अपडेटेड 21 October 2025 at 21:57 IST

Delhi Pollution: पराली जलाने में 77% कमी फिर भी दिल्ली की हवा 5 साल में सबसे जहरीली कैसे? आंकड़ों में प्रदूषण की कहानी

आंकड़ों के अनुसार, मंगलवार सुबह PM 2.5 का औसत स्तर 488 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच गया, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा सुझाई गई सुरक्षित सीमा से लगभग 100 गुना अधिक है।

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Delhi Air Pollution
Delhi Air Pollution | Image: ANI

इस दिवाली पर दिल्ली की हवा पिछले पांच सालों के सबसे निचले और खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। चौंकाने वाली बात यह है कि पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं में 77.5 प्रतिशत की भारी कमी के बावजूद, मंगलवार सुबह राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण रिकॉर्ड स्तर पर दर्ज किया गया।

आंकड़ों के अनुसार, मंगलवार सुबह PM 2.5 का औसत स्तर 488 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच गया, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा सुझाई गई सुरक्षित सीमा से लगभग 100 गुना अधिक है। यह दिवाली से पहले के स्तर (156.6 माइक्रोग्राम) की तुलना में 212 प्रतिशत की खतरनाक वृद्धि को दर्शाता है।

सोमवार, दिवाली की रात को, एक ही स्थान पर सबसे अधिक रीडिंग 675 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज की गई, जिससे यह प्रदूषण का तीन साल का उच्च स्तर बन गया।

ग्रीन पटाखों से भी कोई फर्क नहीं

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सुप्रीम कोर्ट ने इस बार 'ग्रीन' पटाखों को फोड़ने की अनुमति दी थी, लेकिन डेटा बताता है कि यह कदम प्रदूषण को नियंत्रित करने में विफल रहा। CPCB डेटा की बात की जाए तो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के पांच साल के आंकड़े बताते हैं कि दिवाली 2025 हाल के वर्षों में सबसे अधिक प्रदूषित रही।

इस साल का AQI (488) पिछले साल (328) और उससे पहले के दो वर्षों (2023 में 218 और 2022 में 312) की तुलना में कहीं अधिक है। माना जा रहा है कि प्रदूषण बाहरी राज्यों से नहीं आया है, बल्कि यह दिल्ली का ही है। ग्रीन पटाखों ने पार्टिकुलेट मैटर को तेज़ी से बढ़ाया है। यह दर्शाता है कि हमें पटाखों की गुणवत्ता की जांच करने की आवश्यकता है।

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वर्ष 

PM 2.5 की औसत Concentration

 

2021454.5
2022168
2023319.7
2024220
2025488

हवा का ठहराव

हवा की गति एक मीटर प्रति सेकंड से भी कम होने के कारण प्रदूषक तत्व बिखरे नहीं, वहीं तापमान में गिरावट (27 डिग्री से 19 डिग्री सेल्सियस) हालात और बुरे हैं।

यह वृद्धि तीन गुना से अधिक है, जो 2025 को हाल के वर्षों की सबसे प्रदूषित दिवाली में से एक बनाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि पराली जलने की घटनाओं में भारी कमी (77.5%) के बावजूद प्रदूषण का इतना बढ़ना साबित करता है कि यह मानव निर्मित संकट है, जो पराली जलने से अलग है। पटाखों के बुरे प्रभावों को सालों से देखने के बावजूद, हम अभी भी वास्तविकता को स्वीकार करने से इनकार करते हैं और वही गलती दोहराते हैं।

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Published By : Subodh Gargya

पब्लिश्ड 21 October 2025 at 21:57 IST