Published 22:39 IST, August 23rd 2024
डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या का विरोध, कोलकाता में कई जगह रैलियां और प्रदर्शन आयोजित
डॉक्टर के साथ बलात्कार और उसकी हत्या के विरोध में शुक्रवार को कोलकाता के विभिन्न हिस्सों में रुक-रुक कर हो रही बारिश के बीच रैलियां और प्रदर्शन हुए।
आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक डॉक्टर के साथ बलात्कार और उसकी हत्या के विरोध में शुक्रवार को कोलकाता के विभिन्न हिस्सों में रुक-रुक कर हो रही बारिश के बीच रैलियां और प्रदर्शन हुए। यादवपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों ने राजा एससी मलिक रोड पर स्थित विश्वविद्यालय के तीनों फाटक पर मानव श्रृंखला बनाई। दोपहर में 30 मिनट तक चले प्रदर्शन में छात्रों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों ने भी हिस्सा लिया।
यादवपुर विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (जेयूटीए) के महासचिव पार्थ प्रतिम रॉय ने कहा कि आरोपियों के लिए कड़ी सजा की मांग करते हुए एक बैठक भी आयोजित की गई। कॉलेज स्ट्रीट स्थित प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर में एक प्रदर्शन आयोजित किया गया, जहां छात्रों, शिक्षकों, गैर-शिक्षण कर्मचारियों, शोधकर्ताओं और पूर्व छात्रों ने अपराध की त्वरित जांच की मांग की।
विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी अपनी मांग के समर्थन में श्यामबाजार तक मार्च निकाला। पत्रकारों ने एस्प्लेनेड में वाई चैनल से मैदान में महात्मा गांधी की प्रतिमा तक मार्च निकाला और सरकार से कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
सेक्टर-5 के आईटी हब में, लगभग 300 तकनीकी विशेषज्ञों ने एक रैली निकाली, जो पिछले तीन दिनों में तीसरी थी, जिसमें मृतक डॉक्टर के परिवार के लिए न्याय की मांग की गई। कोलकाता में इन प्रमुख प्रदर्शनों के अलावा, राज्य के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न सामाजिक समूहों, शैक्षणिक संस्थानों और संगठनों द्वारा बड़े और छोटे जुलूस निकाले गए, जिसमें अपराध की त्वरित जांच और आरोपियों को कड़ी सजा देने की मांग की गई।
नौ अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ड्यूटी के दौरान एक स्नातकोत्तर प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी, जिससे देश भर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। इस बीच कलकत्ता उच्च न्यायालय ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और उसकी हत्या के विरोध में 27 अगस्त को पश्चिम बंगाल राज्य सचिवालय 'नबन्ना' तक मार्च निकालने पर रोक लगाने से शुक्रवार को इनकार कर दिया।
अदालत ने कहा कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने के मौलिक अधिकार पर रोक नहीं लगाई जा सकती। नबन्ना के आसपास के इलाकों में मार्च के आह्वान पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए, एक वकील और पास के शिबपुर के एक निवासी ने अदालत के समक्ष एक जनहित याचिका दायर की थी।
याचिका में कहा गया था कि मार्च आयोजित करने की अनुमति के लिए उचित आवेदन के बिना इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। न्यायमूर्ति हरीश टंडन व न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की एक खंडपीठ ने नागरिक संस्थाओं के एक वर्ग द्वारा हावड़ा शहर के नबन्ना तक मार्च निकालने की अनुमति देते हुए कहा कि स्नातकोत्तर प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ क्रूर बलात्कार-हत्या ने नागरिकों की अंतरात्मा को झकझोर दिया है और 9 अगस्त को चिकित्सा संस्थान में हुई घटना के बाद से विभिन्न क्षेत्रों से शांतिपूर्ण विरोध रैलियां देखी गई हैं। पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के कई निर्णयों में कहा गया है कि शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार प्रत्येक नागरिक का मूल मौलिक अधिकार है।
(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
Updated 22:39 IST, August 23rd 2024