अपडेटेड 5 June 2025 at 14:26 IST
दिल्ली-एनसीआर के इलाके में बढ़ते वायु प्रदूषण से निपटने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने एक निर्णायक कदम उठाया है। आयोग ने 4 जून को जारी किए गए आदेश में स्पष्ट किया है कि अब से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कैब एग्रीगेटर, डिलीवरी सेवा प्रदाता और ई-कॉमर्स कंपनियां अपने वाहनों के बेड़े में केवल सीएनजी या इलेक्ट्रिक वाहन ही शामिल कर सकेंगी। यह आदेश 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होगा। इसके तहत पेट्रोल और डीजल इंजन वाले वाहनों को नए बेड़े में शामिल करने पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा। यह कदम दिल्ली-एनसीआर की हवा को साफ करने और प्रदूषण को कम करने के लिए उठाया गया है। सीएक्यूएम का मानना है कि इस नीति से क्षेत्र में प्रदूषण स्तर में काफी कमी आएगी और लोगों को स्वच्छ वायु मिलेगी।
वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या से जूझ रहे दिल्ली-एनसीआर में स्वच्छ परिवहन को बढ़ावा देने के लिए अब एक समग्र रणनीति अपनाई जा रही है। जहां दिल्ली सरकार वर्ष 2023 में ही ‘मोटर व्हीकल एग्रीगेटर और डिलीवरी सेवा प्रदाता नीति’ को अधिसूचित कर चुकी है, वहीं अब वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने इस दिशा में अगला महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सीएक्यूएम ने हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सरकारों को निर्देश जारी किए हैं कि वे गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद, ग्रेटर नोएडा, सोनीपत जैसे उच्च वाहन घनत्व वाले प्रमुख शहरों में दिल्ली की तर्ज पर इलेक्ट्रिक और सीएनजी आधारित वाहनों को प्राथमिकता देने वाली नीतियां तैयार करें। आयोग का मानना है कि यदि पूरे एनसीआर क्षेत्र में एक समान नीति लागू होती है, तो इससे प्रदूषण में उल्लेखनीय कमी लाई जा सकती है और स्वच्छ एवं टिकाऊ परिवहन व्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। यह कदम वायु गुणवत्ता सुधार की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और आने वाले वर्षों में ई-मोबिलिटी को नया प्रोत्साहन देने वाला साबित हो सकता है।
दिल्ली-एनसीआर में स्वच्छ और टिकाऊ परिवहन को बढ़ावा देने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) द्वारा उठाए गए कदमों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए आयोग ने अब संबंधित राज्यों को तकनीकी और जनसंचार स्तर पर भी सक्रिय होने के निर्देश दिए हैं। आयोग ने हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सरकारों को स्पष्ट रूप से कहा है कि वे दिल्ली की तर्ज पर एक समर्पित वेब पोर्टल विकसित करें, जो इस नीति के क्रियान्वयन और निगरानी में सहायक हो। इस पोर्टल के माध्यम से कैब एग्रीगेटर्स और डिलीवरी कंपनियों के वाहन बेड़े की निगरानी, पंजीकरण और अनुपालन की समीक्षा की जा सकेगी। इसके अलावा, आयोग ने आदेश का व्यापक प्रचार सुनिश्चित करने के लिए मीडिया, सोशल मीडिया और अन्य संचार माध्यमों का सक्रिय उपयोग करने का भी सुझाव दिया है, ताकि नागरिकों, व्यवसायों और संबंधित पक्षों तक इस नीति की पूरी जानकारी समय रहते पहुंच सके। यह समग्र रणनीति यह सुनिश्चित करने की दिशा में एक मजबूत प्रयास है कि 1 जनवरी 2026 से लागू होने जा रहे सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों के अनिवार्य नियम पूरे एनसीआर क्षेत्र में प्रभावी रूप से लागू हो सकें।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) द्वारा जारी हालिया आदेश से दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में ई-मोबिलिटी को नया प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है। आयोग के निर्देशानुसार अब डिलीवरी सेवाओं और कैब एग्रीगेटर कंपनियों को अपने वाहनों के बेड़े को चरणबद्ध ढंग से सीएनजी या इलेक्ट्रिक में बदलना होगा। यह निर्णय न केवल वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण में उल्लेखनीय कमी लाएगा, बल्कि परिवहन के क्षेत्र में स्थायी और पर्यावरण-अनुकूल बदलावों की दिशा में एक अहम कदम साबित होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने से कंपनियों की दीर्घकालिक संचालन लागत में भी कमी आएगी, क्योंकि इलेक्ट्रिक वाहनों का रखरखाव और ईंधन खर्च पारंपरिक वाहनों की तुलना में कम होता है। साथ ही, इस नीति से एनसीआर में ईवी चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर के विस्तार को भी बल मिलेगा, जिससे उपभोक्ताओं और व्यवसायों को इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर संक्रमण में आसानी होगी। यह कदम न केवल पर्यावरण सुधार में सहायक होगा, बल्कि भविष्य की टिकाऊ और आधुनिक परिवहन व्यवस्था की नींव भी मजबूत करेगा।
पब्लिश्ड 5 June 2025 at 14:05 IST