अपडेटेड 11 January 2024 at 18:04 IST

कांग्रेस को बुलाना भी नहीं चाहिए था, लेकिन... प्राण प्रतिष्ठा का न्‍योता ठुकराने पर भड़के CM हिमंता

सीएम हिमंता बिस्व सरमा ने कहा कि 'कांग्रेस शुरुआत से ही अयोध्या में Ram Mandir के बारे में अपने विचारों की वजह से निमंत्रण की हकदार नहीं थी।'

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Himanta
कांग्रेस पर भड़के CM हिमंता बिस्व सरमा | Image: PTI/ANI

Ram Mandir Inauguration : अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी शामिल नहीं होंगे। कांग्रेस के इस फैसले को लेकर बीजेपी लगातार हमलावर है। अब असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने कांग्रेस पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि उन्हें बुलाना भी नहीं चाहिए था, कांग्रेस को अपने पाप कम करने का मौका दिया गया था, लेकिन पार्टी ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया।

खबर में आगे पढ़ें…

  • ‘पाप कम करने का मौका दिया था’
  • ‘कांग्रेस ने सोमनाथ मंद‍िर को दोहराया’
  • क्या कहता है सोमनाथ मंदिर का इतिहास?

गुरुवार को हिमंता बिस्व सरमा ने कहा कि 'कांग्रेस शुरुआत से ही अयोध्या में राम मंदिर के बारे में अपने विचारों की वजह से निमंत्रण की हकदार नहीं थी। VHP ने उन्हें उपने पापों को सुधारने के ल‍िए एक सुनहरा अवसर द‍िया था, लेकिन वे चूक गए। मुझे उन पर दया आती है और दुख होता है।'

'सोमनाथ मंद‍िर को दोहराया'

असम सीएम ने कहा कि कांग्रेस इस निमंत्रण को स्वीकार कर हिंदू समाज से माफी मांग सकती थी। पंडित नेहरू ने सोमनाथ मंदिर के साथ जैसा किया था, कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने राम मंदिर के साथ भी वैसा ही किया। इतिहास उन्हें हिंदू विरोधी पार्टी के रूप में आंकता रहेगा।'

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क्या कहता है सोमनाथ मंदिर का इतिहास?

बीजेपी आरोप लगा रही है कि कांग्रेस ने प्राण प्रतिष्ठा के न्योते को ठुकराकर इतिहास को फिर से दोहराने का काम किया है। दरअसल, साल 1951 में सोमनाथ मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होनी थी और देश के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू ने सोमनाथ मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा में जाने से इनकार कर दिया था। सर्वपल्ली गोपाल ने अपनी पुस्तक सेलेक्टेड वर्क्स ऑफ जवाहर लाल नेहरू में लिखा है कि नेहरू ने राजेंद्र प्रसाद को पत्र लिखकर सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन से खुद को दूर रखने के लिए कहा था। उन्होंने पत्र में लिखा था- 'मैं स्वीकार करता हूं कि मुझे आपका खुद को सोमनाथ मंदिर के भव्य उद्घाटन से जोड़ने का विचार पसंद नहीं आया। यह महज एक मंदिर का दौरा नहीं है, बल्कि एक महत्वपूर्ण समारोह में भाग लेना है, जिसमें दुर्भाग्य से कई उलझने हैं।'

'कोई लेना-देना नहीं'

जवाहर लाल नेहरू के इस खत के बाद भी राजेंद्र प्रसाद ने मंदिर का उद्घाटन करने का फैसला किया। इसपर जवाहर लाल नेहरू ने मंदिर निर्माण की हर जवाबदेही से इनकार कर दिया। 2 मई, 1951 को नेहरू ने मुख्यमंत्रियों को लिखा- 'यह स्पष्ट रूप से समझा जाना चाहिए कि यह कार्य सरकारी नहीं है और भारत सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है। हमें ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहिए जो हमारे धर्मनिरपेक्ष राज्य के रास्ते में आए। यह संविधान का आधार है और इसलिए सरकारों को ऐसी किसी भी चीज से खुद को जोड़ने से बचना चाहिए जो हमारे राज्य के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को प्रभावित करती हो।'

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कांग्रेस ने क्या सफाई दी?

कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी शामिल नहीं होंगे, क्योंकि यह भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ का आयोजन है और अर्द्धनिर्मित मंदिर का उद्घाटन चुनावी लाभ के लिए किया जा रहा है।

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 11 January 2024 at 18:04 IST