अपडेटेड 29 May 2025 at 14:52 IST
शादी के सिर्फ 5 दिन बाद आया गिफ्ट, जैसे ही खोला किचन में जोरदार धमाका और चली गई दूल्हे की जान; 7 साल बाद 'पार्सल बम' का ऐसे खुला राज
7 साल पहले हुए इस पार्सल बम धमाके के अपराधियों को अब सजा का ऐलान हुआ है। आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। आइए आपको बताते हैं इस कहानी में कैसे खुले परत दर परत सौम्य के घर पार्सल बम भेजने वालों के राज।
- भारत
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23 फरवरी 2018 को ओडिशा के पाटनगढ़ में एक बम धमाके में एक 26 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर सौम्य शेखर साहू और उनकी 85 वर्षीय दादी की मौत हो जाती है जबकि उनकी 22 वर्षीय पत्नी रीमा इस धमाके में घायल हो जाती है। ये मामला अब से 7 साल पुराना है। अब इस मामले में असली आरोपी को सजा मिली है। साजिश के तहत सौम्य और उसकी दादी की हत्या करने वाले हत्यारे को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। सौम्य और रीमा की शादी 18 फरवरी 2018 में हुई थी और ये शादी के महज 5 दिन के बाद यानि कि 23 फरवरी की घटना है। 23 फरवरी की सुबह सौम्य अपने घर में था उसकी पत्नी रीमा रसोई में और 85 वर्षीय उनकी दादी भी उनके साथ घर में ही थीं।
दोपहर साढ़े 12 बजे के लगभग अचानक एक डिलीवरीमैन आकर सौम्य के घर का दरवाजा खटखटाता है और दरवाजा खोलने पर डिलीवरीमैन एक पार्सल सौम्य को थमाकर चला जाता है। चूंकि नई-नई शादी हुई थी घर में उत्सव का माहौल था। सौम्य ने सोचा शायद किसी रिश्तेदार ने शादी का तोहफा भेजा हो उसने पार्सल को पढ़ा तो उस पर लगे स्टिकर पर लिखा था इसे छत्तीसगढ़ के रायपुर के एसके शर्मा ने भेजा है। सौम्य ने अपनी पत्नी से कहा, 'यह शादी का तोहफा लग रहा है।' 'मैं नहीं जानता कि इसे किसने भेजा है। मैं रायपुर में किसी को नहीं जानता।' पार्सल पर सौम्य ही लिखा था रायपुर के किसी एसके शर्मा ने ये पार्सल भेजा था। सौम्य की शादी में बहुत से दोस्त नहीं पहुंच पाए थे तो उसने सोचा शायद किसी ने शादी का गिफ्ट भेजा हो। ये समझकर जैसे ही सौम्य ने उस हरे रंग के पैकेट से दिखाई दे रहा धागा खींचा उसी समय उस पार्सल से जोरदार धमाका हुआ। इस धमाके में सौम्य और उसकी दादी लहूलुहान हो गए और पत्नी रीमा भी बुरी तरह से घायल हो गई थी उसके कान के पर्दे फट गए थे।
सौम्य के घर किसने भेजा वो 'मौत का पार्सल'?
इस दर्दनाक हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। सौम्य और उनकी दादी रहस्यमय परिस्थितियों में पार्सल में हुए धमाके की वजह से दम तोड़ देते हैं। उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। वहीं सौम्य की पत्नी रीमा गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती रहती हैं, जिनकी स्थिति नाज़ुक बनी हुई थी। यह घटना न केवल अकल्पनीय थी, बल्कि रहस्यों से भरी भी। क्योंकि सौम्य की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी, न किसी से झगड़ा, न कोई पुरानी रंजिश। लोग अचंभित थे कि आख़िर इस शांतिपूर्ण परिवार के साथ ऐसा क्या हुआ? कुछ दिनों बाद जब रीमा को होश आता है, तो वह पुलिस को एक अहम सुराग देती है। एक संदिग्ध पार्सल के बारे में, जो घटना से ठीक पहले उनके घर पहुंचा था। अब जांच की दिशा पूरी तरह बदल जाती है जांच कर रही पुलिस टीम के सामने कई अहम सवाल खड़े हो जाते हैं।
- यह पार्सल किसने भेजा?
