अपडेटेड 11 May 2025 at 17:37 IST
'कश्मीर कोई बाइबिल में लिखा 1000 साल पुराना...', ट्रंप पर भड़के कांग्रेस सांसद; कहा- US राष्ट्रपति को थोड़ा और पढ़ने की जरूरत
कांग्रेस सांसद ने कहा, 'कश्मीर का मसला कोई बाइबिल में वर्णित हज़ार साल पुराना संघर्ष नहीं है, बल्कि यह एक आधुनिक राजनीतिक विवाद है। '
- भारत
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Congress MP Ruckus on US President Donald Trump: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर कश्मीर मुद्दे को लेकर दिए गए बयान के कारण भारतीय राजनीति के केंद्र में आ गए हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित शांति समझौते की बात करते हुए ट्रंप ने कहा कि वे कश्मीर विवाद को सुलझाने की दिशा में भी प्रयास करेंगे। हालांकि, उनके इस बयान पर भारत की राजनीतिक गलियों में विरोध के स्वर उठने लगे हैं। कांग्रेस नेता और चंडीगढ़ से लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि कश्मीर का मसला कोई बाइबिल में वर्णित हज़ार साल पुराना संघर्ष नहीं है, बल्कि यह एक आधुनिक राजनीतिक विवाद है। तिवारी ने तंज कसते हुए कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति को कुछ पढ़ाने और शिक्षित करने की जरूरत है।
यह पहली बार नहीं है जब भारत ने ट्रंप के कश्मीर को लेकर हस्तक्षेप की कोशिशों पर आपत्ति जताई हो। इससे पहले भी भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है और इस पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की जाएगी। डोनाल्ड ट्रंप के बयान के बाद एक बार फिर यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय पटल पर चर्चा का विषय बन गया है, लेकिन भारत में विपक्ष इसे गंभीर राजनयिक चूक के रूप में देख रहा है।
'कश्मीर 1000 साल पुराना संघर्ष नहीं', कांग्रेस सांसद का ट्रंप पर तीखा हमला
कश्मीर मुद्दे पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हालिया टिप्पणी के बाद कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने उन्हें करारा जवाब दिया है। तिवारी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर कहा कि कश्मीर कोई बाइबिल में वर्णित 1000 साल पुराना संघर्ष नहीं है, बल्कि इसका प्रारंभ 22 अक्टूबर, 1947 को हुआ था। जब पाकिस्तान ने स्वतंत्र जम्मू और कश्मीर राज्य पर हमला किया था। चंडीगढ़ से लोकसभा सांसद तिवारी ने आगे लिखा, 'यह वही समय था जब जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर, 1947 को राज्य का "पूर्ण विलय" भारत में कर दिया था।' उन्होंने ट्रंप की जानकारी पर सवाल उठाते हुए कहा, 'जिस क्षेत्र पर पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है, वह भी उसी जम्मू-कश्मीर का हिस्सा है जिसे भारत को सौंपा गया था। इस सरल ऐतिहासिक तथ्य को समझना कितना मुश्किल हो सकता है?'
चंडीगढ़ से कांग्रेस सांसद और पूर् मनीष तिवारी की यह प्रतिक्रिया उस समय आई है जब ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के बीच संभावित शांति वार्ता के संदर्भ में कश्मीर मसले को हल करने की इच्छा जताई थी। यह पहली बार नहीं है जब भारत ने ट्रंप के इस विषय पर हस्तक्षेप को खारिज किया हो। भारत का हमेशा से यही रुख रहा है कि कश्मीर उसका आंतरिक मामला है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं हो सकती। इस टिप्पणी के बाद एक बार फिर कश्मीर पर अमेरिकी बयानबाजी भारतीय राजनीति में बहस का विषय बन गई है।
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क्या बोले थे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को एक बार फिर दावा किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच सशस्त्र संघर्ष को समाप्त करने में अमेरिका की भूमिका अहम रही है। उन्होंने संघर्षविराम को एक "ऐतिहासिक और वीरतापूर्ण निर्णय" बताया और इसका श्रेय दोनों देशों के नेतृत्व और अमेरिकी मध्यस्थता को दिया। ट्रंप ने कहा, “मुझे भारत और पाकिस्तान के मजबूत और अडिग नेतृत्व पर बहुत गर्व है। उनके पास यह समझने की बुद्धि और धैर्य है कि यह आक्रमण अब समाप्त होना चाहिए, जो लाखों लोगों की मौत और विनाश का कारण बन सकता था।” उन्होंने आगे कहा, “आपकी विरासत आपके साहसी कार्यों से बहुत बढ़ गई है। मुझे गर्व है कि अमेरिका आपको इस निर्णय पर पहुंचाने में मदद कर सका।”
पाकिस्तान ने की थी संघर्ष विराम की पहलः भारत
ट्रंप ने यह भी जोड़ा कि हालांकि इस संदर्भ में कोई औपचारिक चर्चा नहीं हुई, लेकिन अमेरिका दोनों देशों के साथ व्यापार को "काफी हद तक बढ़ाने" की योजना बना रहा है। हालांकि ट्रंप का यह दावा ऐसे समय आया है जब भारत पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि संघर्षविराम की पहल पाकिस्तान की ओर से हुई थी। भारत के अनुसार, पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारतीय समकक्ष से संपर्क कर बातचीत की थी, जिसके परिणामस्वरूप सीमाओं पर शांति स्थापित करने की सहमति बनी। ट्रंप के इस बयान ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक हलकों में भारत-पाक संबंधों और अमेरिका की भूमिका को लेकर बहस छेड़ दी है।
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डोनाल्ड ट्रंप ने लिया था समझौते का क्रेडिट
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को इस बात का दावा किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम (सीजफायर) पर बनी सहमति उनकी मध्यस्थता में हुई वार्ता का परिणाम है। ट्रंप ने इसे अमेरिका की एक बड़ी कूटनीतिक सफलता के रूप में प्रस्तुत किया। हालांकि भारत ने इस दावे को सिरे से खारिज करते हुए स्पष्ट किया है कि अमेरिका की कोई मध्यस्थता नहीं हुई थी। भारत सरकार के अनुसार, यह पाकिस्तान के सैन्य अधिकारी डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स) ही थे जिन्होंने पहले भारतीय समकक्ष से संपर्क कर बातचीत की पहल की थी। इसी बातचीत के परिणामस्वरूप दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम पर सहमति बनी और सीमा पर शत्रुता में कमी आई। भारतीय पक्ष ने दोहराया कि भारत-पाकिस्तान के सैन्य संवाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय स्तर पर होते हैं और किसी तीसरे पक्ष की भूमिका की आवश्यकता नहीं होती। डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर कश्मीर और भारत-पाकिस्तान संबंधों को चर्चा में ला दिया है, हालांकि भारत अपने रुख पर अडिग है कि ऐसे मसले द्विपक्षीय हैं और बाहरी दखल को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 11 May 2025 at 17:37 IST