अपडेटेड 18 February 2025 at 15:29 IST

जिस भूकंप से हिली दिल्‍ली उसकी वजह टेक्टोनिक प्लेट नहीं, 'पाताललोक' से आई गड़गड़ाहट की ये है वजह; वैज्ञानिक का बड़ा खुलासा

भूकंप से दिल्लीवालों का चोली-दामन वाला नाता है। पाकिस्‍तान में आया तो भी कांपेगी दिल्ली, नेपाल और भूटान में आया तो भी हिलेगी दिल्ली।

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Earthquake
Earthquake | Image: Unsplash/Representative

Delhi Earthquake: भूकंप से दिल्लीवालों का चोली-दामन वाला नाता है। पाकिस्‍तान में आया तो भी कांपेगी दिल्ली, नेपाल और भूटान में आया तो भी हिलेगी दिल्ली। मतलब पड़ोसी देशों में भूकंप आया तो दिल्‍ली का डोल जाना तय है। मगर सोमवार तड़के जिस तरह का भूकंप आया उसने सबकी नींद उड़ा कर रख दी है। इसमें बेचैन करने वाली बात भूकंप की तीव्रता, उससे आने वाले झटके नहीं बल्‍कि वाइब्रेशन के साथ 'पाताललोक' से आई आवाज है।

गड़गड़ाहट की आवाज ऐसी जैसी धरती खिसकी हो। अमूमन भूकंप टेक्टोनिक प्लेट्स के टकराने से आती है लेकिन दिल्‍ली में आए इस भूकंप के पीछे वजह कुछ और थी। वैज्ञानिकों की मानें तो यह भूकंप धरती के गर्भ में हो रहे बदलाव का नतीजा था। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के निदेशक ओपी मिश्रा के मुताबिक सोमवार को आए भूकंप का केंद्र धौला कुआं के झील पार्क में था जो चार तीव्रता का था। यह पांच किलोमीटर की गहराई में था, इसीलिए इसका असर ज्यादा महसूस किया गया।

धरती के गर्भ में हो रहे बदलाव का नतीजा

ओपी मिश्रा के मुताबिक भूकंप विज्ञान की दृष्टि से इस क्षेत्र में पहले भी भूकंप आ चुके हैं और यह कोई नया क्षेत्र नहीं है। मिश्रा ने कहा, “इससे पहले छह किलोमीटर दायरे में 4.6 तीव्रता का भूकंप आया था, लेकिन इसका केंद्र 10 किलोमीटर गहराई में था। यही अंतर है। यह ‘प्लेट टेक्टोनिक’ के कारण आया भूकंप नहीं था, यह भूगर्भीय विशेषताओं में प्राकृतिक रूप से होने वाले बदलाव के कारण आया था।”

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भूकंप के पीछे इन-सीटू मटेरियल हेट्रोजेनिटी की वजह

राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) ने बताया कि भूकंप की वजह 'इन-सीटू मटेरियल हेट्रोजेनिटी' है। आसान भाषा में समझें तो जमीन के नीचे अलग-अलग तरह की मिट्टी और चट्टानें होती हैं, जिनकी वजह से भूकंप के झटके तेज महसूस होते हैं। ये प्लेट टेक्टोनिक्स से अलग कारण है, जिससे दिल्ली में भूकंप का खतरा बढ़ जाता है।

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इन-सीटू मटेरियल हेट्रोजेनिटी क्या है

इन-सीटू मटेरियल हेट्रोजेनिटी का मतलब है कि एक ही जगह पर जमीन के नीचे अलग-अलग तरह की मिट्टी, चट्टानें और खनिज पदार्थ मौजूद हैं। मान लीजिए कहीं जमीन के नीचे ढीली मिट्टी है और कहीं सख्त चट्टान, तो भूकंप के झटके अलग-अलग तरह से महसूस होंगे।

दिल्‍ली में अब आएंगे आफ्टर शॉक

ओपी मिश्रा के मुताबिक मिश्रा ने यह भी बताया कि 1.0 से 1.2 तीव्रता के आफ्टरशॉक आ सकते हैं। आफ्टरशॉक यानी भूकंप के बाद आने वाले छोटे-छोटे झटके। विशेषज्ञों का कहना है कि कम गहराई वाले भूकंप, जो 10 किमी से कम गहराई पर आते हैं, ज्यादा तेज महसूस होते हैं क्योंकि भूकंपीय तरंगों को सतह तक पहुंचने में ज्यादा दूरी तय नहीं करनी पड़ती। इसके अलावा, भूकंप का केंद्र शहर के अंदर ही था, जिससे इसका असर और भी बढ़ गया, खासकर ऊंची इमारतों में, जो भूकंप के दौरान हिलने के लिए डिजाइन की जाती हैं।

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Published By : Ankur Shrivastava

पब्लिश्ड 18 February 2025 at 15:29 IST