- इसका मकसद क्या था?
- और आखिर रायपुर का एस.के. शर्मा कौन है, जिसका नाम पार्सल पर लिखा था?
पुलिस तत्काल एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू करती है। सौम्य के दोस्तों, रिश्तेदारों और जानकारों सहित 100 से ज्यादा लोगों से पूछताछ होती है। हर जानकारी को जोड़ने की कोशिश की जाती है ताकि इस खौफनाक साजिश की परतें खुल सकें। यह घटना अब केवल एक पारिवारिक त्रासदी नहीं, बल्कि एक गहरी साज़िश की कहानी बन चुकी थी, जिसका सच सामने आना बाकी था। पुलिस सौम्य का लैपटॉप, मोबाइल सब खंगालती है लेकिन कहीं से भी कोई सबूत हाथ नहीं लगता है। पुलिस उस पार्सल वाले पते पर भी पहुंचती है कि किस शख्स ने इस पार्सल को भेजा था तो पता चला कि वहां कोई कैमरा, सीसीटीवी कुछ भी नहीं लगा है और न ही पार्सल को स्कैन करने की मशीन। इसके बाद पुलिस को को शक होता है कि सब एक प्लानिंग के तहत हुआ है। कोरियर कंपनी अधिकारियों से पूछताछ होती है तो एक चौंकाने वाली बात पता चलती है।
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ये पार्सल सौम्य के रिसेप्शन दिन ही भेजा जाना था ये पार्सल
पुलिस की पूछताछ में कोरियर कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि इस पार्सल को तीन दिन पहले ही भेजा जाना था ये पार्सल लेकिन उनका डिलीवरी ब्वाय जब एड्रेस पर गया तो वहां शादी का रिसेप्शन था और घर पर कोई मिला नहीं जिसकी वजह से ये कोरियर तीन दिन के बाद फिर से भेजा गया। इस जानकारी के बाद ये साफ हो गया कि इस धमाके को तीन दिन पहले अंजाम देना था लेकिन ये तीन दिन के बाद हुआ। इसके बाद पुलिस को आगे का कोई सुराग नहीं मिला इसी बीच बलांगीर के एसपी के दफ्तर में एक गुमनाम चिट्ठी पहुंचती है। यह चिट्ठी एसपी के नाम से भेजी गई थी। पुलिस के नाम से लिखी गई इस चिट्ठी ने इस केस को और भी रहस्यमयी और भयावह बना दिया।
एसपी को मिली एक गुमनाम चिट्ठी
एसपी के नाम लिखे गए इस चिट्ठी को एक विशेष दूत के माध्यम से भेजा गया था। इस पत्र में साफ शब्दों में लिखा था कि वह विस्फोटक पार्सल एस.के. शर्मा के नाम से नहीं, बल्कि एस.के. सिन्हा के नाम से भेजा गया था। चिट्ठी में दावा किया गया कि यह साजिश तीन लोगों ने मिलकर रची थी, जो अब कानून की पहुंच से बहुत दूर हैं। चिट्ठी लिखने वाले ने इसमें लिखा था, 'यह धमाका इसलिए किया गया क्योंकि हमें विश्वासघात का बदला लेना था। हमें मालूम है कि कानून से कुछ हासिल नहीं होगा, इसलिए हमने यह रास्ता चुना।' इस चिट्ठी की सबसे डरावनी बात यह थी कि उसमें धमकी दी गई थी,'अगर उस पूरे परिवार को भी खत्म कर दिया जाए, तब भी हमारा नुकसान पूरा नहीं होगा।'
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चिट्ठी के अंत में स्पष्ट चेतावनी दी गई थी, 'आपसे निवेदन है कि इस मामले से दूर रहें और निर्दोष लोगों को परेशान करना बंद करें।' यह पत्र न केवल जांच एजेंसियों के लिए चुनौती बन गया, बल्कि यह साफ करता है कि यह सिर्फ एक निजी दुश्मनी नहीं, बल्कि एक संगठित और पूर्व-नियोजित साजिश थी।
अब पुलिस के सामने एक नई चुनौती थी
- एस.के. सिन्हा कौन है?
