अपडेटेड 25 October 2024 at 15:45 IST
झारखंड के पूर्व CM मधु कोड़ा नहीं लड़ पाएंगे चुनाव, SC से लगा तगड़ा झटका; दोषसिद्धि पर रोक से इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने कोयला घोटाला मामले में दोषी मधु कोड़ा को राहत नहीं दी है। इस फैसले के बाद मधु कोड़ा विधानसभा चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।
- भारत
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Madhu Koda Coal Scam: झारखंड में विधानसभा चुनावों के लिए पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने कोयला घोटाला मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए दोषी मधु कोड़ा को राहत नहीं दी है। अदालत के इस फैसले के बाद मधु कोड़ा विधानसभा चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।
मधु कोड़ा झारखंड में हो रहे विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे। दिल्ली हाईकोर्ट ने मधु कोड़ा की याचिका को ये कहते हुए खारिज कर दिया था कि याचिकाकर्ता सिर्फ इस आधार पर फैसले पर रोक लगाना चाहता है कि वो चुनाव लड़ सके, जो उचित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने मधु कोड़ा की दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार किया है। मधु कोड़ा निचली अदालत की तरफ से दी गई तीन साल की सजा की दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग कर रहे थे। मधु कोड़ा ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
मधु कोड़ा की याचिका खारिज
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और संजय कुमार की पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली मधु कोड़ा की याचिका को खारिज कर दिया। कोड़ा के वकील ने स्थिति में बदलाव पर तर्क दिया और कहा कि दोषसिद्धि की तारीख से उन्हें चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं है। हालांकि, अदालत उनकी दलीलों से सहमत नहीं थी और टिप्पणी की कि दोषसिद्धि पर रोक लगाने के लिए विभिन्न कारकों पर विचार किया जाना चाहिए। मामले में सीबीआई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आरएस चीमा पेश हुए।
दिल्ली हाईकोर्ट से भी लगा था झटका
दिल्ली हाईकोर्ट ने 18 अक्टूबर को मधु कोड़ा की कोयला घोटाला मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने और आगामी चुनाव लड़ने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। कोड़ा, पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता, झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव एके बसु और सहयोगी विजय जोशी को राजहरा उत्तर कोयला ब्लॉक को विनी आयरन एंड स्टील उद्योग लिमिटेड को आवंटित करने से संबंधित भ्रष्टाचार और साजिश के लिए तीन साल की जेल की सजा मिली।
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2017 में दिल्ली की एक अदालत ने मधु कोड़ा को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आपराधिक कदाचार का दोषी ठहराया, उन्हें 3 साल की जेल की सजा सुनाई और 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। हालांकि उन्हें 2018 में जमानत और जुर्माने पर रोक लगा दी गई थी, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने 2020 में उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। 4 साल बाद कोड़ा ने फिर से दरवाजा खटखटाया, जिसमें उन्होंने नए तथ्यात्मक और कानूनी घटनाक्रमों का हवाला देते हुए अपनी सजा पर रोक लगाने की मांग की, ये देखते हुए कि उनकी आपराधिक अपील 2017 से लंबित है और मामले की सुनवाई निर्धारित नहीं की गई है।
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Published By : Dalchand Kumar
पब्लिश्ड 25 October 2024 at 14:34 IST