Published 09:19 IST, August 23rd 2024
'केजरीवाल शराब घोटाले के किंगपिन, सारे फैसले निर्देशन में हुए', CBI ने SC में दाखिल किया हलफनामा
CBI ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए अपने हलफनामे में कहा है कि अरविंद केजरीवाल अदालत के सामने मामले को राजनीतिक रूप से सनसनीखेज बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
Delhi Liquor Scam: दिल्ली के तथाकथित शराब घोटाला मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत अर्जी पर सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। अपने जवाब में सीबीआई ने कहा है कि केजरीवाल इस घोटाले के किंगपिन हैं। बिना आबकारी विभाग के मंत्री रहते हुए भी पूरे घोटाले के वास्तुकार हैं। उनको इस घोटाले का सब कुछ पता था, क्योंकि सारे निर्णय इनकी सहमति और निर्देशन में ही हुए। सीबीआई ने कहा कि केजरीवाल जांच एजेंसी के सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं दे रहे हैं। CBI ने केजरीवाल को जमानत दिए जाने का विरोध किया है। केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच आज सुनवाई करने वाली है।
CBI ने अपने हलफनामे में कहा है कि 'वो (अरविंद केजरीवाल) अदालत के सामने मामले को राजनीतिक रूप से सनसनीखेज बनाने का प्रयास कर रहे हैं। हाईकोर्ट ने केजरीवाल की याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि ये नहीं कहा जा सकता है कि याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी बिना किसी उचित कारण के थी या अवैध थी। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में निचली अदालत के केजरीवाल को गिरफ्तार करने और हिरासत में भेजने की अनुमति को उचित ठहराया था, जिसके लिए प्रक्रिया का विधिवत पालन किया गया।'
केजरीवाल की गिरफ्तारी प्रक्रिया के तहत की- CBI
हलफनामे में सीबीआई ने कहा है, 'अरविंद केजरीवाल का प्रभाव और दबदबा स्पष्ट है, और मुख्यमंत्री होने के नाते वो ना सिर्फ दिल्ली की सरकार पर प्रभाव रखते हैं, बल्कि आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो और राष्ट्रीय संयोजक होने के नाते भी वो काफी प्रभावशाली हैं। साथ ही अधिकारियों और नौकरशाहों के साथ उसकी घनिष्ठ सांठगांठ है। हिरासत में पूछताछ के दौरान केजरीवाल का सामना संवेदनशील दस्तावेजों और मामले के गवाहों के बयानों से भी कराया गया। जहां तक याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी का सवाल है, कानून का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। इसके अलावा हरेक मामले के तथ्य और परिस्थितियां अलग-अलग होती हैं। केजरीवाल की गिरफ्तारी कानूनी प्रक्रिया के तहत की गई।'
केजरीवाल को जमानत का CBI ने विरोध किया
जमानत का विरोध करते हुए सीबीआई कहती है, 'अरविंद को जमानत पर रिहा करने से निचली अदालत में मामले की सुनवाई पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा, जो अभी प्रारंभिक चरण में है जबकि प्रमुख गवाहों को अभी गवाही देनी है। जहां तक मेडिकल ग्राउंड पर अंतरिम जमानत के दावे का सवाल है, तो बीमारियों के संबंध में जेल नियमों और मैनुअल के अनुसार तिहाड़ जेल अस्पताल या उसके किसी भी रेफरल अस्पताल में उपचार किया जा सकता है। याचिकाकर्ता को मेडिकल जमानत पर रिहा किए जाने का कोई मामला नहीं बनता है, जिसे केवल तभी दिया जाना चाहिए जब जेल में इलाज संभव न हो।'
Updated 09:19 IST, August 23rd 2024