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Published 22:29 IST, October 1st 2024

हम नहीं चाहते कि लक्ष्मीबाई की प्रतिमा विवाद का विषय बने, सदर बाजार विवाद पर बोली दिल्ली हाईकोर्ट

लक्ष्मीबाई के राष्ट्रीय हस्ती होने पर सहमति जताते हुए अपीलकर्ता के वकील ने कहा कि पार्क का उपयोग एक निश्चित धार्मिक कार्यक्रम के लिए किया जाता है।

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Delhi High Court
हम नहीं चाहते कि लक्ष्मीबाई की प्रतिमा विवाद का विषय बने, सदर बाजार विवाद पर बोली दिल्ली हाईकोर्ट | Image: PTI/File

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि महारानी लक्ष्मीबाई कोई धार्मिक व्यक्तित्व नहीं हैं। इसके साथ ही अदालत ने सदर बाजार स्थित शाही ईदगाह पार्क में एमसीडी द्वारा उनकी प्रतिमा स्थापित करने के विरोध पर सवाल किया और कहा कि वह नहीं चाहता कि यह मुद्दा अनावश्यक रूप से किसी विवाद का विषय बने। मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्वतंत्रता सेनानी की प्रतिमा स्थापित करने पर रोक लगाने से इनकार करने वाले एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ शाही ईदगाह प्रबंध समिति की अपील पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।

अदालत ने टिप्पणी की, "इतनी उत्तेजना क्यों है? हम विरोध को समझ नहीं पा रहे हैं... आपको स्वेच्छा से आगे आना चाहिए, न कि न्यायालय को आदेश पारित करना चाहिए। वह (महारानी लक्ष्मीबाई) कोई धार्मिक व्यक्तित्व नहीं हैं।" पीठ में न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला भी शामिल थे। पीठ ने सुनवाई चार अक्टूबर तक टाल दी तथा अपीलकर्ता की ओर से उपस्थित वरिष्ठ वकील को अपने मुवक्किल से बात करने को कहा।

पीठ ने वरिष्ठ वकील से कहा, "हम चाहते हैं कि आप अपने मुवक्किल से बात करें। हम शहर में अनावश्यक रूप से विवाद का विषय नहीं बनाना चाहते। हम कुछ जबरदस्ती थोपना नहीं चाहते। इसे विवाद का विषय क्यों बनाया जाए?" लक्ष्मीबाई के राष्ट्रीय हस्ती होने पर सहमति जताते हुए अपीलकर्ता के वकील ने कहा कि पार्क का उपयोग एक निश्चित धार्मिक कार्यक्रम के लिए किया जाता है।

अपीलकर्ता के अनुरोध और बिना शर्त माफी मांगने के बाद न्यायालय ने याचिका में कुछ आपत्तिजनक कथनों को हटा दिया। 25 सितंबर को न्यायालय ने कहा था कि लक्ष्मीबाई एक राष्ट्रीय नायिका थीं और इतिहास को सांप्रदायिक राजनीति के आधार पर विभाजित नहीं किया जाना चाहिए। अदालत ने शाही ईदगाह प्रबंध समिति को अपनी याचिका में "निंदनीय दलीलें" देने के लिए फटकार लगाई थी। उसने अपील में एकल न्यायाधीश के खिलाफ कुछ टिप्पणी पर आपत्ति जताई थी और उन्हें "विभाजनकारी" बताया था। इससे पहले, एकल न्यायाधीश ने समिति की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें निगम के अधिकारियों को शाही ईदगाह पर अतिक्रमण नहीं करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

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Updated 22:29 IST, October 1st 2024