अपडेटेड 14 November 2024 at 16:02 IST

Delhi: बदतर वायु प्रदूषण पर विशेषज्ञों की सलाह, कहा- अल्पकालिक प्रदूषकों पर लगाम लगाने की जरूरत

प्रदूषण का स्तर बदतर होने के बाद यहां COP29 जलवायु सम्मेलन में विशेषज्ञों ने भारत से मीथेन और ब्लैक कार्बन जैसे SLCP को कम करने का आग्रह किया।

Follow : Google News Icon  
Pakistan Air Pollution
Delhi: बदतर वायु प्रदूषण पर विशेषज्ञों की सलाह, कहा- अल्पकालिक प्रदूषकों पर लगाम लगाने की जरूरत | Image: AP

दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बदतर होने के बाद यहां सीओपी29 जलवायु सम्मेलन में विशेषज्ञों ने भारत से मीथेन और ब्लैक कार्बन जैसे अल्पकालिक जलवायु प्रदूषकों (एसएलसीपी) को कम करने का आग्रह किया, जो वायु गुणवत्ता में गिरावट और ग्लोबल वार्मिंग दोनों के लिए प्रमुख कारक होते हैं।

अल्पकालिक जलवायु प्रदूषक (एसएलसीपी) ग्रीनहाउस गैसों और वायु प्रदूषकों का एक समूह होता है जो जलवायु को निकट अवधि में गर्म करता है और वायु की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है। एसएलसीपी में ब्लैक कार्बन, मीथेन, ग्राउंड-लेवल ओजोन और हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (एचएफसी) शामिल हैं।

नई दिल्ली की वायु गुणवत्ता इस सीजन में पहली बार 'गंभीर' स्तर पर पहुंच गई, बुधवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 418 तक पहुंच गया। ‘इंस्टीट्यूट फॉर गवर्नेंस एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट’ (आईजीएसडी) में भारत की कार्यक्रम निदेशक जेरीन ओशो और आईजीएसडी के अध्यक्ष ड्यूरवुड जेल्के ने बताया कि एसएलसीपी में कटौती की रणनीतियां प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग से निपटने में कैसे मदद कर सकती हैं।

ड्यूरवुड जेल्के ने बताया कि…

ड्यूरवुड जेल्के ने बताया कि वर्तमान वार्मिंग के लिए आधा जिम्मेदार एसएलसीपी है। जेलके ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, 'अगर हम एसएलसीपी पर ध्यान देते हैं, तो हम तेजी से शीतलन प्रभाव प्राप्त कर सकते हैं और दीर्घकालिक कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए महत्वपूर्ण समय हासिल कर सकते हैं।'

Advertisement

उन्होंने कहा कि एसएलसीपी पर अंकुश लगाना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा तक पहुंच गया है और 2024 के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि तापमान जल्द ही इस सीमा को पार कर सकता है। ओशो ने उन महत्वपूर्ण जोखिमों पर बात की जिनकी वजह से एसएलसीपी भारत की आर्थिक और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए समस्या उत्पन्न करते हैं। बढ़ते तापमान का असंगठित श्रम क्षेत्र, कृषि और खाद्य सुरक्षा पर स्पष्ट प्रभाव पड़ा है।

ओशो ने विश्व बैंक के निष्कर्षों का हवाला दिया कि तापमान वृद्धि के कारण भारत के असंगठित क्षेत्र में लगभग 3.4 करोड़ नौकरियां चली गईं - एसएलसीपी के कारण स्थिति और भी गंभीर हो गई है। इसके अलावा, एसएलसीपी के कारण आंशिक रूप से प्रभावित बदलते मानसून परिदृश्यों से फसल चक्र पर असर पड़ता है और देश तथा विदेश में खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है।

Advertisement

चावल जैसे प्रमुख खाद्य पदार्थों के एक शीर्ष वैश्विक निर्यातक भारत को ऐसे प्रभावों का सामना करना पड़ रहा है। ओशो ने जोर देकर कहा, 'एसएलसीपी बढ़ती गर्मी के तनाव और अनियमित वर्षा में सीधे योगदान देता है, जिससे न केवल स्थानीय किसान बल्कि वैश्विक खाद्य श्रृंखलाएं भी प्रभावित होती हैं।'

ये भी पढ़ें - Veg के रूप में कौन-सी Non-Veg चीजें परोसी जाती हैं? जानें...

(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Published By : Garima Garg

पब्लिश्ड 14 November 2024 at 16:02 IST