अपडेटेड 11 September 2021 at 23:35 IST
CM मनोहर लाल खट्टर ने की PM मोदी की तारीफ, कहा- 'MSP बढ़ाने से किसानों को मिलेगा आर्थिक लाभ'
केंद्र सरकार ने रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि कर दी है। सरकार के इस फैसले की हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर(Chief Minister Manohar Lal Khattar) ने तारीफ की है।

केंद्र सरकार ने रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि कर दी है। सरकार के इस फैसले की हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर(Chief Minister Manohar Lal Khattar) ने तारीफ की है। बता दें कि हरियाणा सरकार ने गन्ने की कीमत (price of sugarcane) 12 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 326 रुपये प्रति क्विंटल कर दी है। हरियाणा सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को आभार व्यक्त किया है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उठाया गया कदम सराहनीय है। रबी फसलों की कटाई से पहले 6 रबी फसलों के लिए नई एमएसपी तय की गई है। हर फसल में कम से कम 50 फीसदी तक MSP बढ़ाया गया है तो कुछ फसलों पर 100 फीसदी भी वृद्धि की गई है।"
दूसरी तरफ विपक्ष ने इसके लिए पीएम मोदी और केंद्र सरकार की खिंचाई की है। कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर एमएसपी को लेकर किसानों के खिलाफ "साजिश" करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस का कहना है कि उन्हें उनके श्रम के साथ-साथ लागत के लिए भी मुआवजा दिया जाना चाहिए । कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला रबी फसलों की MSP में वृद्धि को लेकर कहा था कि यह बढ़ोतरी पूरी तरह से अपर्याप्त है शासन किसानों को धोखा दे रही है।
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उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के फैसलों ने कृषि लागत में 25,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की वृद्धि की है, जबकि एमएसपी में केवल 2% से 8% की बढ़ोतरी की गई है। उन्होंने कहा कि डीजल की कीमतों में काफी वृद्धि हुई है और खाद, कीटनाशकों और कृषि उपकरणों की उच्च लागत पर जीएसटी लगाया गया है।
रबी फसल के एमएसपी में बढ़ोतरी
मार्केटिंग सीजन 2022-23 के लिए रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में इस सीसीईए समिति ने गन्ने के लिए अब तक के सबसे अधिक लाभकारी मूल्य ₹290/क्विंटल को भी मंजूरी दी। इन बढ़े हुए एमएसपी (MSP) का उद्देश्य फसल विविधीकरण (diversification ) को बढ़ावा देना है। गेहूं, रेपसीड और सरसों (100प्रतिशत) में ये सबसे अधिक होने का अनुमान है, इसके बाद दाल (79 प्रतिशत) चना (74 प्रतिशत), जौ (60 प्रतिशत)और कुसुम (50 प्रतिशत) का स्थान है। सीसीईए द्वारा यह बदलाव तिलहन, दलहन और मोटे अनाज के पक्ष में एमएसपी को फिर से संगठित करने के लिए पिछले कुछ वर्षों में किए गए केंद्रित प्रयासों के बाद आया है।
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Published By : Lipi Bhoi
पब्लिश्ड 11 September 2021 at 23:35 IST