Published 00:08 IST, September 17th 2024
कार्यस्थल पर उत्पीड़न : कर्नाटक महिला आयोग ने योजना बनाने के लिए 15 दिन का समय दिया
कर्नाटक राज्य महिला आयोग ने कन्नड़ फिल्म चैंबर से यौन उत्पीड़न के खिलाफ एक समिति गठित करने के लिए कार्ययोजना पेश करने को कहा ।
कर्नाटक राज्य महिला आयोग ने सोमवार को कन्नड़ फिल्म चैंबर से यौन उत्पीड़न के खिलाफ एक समिति गठित करने के लिए कार्ययोजना पेश करने को कहा या फिर कारण बताने को कहा कि ऐसा करना क्यों संभव नहीं है।
इस संबंध में हुई बैठक में शामिल कर्नाटक फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स (केएफसीसी) के निदेशक एन एम सुरेश और फिल्मकार कविता लंकेश ने चैंबर को दिए गए आयोग के निर्देश की पुष्टि की।
राज्य महिला आयोग के निर्देशानुसार, कुछ दिन पहले केएफसीसी द्वारा महिला कलाकारों के साथ बुलाई गई बैठक में, कलाकारों को पीओएसएच (कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम) समिति गठित करने के लिए कार्ययोजना बनाने या ऐसा न कर पाने के कारण बताने के लिए 15 दिन का समय दिया गया था।
फिल्म इंडस्ट्री फॉर राइट्स एंड इक्वैलिटी (एफआईआरई) की अध्यक्ष लंकेश ने कहा, ‘‘यह फिल्म उद्योग में महिलाओं को न्याय दिलाने की लड़ाई में एक छोटा कदम है। आज वाकई ऐसा लगा कि हम इस छोटे से लाभ के लिए भी लड़ाई लड़ रहे हैं।’’ लंकेश बैठक में मौजूद थीं।
एफआईआरई ने कन्नड़ फिल्म उद्योग में तब हलचल मचा दी, जब चार सितंबर को इसने 153 कलाकारों के हस्ताक्षर वाली एक याचिका मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को सौंपी थी। इसमें न्यायमूर्ति के. हेमा समिति की तर्ज पर एक समिति की मांग की गई थी।
न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट में मलयालम सिनेमा में महिला पेशेवरों के साथ दुर्व्यवहार और उत्पीड़न के मामले उजागर हुए थे।
लंकेश के अनुसार, संगठन ने उद्योग में कार्यरत महिलाओं के बीच एक सर्वेक्षण कराने का भी निर्णय लिया है, जिसमें उन्हें अपनी समस्याएं गुमनाम रूप से बताने का अवसर दिया जाएगा।
बैठक के दौरान महिला आयोग ने उद्योग में महिलाओं के यौन एवं अन्य शोषण से निपटने के लिए 17 सूत्री एजेंडा प्रस्तुत किया।
Updated 00:08 IST, September 17th 2024