अपडेटेड 30 November 2024 at 14:09 IST

शरारत, साजिश या संदेश...दिल्ली को दहलाने के लिए ब्लीचिंग पाउडर का इस्‍तेमाल, चौका देंगे खुलासे

Delhi Blast: दिल्ली के प्रशांत विहार में हुए धमाके की जांच में नया मोड़ आया है। धमाके में बेंजोइल पेरोक्साइड यानी ब्लीचिंग पाउडर का इस्तेमाल किया गया था।

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Delhi Blast in Prashant Vihar
प्रशांत विहार में हुए धमाके की जांच में खुलासा | Image: PTI

Delhi Blast: दिल्ली के प्रशांत विहार में हुए धमाके की जांच में नया मोड़ आया है। पुलिस और जांच एजेंसियों ने खुलासा किया है कि धमाके में बेंजोइल पेरोक्साइड यानी ब्लीचिंग पाउडर का इस्तेमाल किया गया था। हालांकि, इस पाउडर के साथ बाकी कुछ अन्य रसायन भी मिलाए गए थे, लेकिन उनकी पहचान अभी तक नहीं हो पाई है। यह पहली बार है जब ब्लीचिंग पाउडर को इस तरह के हमले में इस्तेमाल किया गया है। वहीं जांच में आतंकवादी कनेक्शन की संभावना को भी नकारा नहीं जा सकता। जांच में यह भी सामने आया है कि इन धमाकों का मकसद सिर्फ शरारत नहीं, बल्कि किसी संदेश को देना हो सकता है। पुलिस और केंद्रीय एजेंसियां अब इस मामले की तह तक जाने के लिए मिलकर काम कर रही हैं। फिलहाल तो पुलिस और जांच एजेंसियों के हाथ खाली है। जानते हैं अभी तक जांच में क्या कुछ सामने आया।

दिल्ली के प्रशांत विहार में हुए दूसरे धमाके के बाद शुक्रवार को घटनास्थल पर पुलिस ने आवाजाही रोक दी और सभी दुकानें बंद रहीं। पुलिस ने दुकानों और घरों में लगे CCTV कैमरों की फुटेज खंगाली। जांच में धमाके में इस्तेमाल हुए पाउडर की जानकारी सामने आई है। लैब के अफसरों के अनुसार बेंजोइल पेरोक्साइड बम धमाकों के लिए इस्तेमाल नहीं होता। मौके से पुलिस को बम धमाके के लिए इस्तेमाल करने वाली कोई डिवाइस नहीं मिली है।

त्वचा पर यूज होता है ब्लीचिंग पाउडर

ब्लीचिंग या बेंजोइल पेरोक्साइड मुंहासे विरोधी घटक है जो जैल, क्लींजर और स्पॉट ट्रीटमेंट में पाया जाता है। इसका उपयोग हल्के से मध्यम स्तर के इलाज के लिए अलग-अलग मात्रा में किया जाता है। छिद्रों से बैक्टीरिया और मृत त्वचा कोशिकाओं को हटाने में प्रभावी होने के बावजूद इसकी सीमाएं हैं। ये मुंहासे के इलाज और मुंहासे पैदा करने वाले बैक्टीरिया को कम करने और त्वचा को शुष्क साथ ही छिलने से बचाता है। इसलिए सुंदरता बढ़ाने के लिए ज्यादातर इसका इस्तेमाल होता है।

कहीं कोई शरारत तो नहीं कर रहा.. ?  

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूर्व पुलिस उपायुक्त एल न राव के मुताबिक, 40 दिनों में 2 धमाकों से ऐसा लग रहा है कि यह कोई शरारत नहीं, बल्कि इसमें कोई संदेश हैं। शरारत करने वाला इतनी मेहनत नहीं करेगा। इन धमाकों के पीछे किसी आतंकी संगठन का हाथ हो सकता है। वे धमाका कर एजेंसियों को संदेश देना चाहते हैं कि हम बहुत कुछ कर सकते हैं। विस्फोटक को इस तरह से बनाया गया है जिससे लोगों में डर पैदा हो। विस्फोटक में जिस केमिकल या पाउडर आदि का उपयोग किया गया है, वह बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं। पहले CRPF स्कूल की दीवार पर धमाका किया। फिर कुछ मीटर की दूरी पर क्राइम ब्रांच के कार्यालय के सामने धमाका हुआ।

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NSG की फॉरेंसिक टीम ने इकट्ठा किया सैंपल 

दरअसल, करीब एक महीने पहले 20 अक्तूबर को भी ऐसा ही ब्लास्ट हुआ था। दोनों घटनाएं एक-दूसरे से मेल खाती हैं। धमाके वाली जगह से NSG की फॉरेंसिक टीम ने सैंपल इकट्ठा किया है। इस धमाके में भी सफेद पाउडर का इस्तेमाल किया गया। पिछले महीने धमाका सीआरपीएफ स्कूल की दीवार के नीचे हुआ था और उसका बाद धमाका दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच दफ्तर के बेहद नजदीक सिर्फ दस कदम पर हुआ।

एक जैसे धमाके के पीछे क्या मकसद ? 

सूत्रों की मानें तो पहले हुए धमाके में जो सफेद पाउडर मौके से बरामद हुआ उसमें Hydrogen peroxide, हाइड्रोजन पेरोक्साइड Borate बोरेट नाइट्रेट शामिल था। ये तीनों केमिकल भी मिक्स थे। ये पाउडर आमतौर पर माइनिंग में भी इस्तेमाल होते है ब्यूटी प्रोडक्ट में भी इनका इस्तेमाल होता है। हैरानी की बात ये कि फिर से एक ही इलाके में एक जैसे धमाके के पीछे क्या मकसद हो सकता है?   

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Published By : Nidhi Mudgill

पब्लिश्ड 30 November 2024 at 14:09 IST