अपडेटेड 30 July 2024 at 22:48 IST
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को श्रद्धा वाकर हत्या मामले में अधीनस्थ अदालत को सुनवाई की तारीख तय करने संबंधी निर्देश देने के लिए आरोपी आफताब अमीन पूनावाला द्वारा किए गए अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। पूनावाला ने अर्जी में दावा किया था कि मुकदमे में जल्दबाजी के कारण उसके प्रति पूर्वाग्रह पैदा हो रहा है। पूनावाला के वकील ने उच्च न्यायालय से आग्रह किया कि अधीनस्थ अदालत को निर्देश दिया जाए कि महत्वपूर्ण गवाहों से केवल बचाव पक्ष के मुख्य वकील की उपस्थिति में ही पूछताछ की जाए तथा उन्हें जिरह की तैयारी के लिए पर्याप्त समय भी दिया जाए।
वकील ने दलील दी कि मुकदमे की गति को लेकर उनकी ओर से आपत्ति दर्ज कराए जाने के बावजूद एक महीने में 10 दिन तक पूरे दिन अदालती कार्यवाही हुई और वह गवाहों से जिरह करने में असमर्थ रहे। न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने कहा कि 'पेशेवर असुविधा मुकदमे में देरी का आधार नहीं हो सकती और यह सराहनीय है कि अधीनस्थ अदालत ने काम का बोझ होने के बावजूद एक महीने में 10 तारीखों पर मामले को सूचीबद्ध किया।'
उच्च न्यायालय ने कहा, 'आप सुनवाई अदालत की सुविधा के अनुसार खुद को समायोजित करेंगे और सुनवाई अदालत आपकी सुविधा के अनुसार (मामले की सुनवाई समायोजित) नहीं करेगी। असाधारण मामलों में, कभी-कभी वे... अधीनस्थ अदालतों पर दबाव देखें। यह ऐसा मामला है जहां वे उचित गति से आगे बढ़ रहे हैं लेकिन आप चाहते हैं कि वे अपनी डायरी को आपकी डायरी के अनुसार समायोजित करें।'
न्यायमूर्ति ओहरी की पीठ ने कहा, 'यह सबसे अच्छा रिकॉर्ड है जो मैं देख सकता हूं। बहुत कम समय में, उसने 120 गवाहों के बयान दर्ज किए हैं... आप चाहते हैं कि महत्वपूर्ण गवाहों की गवाही आपकी उपस्थिति में की जाए। ऐसा नहीं है कि सुनवाई अदालत आपका इंतजार करेगी। आपको सुनवाई अदालत के समक्ष उपस्थित होना होगा... खुद को उपलब्ध कराएं।'
हालांकि, उच्च न्यायालय ने मौखिक रूप से कहा कि गवाहों से जिरह की तैयारी के लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए और पूनावाला के वकील इस संबंध में सुनवाई अदालत से अनुरोध कर सकते हैं। वाकर आरोपी पूनावाला के साथ 'लिव-इन रिलेशनशिप' में रह रही थी। आरोप है कि पूनावाला ने 18 मई, 2022 को उसकी गला घोंटकर हत्या कर दी।
दिल्ली पुलिस द्वारा पिछले साल जनवरी में दायर किए गए 6,629 पन्नों के आरोपपत्र के मुताबिक, पूनावाला ने वाकर की हत्या करने के बाद उसके शव के टुकड़े किए और उन्हें एक रेफ्रिजरेटर में रखा। उसने शव के टुकड़ों को कई दिन में शहर के अलग-अलग स्थानों पर फेंका। बाद में पुलिस ने वाकर के शरीर के कुछ हिस्से बरामद किए।
इस महीने की शुरुआत में अधीनस्थ अदालत ने पूनावाला की वह अर्जी खारिज कर दी थी जिसमें उसने अपने वकील को बचाव में दलीलें तैयार करने के लिए उपयुक्त समय देने और महीने में मामले की सुनवाई केवल दो बार करने का अनुरोध किया था। अदालत ने अर्जी खारिज करते हुए कहा कि यह अनुरोध 'केवल सुनवाई को लंबा खींचने और विलंबित करने का एक साधन' प्रतीत होता है।
पब्लिश्ड 30 July 2024 at 22:48 IST