अपडेटेड 21 November 2025 at 16:55 IST
'आतंकियों के मोबाइल से ड्रोन-रॉकेट लॉन्चर ऑपरेट करने के VIDEO, Google हिस्ट्री में विस्फोटक...', दिल्ली ब्लास्ट में सनसनीखेज खुलासे
NIA को दिल्ली ब्लास्ट के आतंकियों के मोबाइल फोन से ड्रोन‑रॉकेट बनाने वाले वीडियो मिले हैं। साथ ही गूगल सर्च हिस्ट्री भी की अहम जानकारियां रिकवर की गई है। एक विदेशी ई‑मेल भी मिला है।
- भारत
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Delhi Blast Digital Evidence: दिल्ली कार ब्लास्ट मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) को ब्लास्ट के आरोपियों के मोबाइल से ड्रोन और रॉकेट लॉन्चर के वीडियो मिले हैं। साथ ही गूगल सर्च हिस्ट्री से पता चला कि संदिग्धों ने विस्फोटक निर्माण के तरीके खोजे और दक्षिण कश्मीर में लिंक शेयर किए। ज्यादातर वीडियो को बाद में डिलीट कर दिया गया था। NIA ने डिलीट किए गए डेटा की रिट्रीव किया। फिलहाल NIA ने इन सामग्री को शेयर करने वालों को पूछताछ के लिए बुलाया है।
जांच में एक विदेश निर्मित E‑Mail अकाउंट भी मिला, जिसमें NIA ने संबंधित सर्विस प्रोवाइडर से जानकारी मांगी है। एजेंसी मानती है कि यह नेटवर्क एक आतंकवादी योजना का हिस्सा हो सकता है।
दिल्ली ब्लास्ट के लोकल कनेक्शन की जांच में क्या-क्या मिला?
दिल्ली ब्लास्ट के बाद जांच एजेंसियों के निशाने पर आई फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी पर शिकंजा कस गया है। फरीदाबाद पुलिस ने भी एसीपी क्राइम वरुण दहिया की अगुआई में SIT बना दी है। यह टीम दिल्ली ब्लास्ट के लोकल कनेक्शन की जांच करेगी।
वहीं, मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के आरोपों के बारे में तथ्यों को जानने के लिए ED गिरफ्तार चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी को यूनिवर्सिटी कैंपस लाने की तैयारी में है। जिससे फंडिंग और गलत तरीके से स्टूडेंट्स से ली है फीस को लेकर जानकारी ली जाएगी। तीन दिन पहले जम्मू कश्मीर में आरोपी जसीर बिलाल वानी के पिता द्वारा आग लगाकर सुसाइड करने के बाद नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने अपनी जांच स्ट्रेटजी बदल दी है। अब 'टारगेटेड लिंक वाले व्यक्ति पर फोकस किया जाएगा। यानी बिना पुख्ता सबूत के किसी को भी एक घंटे से ज्यादा नहीं रोका जा रहा।
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आरोपियों की बनाई गई है तीन कैटेगरी
टारगेटेड लिंक वाले लोगों को पकड़ने के लिए आरोपियों को 3 कैटेगरी में रखा गया है, उसी हिसाब से उनसे पूछताछ होगी।
सीधे लिंक की कैटेगरी A- जिन लोगों का फरीदाबाद मॉड्यूल से सीधा संबंध सामने आता है, उन्हें अरेस्ट किया जा रहा है। इसमें कॉल रिकॉर्ड, चैट, लोकेशन डेटा, CCTV फुटेज या आरोपियों के बयान पर पकड़ा जा रहा है। इस कैटेगरी के 12 आरोपी अरेस्ट किए जा चुके हैं, जबकि 32 लोग हिरासत में हैं।
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कैटेगरी B में ये लोग शामिल- इसमें ऐसे लोगों को पकड़ा जा रहा है, जिनका नाम किसी ने लिया या पुराना कॉन्टैक्ट मिला है। लेकिन ब्लास्ट में ठोस सबूत नहीं है। जैसे अल-फलाह यूनिवर्सिटी का कोई स्टूडेंट जिसकी उमर से सिर्फ एक-दो कॉल मिली। इन्हें सिर्फ 24 घंटे की हिरासत में रखा जाता है। इस दौरान फोन, लैपटॉप चेक होते हैं। अगर 24 घंटे में पक्का लिंक नहीं मिला तो छोड़ दिया जाता है। इस कैटेगरी के 114 लोग छोड़ दिए गए हैं।
सिर्फ शक की कैटेगरी C- यह वो लोग होंगे, जिनका नाम सिर्फ इसलिए आया क्योंकि वे अल-फलाह में पढ़े या काम करते थे। लेकिन कोई सबूत नहीं। इनसे सिर्फ कुछ घंटे सामान्य पूछताछ होती है। फोन नंबर, पता और बयान नोट किया जाता है। उसके बाद तुरंत छोड़ दिया जाता है। पिछले तीन दिनों में 200 से ज्यादा लोग इसी कैटेगरी में छोड़े गए हैं।
व्हाइट-कॉलर टेरर मॉड्यूल क्या है?
यह मॉड्यूल 'शिक्षित' लोगों पर आधारित है, जहां डॉक्टर, प्रोफेसर और स्टूडेंट्स को रिक्रूट किया गया। ब्लास्ट का मुख्य आरोपी डॉ. उमर मुहम्मद उन नबी अल-फलाह यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर था। जांच में पाया गया कि यूनिवर्सिटी कैंपस को 'कवर' के रूप में इस्तेमाल किया जाता था।
अल फलाह यूनिवर्सिटी के 10 लोग अभी भी लापता
दिल्ली में लाल किला के पास हुए कार ब्लास्ट के बाद फरीदाबाद में स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े 10 लोग लापता हैं। एजेंसी को शक है कि ये सभी ब्लास्ट में शामिल हो सकते हैं, जो ग्राउंड वर्कर का काम कर रहे थे।जांच एजेंसियों ने खुलासा किया कि लाल किले के सामने विस्फोटक से भरी कार उड़ाने वाला आतंकी डॉ. उमर नबी अपने जैसे कई और सुसाइडल बॉम्बर तैयार करने की साजिश रच रहा था।
Published By : Sujeet Kumar
पब्लिश्ड 21 November 2025 at 16:53 IST