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Published 23:18 IST, October 19th 2024

'कानून अंधा नहीं है, महिलाओं के खिलाफ बंद हो अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल', CJI चंद्रचूड़ का सख्त आदेश

CJI चंद्रचूड़ ने कहा है कि सभी प्रकार की अपमानजनक भाषा का, विशेष रूप से महिलाओं के खिलाफ, अदालतों में कोई स्थान नहीं है।

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CJI Chandrachud
CJI Chandrachud | Image: X@LiveLaw

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि सभी प्रकार की अपमानजनक भाषा का, विशेष रूप से महिलाओं के खिलाफ, अदालतों में कोई स्थान नहीं है। चंद्रचूड़ ने कहा कि असंवेदनशील शब्द रूढ़िवादिता को बढ़ावा दे सकते हैं और महिलाओं तथा हाशिए पर पड़े समुदायों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) ने प्रशासनिक प्रतिष्ठान के कुछ सदस्यों द्वारा महिलाओं के प्रति अपमानजनक भाषा के इस्तेमाल के बारे में महिला न्यायिक अधिकारियों की शिकायतों का उल्लेख किया।

पणजी के निकट उत्तरी गोवा जिला न्यायालय परिसर के उद्घाटन के मौके पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हमें न्याय तक वास्तविक लोकतांत्रिक पहुंच बनाने के लिए सभी बाधाओं को दूर करने के वास्ते सक्रिय रूप से काम करना चाहिए।’’ प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘जैसा कि हम अपने न्यायालयों में समावेशिता के लिए प्रयास करते हैं, हम जिस भाषा का उपयोग करते हैं, वह हमारे लोकाचार को प्रतिबिंबित करना चाहिए। हमें शब्दों के चयन में सतर्क रहना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हमारी भाषा न केवल सटीक हो बल्कि सम्मानजनक और समावेशी भी हो।’’

महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल बंद हो-CJI 

उन्होंने कहा, ‘‘अक्सर मैं महिला न्यायिक अधिकारियों से यह शिकायत सुनता हूं कि प्रशासनिक प्रतिष्ठान के कुछ सदस्य महिलाओं के प्रति अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करते हैं।’’ उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी प्रकार की अपमानजनक भाषा का, विशेषकर महिलाओं के प्रति, हमारे न्यायालयों में कोई स्थान नहीं होना चाहिए।प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि अदालतों में प्रयुक्त भाषा में समावेशिता, सम्मान और सशक्तीकरण झलकना चाहिए।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि पीठ के सदस्यों, विशेषकर जिला स्तर के न्यायिक अधिकारियों को कानूनी विमर्श को उन्नत बनाने के मूल नियमों को याद रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि कानूनी पहुंच को लोकतांत्रिक बनाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम यह सुनिश्चित करना है कि निर्णय और आदेश सभी क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध हों। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि उच्चतम न्यायालय के आदेशों का कोंकणी भाषा में भी अनुवाद किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में तेजी लानी होगी। मुझे विश्वास है कि बम्बई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश यह सुनिश्चित करेंगे कि बम्बई उच्च न्यायालय के फैसलों का भी ऐसी भाषा में अनुवाद किया जाए जिसे राज्य के लोग समझ सकें।’’

कानून अंधा नहीं है, यह सभी को समान दृष्टि से देखता है-CJI

‘न्याय की देवी’ की मूर्ति में बदलाव का उल्लेख करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने इस बात पर जोर दिया कि कानून अंधा नहीं है और यह सभी को समान दृष्टि से देखता है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि न्याय की देवी की आंखों पर बंधी पट्टी हटा दी गई है, जिसका अर्थ निष्पक्षता है। उन्होंने कहा, ‘‘आखिरकार, कानून अंधा नहीं है। यह सभी को समान रूप से देखता है और सामाजिक वास्तविकताओं के प्रति समान रूप से जागरूक है।’’

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Updated 23:18 IST, October 19th 2024