अपडेटेड 16 December 2024 at 23:09 IST

Demolition of Delhi Public Library: न्यायालय ने कहा- भूमि हड़पने वालों से सख्ती से निपटा जाए

न्यायालय ने कहा कि वह इस बात का ‘‘गहराई से पता लगाएगा’’ कि कैसे करोल बाग में सार्वजनिक पुस्तकालय वाली सौ साल पुरानी एक इमारत को ध्वस्त कर दिया गया।

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Demolition of Delhi Public Library: न्यायालय ने कहा- भूमि हड़पने वालों से सख्ती से निपटा जाए | Image: Meta AI

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि भूमि हड़पने वालों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए। साथ ही न्यायालय ने कहा कि वह इस बात का ‘‘गहराई से पता लगाएगा’’ कि कैसे करोल बाग में सार्वजनिक पुस्तकालय वाली सौ साल पुरानी एक इमारत को ध्वस्त कर दिया गया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने उस समय नाखुशी जताई, जब उसे बताया गया कि 2018 में इमारत को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने ध्वस्त नहीं किया, बल्कि एक अधिकारी ने मौखिक आदेश पर यह कार्रवाई की थी।

शीर्ष अदालत ने इस बात को लेकर भी नाखुशी जताई कि…

शीर्ष अदालत ने इस बात को लेकर भी नाखुशी जताई कि इस मामले में दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड से कोई भी व्यक्ति उपस्थित नहीं था और मामले में पेश होने के लिए किसी वकील को अधिकृत नहीं किया गया था। पीठ ने निजी फर्म ‘डिम्पल एंटरप्राइज’ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एस. मुरलीधर से कहा, ‘‘भूमि हड़पने वालों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए।’’

डिम्पल एंटरप्राइज संपत्ति की मालिक है और कथित तौर पर उस स्थान पर व्यावसायिक परिसर का निर्माण करना चाहती थी, जहां यह इमारत हुआ करती थी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, ‘‘हम सच्चाई का पता लगाने के लिए गहराई तक जाएंगे। हम याचिकाकर्ता (दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड) के मुकदमा नहीं लड़ने पर भी आदेश जारी करेंगे।’’

पीठ ने कहा, ‘‘आपने (निजी फर्म मेसर्स डिम्पल एंटरप्राइज) एमसीडी और लाइब्रेरी अधिकारियों के साथ मिलीभगत की होगी। आपने उन्हें रिश्वत दी होगी।’’ पहली दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी की शुरुआत तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1951 में पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास की थी। दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी एक स्वायत्त निकाय है, जिसे संस्कृति मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित किया जाता है और राष्ट्रीय राजधानी में इसकी लगभग 45 शाखाएं और मोबाइल लाइब्रेरी हैं।

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पीठ ने दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड के अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया कि वे इस मामले में क्यों पेश नहीं हो रहे हैं। निगम द्वारा दाखिल हलफनामे को ‘‘भ्रामक’’ करार देते हुए पीठ ने एमसीडी से कहा कि वह संपत्ति का पूरा विवरण देते हुए एक बेहतर हलफनामा दाखिल करे कि वहां कौन रहता था और वर्तमान मालिक कौन है।

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(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Published By : Garima Garg

पब्लिश्ड 16 December 2024 at 23:09 IST