अपडेटेड 28 September 2025 at 18:23 IST

दिल्ली पुलिस को मिली स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती की 5 दिन की रिमांड, FIR में जोड़ी गई गैर-जमानती अपराध की नई धारा

दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से स्वामी चैतन्यानंद की 5 दिन की पुलिस रिमांड की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया। पुलिस का कहना है कि आरोपी से पूछताछ जरूरी है, क्योंकि यौन शोषण के आरोप बेहद संगीन हैं।

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Swami Chaitanyananda Saraswati : यौन शोषण के गंभीर आरोपों में फंसे स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती को पटियाला हाउस कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने आरोपी बाबा को 5 दिन की पुलिस कस्टडी में भेज दिया है। इस फैसले के बाद दिल्ली पुलिस अब उनसे पूछताछ करेगी, ताकि मामले की गहराई तक पहुंचा जा सके।

दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से स्वामी चैतन्यानंद की 5 दिन की पुलिस रिमांड की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया। पुलिस का कहना है कि आरोपी से पूछताछ जरूरी है, क्योंकि यौन शोषण के आरोप बेहद संगीन हैं। स्वामी चैतन्यानंद पर छात्रों के साथ छेड़छाड़ और शोषण के कई मामले दर्ज हैं, जो अब कानूनी जांच के दायरे में आ चुके हैं।

FIR में जोड़ी गई नई धारा

इस मामले में एक और महत्वपूर्ण अपडेट आया है। दिल्ली पुलिस ने छेड़खानी के मामले में पहले दर्ज की गई FIR में धारा 351(2) के अलावा अब धारा 351(3) भी जोड़ दी है। धारा 351(3) एक गैर-जमानती अपराध है, जो किसी व्यक्ति को धमकी देने या हत्या की नीयत से धमकी देने पर लगाई जाती है। पुलिस का मानना है कि आरोपी ने पीड़ितों को डराने-धमकाने की कोशिश की, जिसके चलते यह धारा जोड़ी गई।

पहले FIR में केवल धारा 351(2) शामिल थी, जो अपेक्षाकृत कम गंभीर थी। लेकिन जांच के दौरान नए सबूत मिलने के बाद पुलिस ने धारा को अपग्रेड किया, जिससे मामले की गंभीरता और बढ़ गई है। अब स्वामी चैतन्यानंद को जमानत मिलना मुश्किल हो सकता है।

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1998 में LG ने आवंटित किया प्लॉट

जांच एजेंसियों की ओर से अब तक की पड़ताल में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं, जो बाबा की दोहरी पहचान, फर्जी दस्तावेजों और आर्थिक घपलों की कहानी बयां करते हैं। साल 1998 में दिल्ली के तत्कालीन उपराज्यपाल (एलजी) ने शारदा पीठ नामक संस्था को वसंत कुंज में एक प्लॉट आवंटित किया था। इसी प्लॉट पर मठ और कॉलेज का निर्माण हुआ। बाबा को इस मठ का अटॉर्नी बनाया गया था, लेकिन केवल कुछ सीमित कार्यों के लिए। जांच में पता चला है कि बाबा ने अपनी इस भूमिका का दुरुपयोग किया और संस्था की संपत्ति पर अनधिकृत कब्जा जमाया।

40 करोड़ का घोटाला

इसके बाद 2008 में बाबा ने बिना किसी अनुमति के कुछ लोगों के साथ मिलकर संस्थान का नाम बदल दिया। यह बदलाव फर्जी दस्तावेजों के आधार पर किया गया था। जांच रिपोर्ट के अनुसार, फर्जी दस्तावेजों के जरिए मठ में लगभग 40 करोड़ रुपये का बड़ा घोटाला हुआ। इतना ही नहीं, बाबा ने मठ की संपत्ति को बिना किसी वैध अनुमति के किराए पर दे दिया, जिससे संस्था को भारी नुकसान पहुंचा।

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2 पासपोर्ट और फर्जी पहचान

जांच में सबसे चौंकाने वाला खुलासा बाबा की दोहरी पहचान का है। आरोपी बाबा के पास दो अलग-अलग पासपोर्ट पाए गए हैं। पहला पासपोर्ट 'स्वामी पार्थ शास्त्री' के नाम से जारी है, जबकि दूसरा 'स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती' के नाम से। दोनों ही पासपोर्ट फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बने हैं।

पहला पासपोर्ट : पिता का नाम स्वामी घनानंद पूरी और मां का नाम शारदा अंबा दर्ज है। जन्म स्थान दार्जिलिंग बताया गया है।
दूसरा पासपोर्ट : पिता का नाम स्वामी दयानंद सरस्वती और मां का नाम शारदा अम्बल लिखा है। जन्म स्थान तमिलनाडु दर्ज है।

जांच में यह भी सामने आया कि बाबा के पैन कार्ड में पिता का नाम स्वामी घनानंद पूरी ही दर्ज है, जो पहले पासपोर्ट से मेल खाता है, लेकिन दूसरे से नहीं। आरोपी बाबा के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में उसके दो अलग-अलग बैंक खाते पाए गए हैं, जो अलग-अलग नामों से थे। 

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 28 September 2025 at 18:09 IST