अपडेटेड 17 February 2025 at 10:13 IST
कितनी सुरक्षित है दिल्ली? पिछले 10 साल में 5 की तीव्रता से नीचे रहा भूकंप, इतनी तीव्रता पर मच सकती है तबाही
Delhi Earthquake: दिल्ली जोन-4 में आती है, जो काफी गंभीर है। दिल्ली में जैसी ऊंची इमारतें और घर-मकान हैं, इससे भूकंप आने पर बड़े नुकसान का रिस्क बढ़ता है।
- भारत
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Delhi earthquake zone: 17 फरवरी की सुबह दिल्ली को भूकंप के खौफ ने कच्ची नींद से उठा दिया। धरती ने सुबह सुबह ऐसे हिलकोरे लिए कि लोग बिस्तर तो अलग, घर मकान छोड़कर ही भाग खड़े हुए, क्योंकि ये मंजर डरावना था। दिल्ली-एनसीआर में सोमवार सुबह करीब 5:36 बजे भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। रिक्टर पैमाने पर तीव्रता भले 5 से कम रही, लेकिन लोगों को झटका ऐसा लगा कि दम बाहर आ गया।
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (एनसीएस) के अनुसार, सोमवार तड़के दिल्ली-एनसीआर में रिक्टर पैमाने पर 4.0 तीव्रता का भूकंप आया, जिसका केंद्र 28.59 उत्तरी अक्षांश और 77.16 पूर्वी देशांतर पर जमीन से 5 किलोमीटर की गहराई पर था। जमीन की सतह के हिसाब से समझा जाए तो भूकंप का केंद्र दिल्ली के धौला कुआं में दुर्गाबाई देशमुख कॉलेज ऑफ स्पेशल एजुकेशन के पास था। इस क्षेत्र के पास एक भी झील है। फिलहाल कम तीव्रता के चलते इस भूकंप से दिल्ली को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है। पिछले 10 साल में ऐसा रहा है, जब दिल्ली में भूकंप का रिक्टर स्केल 5 से नीचे रहा है। हालांकि भूकंप का आना ही अपने आप में एक बड़ा खतरा होता है। ऐसे में दिल्ली कितनी सुरक्षित है वो समझते हैं।
कितनी सुरक्षित है दिल्ली?
भूकंप जैसी आपदा को लेकर दिल्ली खतरनाक जोन में आती है। भूकंप वाले क्षेत्रों को 5 जोन में बांटा जाता है, जिसमें सबसे अधिक यानी जोन-5 वाला क्षेत्र सबसे ज्यादा जोखिम वाला होता है। यहां दिल्ली जोन-4 में आती है, जो काफी गंभीर है। दिल्ली में जैसी ऊंची इमारतें और घर-मकान हैं, खासकर यमुना और हिंडन नदियों के किनारे बनीं बहुमंजिला इमारतें हैं, बड़े भूकंप की स्थिति में बहुत बड़े नुकसान को न्योता देती हैं। अभी दिल्ली में सिर्फ 4 की तीव्रता का भूकंप आया है, जिसने इमारतों को हिला दिया। अंदाजा लगाया जा सकता है नेपाल जैसे 7.8 के तीव्रता वाले भूकंप की स्थिति में दिल्ली का मंजर क्या होगा।
भूकंप (Earthquake) क्यों आता है?
भूकंप तब आते हैं जब टेक्टोनिक प्लेट अचानक एक-दूसरे से खिसक जाती हैं, जिससे भूकंपीय तरंगों के रूप में जमा ऊर्जा निकलती है। ये प्लेटें पृथ्वी की सतह के नीचे एक अर्ध-तरल परत पर स्थित होती हैं और सतह के नीचे लगातार धीमी गति से चलती रहती हैं। कभी-कभी विशाल प्लेटें आपस में टकराती हैं, अलग हो जाती हैं या एक-दूसरे के खिलाफ खिसकती हैं जिससे जमीन हिलती है।
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प्लेट की हरकतों के तीन मुख्य प्रकार मुख्य रूप से भूकंप का कारण बनते हैं, जिनमें अभिसारी सीमाएं होती हैं, जहां प्लेटें टकराती हैं और एक दूसरे के नीचे चली जाती हैं। अपसारी सीमा की स्थिति में प्लेटें अलग हो जाती हैं और मैग्मा ऊपर आकर एक नई सतह बनाता है और सीमाएं बदलता है, जहां प्लेटें क्षैतिज रूप से एक-दूसरे से खिसकती हैं, जिससे घर्षण और तनाव पैदा होता है जो आखिर में भूकंप का कारण बनता है। हालांकि, ज्वालामुखी गतिविधि भी भूकंप को ट्रिगर करने का एक कारण हो सकती है, क्योंकि मैग्मा पृथ्वी की सतह के नीचे चला जाता है।
भारत और इसके भूकंप क्षेत्र
भारत के भूभाग को संशोधित मर्कली (एमएम) पैमाने के आधार पर अलग-अलग भूकंप क्षेत्रों में बांटा गया है। कम तीव्रता वाला क्षेत्र जो देश के लगभग 40.93 फीसदी हिस्से को कवर करता है, दक्षिण में जोन II और कुछ अन्य क्षेत्रों में आता है। जोन III में 30.79 फीसदी हिस्सा है, जहां तीव्रता मध्यम होती है, जिनमें केरल, गोवा और पंजाब और राजस्थान के कुछ हिस्से शामिल हैं। हाई तीव्रता वाली श्रेणी के जोन IV में 17.49 प्रतिशत क्षेत्र शामिल है, जिसमें जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली आते हैं। सबसे गंभीर क्षेत्र जोन V है, जिसमें लगभग 10.79 फीसदी भूमि कवरेज है और इसमें उत्तरी बिहार, गुजरात में कच्छ का रण और अंडमान निकोबार द्वीप समूह शामिल हैं।
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Published By : Dalchand Kumar
पब्लिश्ड 17 February 2025 at 10:13 IST