अपडेटेड 3 September 2025 at 09:46 IST
घर डूबे, पहाड़ गिरे और सड़कें बनीं दरिया...दिल्ली, पंजाब, हिमाचल और उत्तराखंड में 'जलप्रलय' से त्राहिमाम; बाढ़-बारिश से सैंकड़ों की मौत
दिल्ली में यमुना का जलस्तर खतरे के निशान के पार कर चुका है। शहर में बाढ़ का पानी कई रिहायशी इलाके तक पहुंच गया है। इधर पंजाब में भी हालात बिगड़ते जा रहे हैं। पहाड़ों से लेकर मैदानी इलाकों तक मौसम की मार है।
- भारत
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उत्तर भारत इस समय कुदरत के कहर को झेल रहा है। भारी बारिश और बाढ़ से हालत गंभीर बनी हुई है। पहाड़ों से लेकर मैदानी इलाकों तक 'जलप्रलय' से त्राहिमाम है। राजधानी दिल्ली बाढ़ की चपेट में है। यमुना अपने रौद्र रूप में आ गई है। नदी की तेज धार अपने साथ सब कुछ बहाती नजर आ रही है। पंजाब में भी बाढ़ से भारी नुकसान हुआ तो हिमचाल और उत्तराखंड में भी मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है।
पहाड़ों से लेकर मैदानी इलाकों तक बाढ़ की मार साफ दिख रही है। दिल्ली-NCR में पिछले दो दिनों से मॉनसून की भारी बारिश ने कहर बरपाया है। जलभराव और जाम ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। वहीं, हथिनी कुंड बैराज से लगातार छोड़े जाने की बाढ़ का खतरा गहराता ही जा रहा है। यमुना का पानी रिहायशी इलाके तक पहुंच गया है। लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पुहंचाया जा रहा है।
यमुना खतरे के निशान से ऊपर तक पहुंचा
लगातार हो रही बारिश के कारण यमुना नदी उफान पर है और खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। हरियाणा के हथनीकुंड बैराज से लाखों क्यूसेक पानी छोड़े जाने की वजह से दिल्ली में बाढ़ का खतरा और बढ़ा गया है। यमुना का जलस्तरर 206.78 मीटर पर पहुंच चुका है जबकि सरकार का अनुमान था कि जलस्तर 206.50 मीटर तक पहुंचेगा लेकिन जलस्तर लगातार बढ़ रहा है।
बाढ़ राहत शिविर में लोगों का डेरा
यमुना नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। निचले इलाकों में बाढ़ का पानी घरों कर पहुंच चुका है। मयूर विहार फेज-1 में बाढ़ राहत शिविर बनाए गए हैं। जिसमें बाढ़ प्रभावित लोगों को शरण दी जा रही है। हालात को देखते हुए दिल्ली के पुराने लोहे के पुल को अगले आदेश तक बंद कर दिया गया है। इधर जलभराव की समस्या से भी दिल्ली-NCR परेशान है। सड़कें दरिया बन गई हैं। भारी ट्रफिक ने तो लोगों की परेशानी दोगुनी कर दी है। नोएडा और गाजियाबाद में स्कूल बंद कर ऑनलाइन कक्षाएं शुरू करने के आदेश दिए गए हैं।
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पंजाब में बाढ़ से भयंकर तबाही
इधर पंजाब में बाढ़ ने भयंकर तबाही मचाई है। सतलज, ब्यास, रावी और घग्गर नदियां उफान पर हैं, जिससे 1400 गांव जलमग्न हो गए हैं। अब तक 30 लोगों की जान जा चुकी है, और 3,54,626 लोग प्रभावित हैं। आपदा प्रबंधन टीमें युद्धस्तर पर राहत कार्य में जुटी हैं, और प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा रहा है।अब तक 19500 से अधिक लोगों को बचाकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा चुका है। गुरु दासपुर में सबसे अधिक 324 गांव बाढ़ और भारी बारिश से प्रभावित हुए हैं। पंजाब सरकार के द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, इस बाढ़ और बारिश के कारण अभी तक करीब 1,48, 590 हेक्टेयर खेती प्रभावित हुई है। राहत कैंप की बात करें तो पंजाब के विभिन्न जिलों में करीब 5167 राहत कैंप लगाए गए हैं।
पहाड़ों में कुदरत का कहर जारी
पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भी मॉनसून की मार से कराह रहा है। भारी बारिश के कारण बाढ़ और भूस्खलन ने सड़कें, पुल और यातायात को बुरी तरह प्रभावित किया है। मौसम विभाग ने इन राज्यों में अगले कुछ घंटों में भारी बारिश और बाढ़ का अलर्ट जारी किया है। जम्मू-कश्मीर में खराब मौसम के चलते स्कूल-कॉलेज 3 सितंबर बंद कर दिए गए हैं। देशभर में मौसमी आपदा ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। अब तक सैंकड़ों लोगों की मौत प्राकृतिक आपदा में हो चुकी है।
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Published By : Rupam Kumari
पब्लिश्ड 3 September 2025 at 09:46 IST