकुंड साहिब के कपाट, राज्यपाल की मौजूदगी में श्रद्धालुओं का पहला जत्था रवाना

25 मई को खुलेंगे श्री Hemkund Sahib के कपाट, राज्यपाल गुरमीत की मौजूदगी में श्रद्धालुओं का पहला जत्था रवाना

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Shri Hemkund Sahib
श्री हेमकुंड साहिब | Image: Shutterstock

Shri Hemkund Sahib Yatra: श्री हेमकुंड साहिब यानी सिखों के 10वें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की तपस्थली, जिसे सबसे प्रतिष्ठित सिख तीर्थस्थलों में से भी एक माना जाता है, साथ ही इस यात्रा को सिख तीर्थों की सबसे कठिन तीर्थ यात्रा भी कहा जाता है। करीब 15 हजार फीट ऊंचे ग्लेशियर पर स्थित श्री हेमकुंड साहिब चारों तरफ से ग्लेशियर से घिरा हुआ है, इन्हीं ग्लेशियर से जो बर्फीला पानी जलकुंड को बनाता है, उसे ही हेमकुंड यानी बर्फ का कुंड कहा जाता है। 

हेमकुंड का बहुत खास महत्व है, इसलिए श्रद्धालुओं को भी श्री हेमकुंड साहिब के कपाट खुलने का बेसब्री से इंतजार रहता है। वहीं अब ये इंतजार खत्म होने जा रहा है, क्योंकि हेमकुंड साहिब के कपाट 25 मई को खुल रहे हैं। ऐसे में उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह की उपस्थिति में आज ऋषिकेश से सिख तीर्थस्थल हेमकुंड साहिब के लिए श्रद्धालुओं का पहला जत्था भी रवाना हो गया है।

ऋषिकेश से श्रद्धालुओं का पहला जत्था रवाना

गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब यात्रा के लिए बुधवार को ऋषिकेश स्थित गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब प्रबंधन समिति की तरफ से श्रद्धालुओं का पहला जत्था रवाना किया गया है। वहीं मुख्य अतिथि के रूप में राज्यपाल और पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने जत्थे को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

श्री हेमकुंड साहिब को फूलों से सजाया 

हेमकुंड साहिब और लोकपाल लक्ष्मण मंदिर की यात्रा व्यवस्था पूरी कर दी गई हैं। श्री हेमकुंड साहिब और लोकपाल लक्ष्मण मंदिर को भी फूलों से सजाया जा रहा है। बता दें कपाट खुलने के लिए अब सिर्फ तीन दिन ही बाकी रह गए हैं। हेमकुंड साहिब के कपाट 25 मई को खुल रहे हैं। वहीं, 24 मई को गोविंदघाट से पंच प्यारों के नेतृत्व में जत्था रवाना होगा। वहीं यात्रा मार्ग पर कपाट खुलने की तैयारी भी पूरी कर ली गई है।

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हर साल श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है

मान्यता है कि यहां श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने बरसों तक महाकाल की आराधना की थी। यही वजह है कि सिक्ख समुदाय की इस तीर्थ में अगाध श्रद्धा है और वह तमाम दिक्क्तों के बाद भी यहां पहुंचते हैं और हर साल श्रद्धालुओं का सैलाब यहां उमड़ता है। इसके अलावा, लोकपाल लक्ष्मण मंदिर का भी यहा बड़ा महत्व है, मान्यता है कि भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण जी ने पूर्व जन्म में शेषनाग के अवतार में तपस्या की थी। यहां पर लक्ष्मण मंदिर भी है। जिसमें भी हर साल भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुंचे हैं। 

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Published By : Nidhi Mudgill

पब्लिश्ड 22 May 2024 at 17:18 IST