अपडेटेड 18 December 2024 at 22:57 IST
महाराष्ट्र से कर्नाटक तक, वो मौके जब धर्म के आधार पर आरक्षण को लेकर फंसी कांग्रेस,शाह ने किया बेनकाब
मुस्लिम आरक्षण को लेकर कांग्रेस ने पहली बार साल 1994 में कोशिश की थी। उस समय आंध्र प्रदेश में कोटला भास्कर रेड्डी की सरकार थी।
- भारत
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Amit Shah Attack Congress for Reservation: संसद (Parliament) में संविधान (Constitution) और आरक्षण की बाधा (Barrier of Reservation) को लेकर पक्ष और विपक्ष में गतिरोध जारी है। मंगलवार (17 दिसंबर) को गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कांग्रेस (Congress) पर हमला बोला। अमित शाह (Amit Shah) ने कहा कि कांग्रेस 50 फीसदी का बैरियर तोड़कर आरक्षण देना चाहती है जिससे कि उसे धर्म के आधार पर आसानी से मुसलमानों को आरक्षण दिया जा सके। अमित शाह ने संसद कहा कि जब तक संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) में बीजेपी (BJP) का एक भी सदस्य मौजूद है तब तक देश में धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं लागू होने देंगे।
यह पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस ने मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे पर धर्म के आधार पर मुस्लिम तुष्टिकरण को हवा दी हो। अमित शाह ने आगे बताया कि इसके पहले बीते 30 सालों में कांग्रेस की कई बार इस मुद्दे पर किरकिरी हो चुकी है। आइए आपको बताते हैं कि कांग्रेस ने 90 के दशक से लेकर के अब तक कितनी बार मुस्लिम आरक्षण को लेकर अपनी भद्द पिटवाई है?
1994 आंध्र प्रदेश में कोटला भास्कर रेड्डी की सरकार में ऐलान
मुस्लिम आरक्षण को लेकर कांग्रेस ने पहली बार साल 1994 में कोशिश की थी। उस समय आंध्र प्रदेश में कोटला भास्कर रेड्डी की सरकार थी। मुख्यमंत्री रेड्डी ने एक दिन मुस्लिम आरक्षण को लेकर ऐलान किया कि प्रदेश में मुसलमानों को 4 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। इस ऐलान के साथ सीएम रेड्डी मुसलमानों की 14 जातियों के नामों का ऐलान भी किया था। उन्होंने इस दौरान ये वादा भी किया था कि अगर उनकी सरकार फिर आती है तो वो मुसलमानों की सभी 14 जातियों को ओबीसी की कैटेगरी में शामिल कर लेंगे। इस ऐलान के बाद उनके खिलाफ पूरे प्रदेश में सियासी घमासान शुरू हो गया लोग सड़कों पर उतर आए और टीडीपी ने इसे बड़ा मुद्दा बना दिया था। इसके बाद 1995 में चुनाव हुए और कांग्रेस की इस चुनाव में करारी शिकस्त हुई और टीडीपी सत्ता में वापस लौटी।
साल 2004 में YSR आए और 5 फीसदी आरक्षण का ऐलान कर दिया
1994 में मुसलमानों को आरक्षण पर किरकिरी करवाने के 10 सालों के बाद साल 2004 में आंध्र प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस ने एक बार फिर से मजबूती से वापसी की। इस बार सूबे की सत्ता वाईएस रेड्डी को मिली। रेड्डी ने भी एक बार फिर से मुस्लिम वोट साधने के लिए मुस्लिम तुष्टिकरण दिखाते हुए 5 फीसदी आरक्षण का ऐलान कर दिया। इसके बाद ये मामला हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा। मौजूदा समय ये केस सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। आंध्र प्रदेश में मौजूदा समय मुस्लिम आबादी लगभग 9 फीसदी के करीब है। यहां के चुनाव में मुस्लिम फैक्टर काफी अहम माने जाते हैं।
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साल 2012 में उत्तर प्रदेश के मुसलमानों को आरक्षण का ऐलान
2004 की सत्ता के बाद साल 2009 में कांग्रेस ने फिर सत्ता में वापसी की इस बार उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस को 21 सीटें मिली थीं। इस जीत से खुश होकर कांग्रेस ने 2012 के विधानसभा चुनाव में पूरे दमखम के साथ उतरने का ऐलान किया। इस दौरान कांग्रेस की ओर से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का मैनेजमेंट कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद को सौंपा गया जबकि यूपी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री थे वो फैजाबाद सीट से सांसद थे। मनमोहन सरकार में मंत्री सलमान खुर्शीद ने ऐलान किया था कि अगर कांग्रेस यूपी की सत्ता में आई तो हम 5 फीसदी आरक्षण मुसलमानों को देंगे। सलमान खुर्शी के इस बयान पर बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने इसे तुष्टिकरण बताया और इस बयान पर जमकर राजनीति हुई। बीजेपी सहित सभी विपक्षी पार्टियों ने कांग्रेस के मंत्री के इस बयान पर सवाल खड़े किए।
महाराष्ट्र में मुसलमानों के साथ मराठाओं को साधा
साल 2014 में महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन ने तूल पकड़ा था। इस आंदोलन से निपटने के लिए महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने मराठाओं को आरक्षण देने का ऐलान कर दिया था और इस ऐलान के तहत 16 फीसदी आरक्षण मराठाओं को दिया जाएगा और इसी के साथ 5 फीसदी आरक्षण मुसलमानों को भी दिया जाएगा। मुस्लिम आरक्षण का ऐलान होते ही महाराष्ट्र में सियासी घमासान मच गया। शिवसेना और बीजेपी ने इसका जोरदार विरोध किया, जिसके चलते चव्हाण सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा।
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कर्नाटक में 4% मुस्लिम आरक्षण देने की तैयारी में कांग्रेस
कर्नाटक में ओबीसी कैटेगरी के तहत मुसलमानों की कुछ जातियों को 4% का आरक्षण मिलता था, लेकिन जब बीजेपी सत्ता में आई तो इसा आरक्षण को रद्द कर दिया। अब एक बार फिर कर्नाटक में कांग्रेस की सरकाई आई है जिसके बाद कांग्रेस फिर से 4% आरक्षण मुसलमानों को दिए जाने की तैयारी कर रही है, जो कि बीजेपी ने सत्ता में आते ही रद्द कर दिया था। अप्रैल 2024 में सिद्धारमैया की सरकार ने कुछ मुस्लिम जातियों को ओबीसी वर्ग में शामिल करने की कवायद की थी, जिसका जोरदार विरोध भी हुआ था।
Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 18 December 2024 at 22:57 IST