- वह तीन लोग कौन हैं जो कानून से बच निकले हैं?
- और आखिर किस विश्वासघात की बात की जा रही है?
- यह पत्र घटनाक्रम को एक गंभीर मोड़ पर ले आया था, जहां मामला अब केवल हत्या नहीं, बल्कि सुनियोजित बदले की कहानी में तब्दील हो चुका था।
अपराधी ने गुमनाम चिट्ठी से दे दिया था पुलिस को सुराग
गुमनाम चिट्ठी के सामने आने के बाद इस रहस्यमय धमाके की जांच को और गंभीरता से लेते हुए मामला क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया। यही चिट्ठी अब जांच की दिशा तय करने वाली कुंजी बन गई थी। अगले ही दिन क्राइम ब्रांच की एक टीम सौम्य के माता-पिता से मिलने उनके घर पहुंची। अफसरों ने उन्हें वह चिट्ठी दिखाई, जिसमें धमाके की जिम्मेदारी ली गई थी और साजिश रचने वालों की जानकारी छिपे संकेतों में दी गई थी। जब सौम्य की मां, जो पास के एक कॉलेज में टीचर थीं ने वह चिट्ठी पढ़ी, तो वह अचानक चौंक गईं। उन्होंने चिट्ठी को कई बार गौर से पढ़ा और फिर कुछ ऐसा कहा जिसने जांच को नया मोड़ दे दिया। सौम्य की मां ने बताया कि 'इस पत्र में जो भाषा इस्तेमाल की गई है जैसे ‘प्रोजेक्ट पूरा करना’, ‘निर्दोषों को परेशान करना बंद कीजिए’, और जिस अंदाज़ में अंग्रेज़ी के वाक्य गढ़े गए हैं वह हमारे कॉलेज के एक अंग्रेज़ी अध्यापक की लेखन शैली से काफी मेल खाता है।'
पुलिस की पूछताछ में पुंजीलाल ने कबूला जुर्म
उन्होंने यह भी जोड़ा कि वह अध्यापक अक्सर बातचीत में भी 'प्रोजेक्ट को पूरा करने' जैसी तकनीकी भाषा का इस्तेमाल करता है, जो एक आम टीचर की शैली नहीं लगती। अब जांच एजेंसियों के पास पहला ठोस मानव सुराग था एक संदिग्ध, जिसकी पहचान धीरे-धीरे स्पष्ट होने लगी थी। क्राइम ब्रांच ने तुरंत उस कॉलेज और उस अंग्रेज़ी टीचर की पृष्ठभूमि की गहराई से जांच शुरू कर दी। यह मामूली चिट्ठी अब एक संभावित अपराधी तक पहुंचने का प्रवेशद्वार बन चुकी थी और शायद एक बड़ी साजिश की परतें अब खुलने वाली थीं। इस अंग्रेजी टीचर का नाम था पुंजीलाल मेहर। सौम्य की मां ने बताया कि पुंजीलाल मेहर को हटाकर उन्हें प्रिंसिपल बना दिया गया था जिसके बाद से पुंजीलाल ने उन्हें काफी परेशान किया था। अब पुलिस ने कड़ियां जोड़नी शुरू की। जब पुलिस ने पुंजीलाल से सख्ती से पूछताछ की तो पहले तो उसने झूठी कहानिया गढ़कर पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की लेकिन सख्ती के बाद वो टूट गया और अपना जुर्म कबूल कर लिया कि मौत का वो पार्सल पुंजीलाल ने ही भेजा था।
Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 29 May 2025 at 14:40 IST