अपडेटेड 6 March 2025 at 10:24 IST
मां-बाप को मोटी रकम का लालच, बच्चों को चोरी की ट्रेनिंग; पकड़ा बड़े शादी समारोहों को निशाना बनाने वाला 'बैंड बाजा बारात' गैंग
दिल्ली क्राइम ब्रांच की AEKC टीम ने बैंड बाजा बारात गैंग का भंडाफोड़ करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है और एक नाबालिग को हिरासत में लिया है।
- भारत
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Band Baaa Barat Gang: दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया है, जो उत्तर भारत के अलग-अलग राज्यों में बड़े शादी समारोहों को निशाना बनाता था। कुल 4 आरोपी पकड़े गए हैं, जिसमें एक नाबालिग शामिल हैं। गैंग का नाम 'बैंड बाजा बारात' रखा हुआ था। उसके अलावा भी इस गैंग को लेकर कई खुलासे हुए हैं।
आरोपी मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं, जिनकी पहचान 24 वर्षीय अज्जू, 22 वर्षीय कुलजीत और 25 साल के कालू चायल के रूप में हुई है। आरोपियों के पास से 2 लाख रुपये से अधिक की नगदी पकड़ी गई है। उसके अलावा एक मोबाइल फोन और चोरी के गहने बरामद हुए हैं। दिल्ली क्राइम ब्रांच की AEKC टीम ने 'बैंड बाजा बारात' गैंग का भंडाफोड़ करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है और एक नाबालिग को हिरासत में लिया है।
शिकायत और जांच टीम की कार्रवाई
दिल्ली-एनसीआर में शादी समारोहों से बैग चोरी की घटनाएं बढ़ रही थीं। इस मामले को सुलझाने के लिए क्राइम ब्रांच की विशेष टीम बनाई गई। टीम ने शादी समारोहों की CCTV फुटेज खंगाली और संदिग्धों की पहचान की। जांच के दौरान सामने आया कि आरोपी शादी समारोह में काफी समय बिताते थे, मेहमानों की तरह खाना खाते थे और सही मौके का इंतजार करते थे। ये लोग अच्छे कपड़े पहनकर समारोह में शामिल होते थे ताकि किसी को शक न हो।
क्राइम ब्रांच की टीम ने इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस और मुखबिरों की मदद से इनकी गतिविधियों पर नजर रखी। आखिरकार एक गुप्त सूचना के आधार पर टीम ने शास्त्री पार्क मेट्रो डिपो के पास से तीनों आरोपियों और एक नाबालिग को गिरफ्तार कर लिया।
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ऐसे चलती थी गैंग की साजिश
पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वो मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के छोटे गांवों से हैं। शादी के सीजन में ये दिल्ली-एनसीआर और अन्य महानगरों में आते हैं और शादी समारोहों में चोरी करते हैं। गैंग का सरगना गांव में बच्चों के माता-पिता को 10-12 लाख रुपये का लालच देता था। पैसा किस्तों में दिया जाता था और बदले में बच्चों को एक साल तक चोरी के लिए रखा जाता था।
दिल्ली लाने के बाद बच्चों को एक महीने की ट्रेनिंग दी जाती थी, जिसमें शामिल था कि कैसे लोगों के बीच घुल-मिलकर चोरी करनी है। पकड़े जाने पर गैंग का नाम न बताने की हिदायत दी जाती थी। गैंग के सदस्य शादी समारोह में बच्चों को छोड़कर ऑटो या बाइक से बाहर इंतजार करते थे। महिलाओं का भी गिरोह में शामिल होना पाया गया, जो बच्चों की देखभाल करती थीं।
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Published By : Dalchand Kumar
पब्लिश्ड 6 March 2025 at 10:24 IST