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Published 22:40 IST, October 14th 2024

DU के पूर्व प्रोफेसर साईबाबा का पार्थिव शरीर हैदराबाद के सरकारी अस्पताल को दान किया गया

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के पूर्व प्रोफेसर जी एन साईबाबा का पार्थिव शरीर सोमवार को यहां सरकारी गांधी अस्पताल को दान कर दिया गया।

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GN Saibaba
Former DU Professor GN Saibaba Dies Seven Months After Acquittal in Maoist Links Case | Image: ANI

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के पूर्व प्रोफेसर जी एन साईबाबा का पार्थिव शरीर सोमवार को यहां सरकारी गांधी अस्पताल को दान कर दिया गया। इससे पहले, विभिन्न दलों के नेताओं, कार्यकर्ताओं और मित्रों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

माओवादियों से कथित संबंधों के एक मामले में महज सात महीने पहले बरी किए गए साईबाबा का ऑपरेशन के बाद की समस्याओं के कारण शनिवार को यहां सरकारी अस्पताल निजाम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एनआईएमएस) में निधन हो गया था। वह 58 वर्ष के थे।

साईबाबा की बेटी मंजीरा ने कहा कि उनके पिता की इच्छा थी कि पार्थिव शरीर को दान कर दिया जाए। मंजीरा ने कहा कि उनके पिता कहते थे कि व्यक्ति की मृत्यु के बाद केवल उसके विचार ही बचे रहेंगे, इसके अलावा कुछ नहीं। जिस ताबूत में पूर्व प्रोफेसर का शव रखा गया था, उस पर लाल कपड़ा लपेटा गया था। साईबाबा के पार्थिव शरीर को मौला-अली स्थित उनके भाई के निवास से गांधी अस्पताल तक जुलूस के रूप में ले जाया गया।

साईबाबा के दोस्तों और कार्यकर्ताओं ने उनके सम्मान में ‘लाल सलाम’ के नारे लगाते हुए कहा कि माओवादियों के खिलाफ ‘ऑपरेशन कगार’ को रोका जाना चाहिए। कुछ लोगों ने तख्तियां पकड़ी हुई थीं जिन पर लिखा था कि आदिवासियों, दलितों और शोषितों के पक्ष में आवाज उठाई जानी चाहिए।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के केशव राव, भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) नेता केटी रामाराव और अन्य नेताओं, कार्यकर्ताओं ने साईबाबा के भाई के आवास पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के राष्ट्रीय सचिव के नारायण ने प्रधान न्यायाधीश को एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि साईबाबा की मौत ‘‘स्वाभाविक मौत नहीं बल्कि संस्थागत हत्या का मामला है।

भाकपा नेता ने कहा कि उच्चतम न्यायालय को यह पता लगाना चाहिए कि जब साईबाबा को दोषी नहीं पाया गया तो गलती किसकी थी। इससे पहले, पुलिस ने बताया कि साईबाबा के पार्थिव शरीर को तेलंगाना विधानसभा के सामने गन पार्क स्थित शहीद स्मारक पर ले जाया गया। साईबाबा के परिवार ने रविवार को बताया था कि उनकी आंखें पहले ही एल.वी. प्रसाद नेत्र अस्पताल को दान कर दी गईं। इस साल मार्च में साईबाबा को 10 साल की कैद के बाद नागपुर सेंट्रल जेल से रिहा किया गया था।

बंबई उच्च न्यायालय ने माओवादियों से कथित संबंध मामले में साईबाबा की आजीवन कारावास की सजा रद्द कर दी थी। अदालत ने अभियोजन पक्ष द्वारा आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधानों के तहत आरोप लगाने के लिए प्राप्त की गई मंजूरी को ‘‘अमान्य’’ करार दिया था।

साईबाबा पित्ताशय के संक्रमण से पीड़ित थे और दो सप्ताह पहले एनआईएमएस में उनका ऑपरेशन किया गया था, लेकिन बाद में जटिलताएं पैदा हो गईं।

Updated 22:40 IST, October 14th 2024